MANREGA: पहले कोरोना और अब मानसून ने किया बेरोजगार, आगरा में हजारों मजदूर घर बैठने को मजबूर
MANREGA मानसून के चलते दस हजार मजदूरों के हाथ खाली। मानसून में गिरने लगा मनरेगा कार्यों का ग्राफ। काम कम होने की वजह से मनरेगा मजदूरों को भी कम मिल रहा काम। सात जुलाई को आगरा की 649 ग्राम पंचायतों में 2325 विकास कार्य चल रहे थे।
आगरा, जागरण संवाददाता। मानसून में जहां किसानों को राहत दी है वहीं, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत पंजीकृत मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो रहा है। बारिश होने की वजह से मनरेगा कार्यों का ग्राफ कम हो गया है। गांवों में नाली, खरंजे, चक रोड निर्माण के साथ ही तालाब व नहर खुदाई के कार्य काफी कम हो गए हैं।ऐसे में मजदूरों को भी रोजगार कम मिल पा रहा है। 15 दिन में लगभग दस हजार मजदूरों के हाथ खाली हो गए हैं।
आगरा में मानसून की बारिश मजदूरों के लिए बेराेजगारी लेकर आइ है। पहले कोरोना वायरस के कारण और अब बारिश के कारण मजदूर घर बैठने को मजबूर हैं। सात जुलाई को आगरा की 649 ग्राम पंचायतों में 2,325 विकास कार्य चल रहे थे। जिनमें 38,353 मजदूर कार्य कर रहे थे।15 दिन बाद विकास कार्यों की संख्या में गिरावट आई। 22 जुलाई को जिले की 571 ग्राम पंचायतों में 1,446 विकास कार्य ही रह गए। इनमें 28,373 मजदूरों को काम मिला। यानि 15 दिन में 9,980 मजदूरों के हाथ खाली हो गए। दरअसल, बारिश की वजह से विकास कार्य बंद करने पड़े हैं। अधिकांश निर्माण कार्य हैं।वहीं, तालाब और नहर खुदाई के कार्य भी बारिश में बाधित होते हैं। इसलिए यह कार्य भी बंद कर दिए गए हैं। एेसे में मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो रहा है। मानसून के बाद विकास कार्यों का ग्राफ बढ़ने की उम्मीद है। ग्राम प्रधानों के भी बहुत से विकास कार्यों के प्रस्ताव लंबित हैं। मानसून के बाद सभी के प्रस्तावों पर कार्य शुरू होगा। इससे मजदूरों को भी रोजगार मिलेगा।