आगरा में हजारों मछलियों की मौत, गोकुल बैराज से छोड़ा गया प्रदूषित पानी बना कारण

बल्केश्वर से बेलनगंज के बीच 22 जुलाई को यमुना किनारे पर मरी हुई मछलियों के ढेर लाेगों को नजर आए थे। लोगों ने यमुना के प्रदूषित होने की वजह से मछलियों के दम तोड़ने की आशंका जताई थी। यूपीपीसीबी द्वारा लिए गए सैंपल में सही मिली डिजाल्व आक्सीजन की मात्रा।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 11:27 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 11:27 AM (IST)
आगरा में हजारों मछलियों की मौत, गोकुल बैराज से छोड़ा गया प्रदूषित पानी बना कारण
यमुना में प्रदूषित पानी आने के चलते हजारों मछलियों की मौत हो गई थी।

आगरा, जागरण संवाददाता। यमुना में पिछले सप्ताह हजारों मछलियों की मौत गोकुल बैराज से छोड़े गए प्रदूषित पानी की वजह से ही हुई थी। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने यमुना जल के सैंपल की जांच कर रिपोर्ट यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव को भेज दी है। सैंपल में आगरा में यमुना जल में डिजाल्व आक्सीजन की मात्रा सही पाई गई है।

बल्केश्वर से बेलनगंज के बीच 22 जुलाई को यमुना किनारे पर मरी हुई मछलियों के ढेर लाेगों को नजर आए थे। लोगों ने यमुना के प्रदूषित होने की वजह से मछलियों के दम तोड़ने की आशंका जताई थी। यूपीपीसीबी ने 22 जुलाई को कैलाश घाट और वाटर वर्क्स पर निरीक्षण करने के साथ यमुना जल के सैंपल लिए थे। निरीक्षण में कैलाश घाट पर यमुना में भारी मात्रा में जलकुंभी के साथ जल प्रवाह पाया गया था। कैलाश घाट पर यमुना में मृत मछलियां नहीं मिली थीं। वाटर वर्क्स पर यमुना नदी के एक तट पर काफी मात्रा में मछलियां मृत पड़ी थीं। वहां मौजूद मिले लोगों ने यूपीपीसीबी की टीम को जानकारी दी थी कि दो दिन पूर्व अपस्ट्रीम से आए तेज पानी के साथ पीछे से मृत मछलियां बहती हुई आई हैं। सिंचाई विभाग ने यूपीपीसीबी को अवगत कराया था कि गोकुल बैराज से आठ क्यूसेक पानी प्रतिदिन छोड़ा जा रहा है। यूपीपीसीबी ने आवास विकास कालोनी स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में यमुना जल के सैंपल की जांच की, जिसमें पानी की क्वालिटी संतोषजनक पाई गई है।

यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालय ने सदस्य सचिव यूपीपीसीबी, लखनऊ को भेजी रिपोर्ट में अवगत कराया है कि मथुरा स्थित गोकुल बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण नदी में स्लरी व आर्गेनिक मैटर की मात्रा में वृद्धि हुई, जिससे यमुना में डिजाल्व आक्सीजन की मात्रा कम हो गई। इससे मछलियों की मौत हुई और वो तेज बहाव के साथ आगरा तक पहुंच गईं।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी भुवन प्रकाश यादव ने बताया कि वर्ष 2008 और 2014-15 में भी गोकुल बैराज से प्रदूषित पानी छोड़े जाने की वजह से यमुना में मछलियां मर गई थीं। बैराज का नीचे वाला गेट खोलने पर उसमें जमा खतरनाक स्लज पानी के साथ बहकर आगे आता है, जिससे यमुना में डिजाल्व आक्सीजन की कमी होने से मछलियां दम तोड़ देती हैं। डिजाल्व आक्सीजन पानी में चार मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होने पर मछलियों की मौत हो जाती है।

सैंपल की जांच रिपोर्ट

स्थान, पीएच, डीओ, बीओडी, सीओडी

कैलाश घाट, 7.1, 7.6, 12.4, 24.4

वाटर वर्क्स, 7.6, 5.9, 13.2, 26.4

मानक

पीएच: 6.5-8.5 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच होना चाहिए।

डीओ: 4 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होनी चाहिए।

बीओडी: 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। 

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