अहोई अष्टमी पर गुरु पुष्य नक्षत्र में उत्तम संयोग, बाजार में शुरू हुई खरीदारी

अहोई अष्टमी आज बन रहा गुरु पुष्य नक्षत्र का उत्तम संयोग। सुबह 9.41 बजे से पुष्य नक्षत्र का उत्तम संयोग शुरू हो गया जो शुक्रवार दोपहर 1138 बजे तक रहेगा। इस नक्षत्र में बही-बसना कलम-दवात व लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदना उत्तम है।

By Nirlosh KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 03:48 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 03:48 PM (IST)
अहोई अष्टमी पर गुरु पुष्य नक्षत्र में  उत्तम संयोग, बाजार में शुरू हुई खरीदारी
गुरु पुष्य का संयोग अति उत्तम माना जाता है।

आगरा, जागरण संवाददाता। गुरुवार को अहोई अष्टमी मनाई जा रही है। सुबह 9.41 बजे से पुष्य नक्षत्र का उत्तम संयोग शुरू हो गया, जो शुक्रवार दोपहर 11:38 बजे तक रहेगा। इस नक्षत्र में बही-बसना, कलम-दवात व लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदना उत्तम है। गुरु पुष्य का संयोग अति उत्तम माना जाता है।

ज्योतिषाचार्य आशिमा शर्मा ने बताया कि संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए किया जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत गुरुवार को है। करवाचौथ के बाद अहोई अष्टमी व्रत आता है। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि अहोई व्रत के दिन माताएं सूर्योदय से पहले उठती हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करती हैं। इसके बाद उनका व्रत शुरू होता है। यह व्रत तब तक चलता है जब तक आकाश में पहले तारे दिखाई नहीं देते। कुछ महिलाएं अपना व्रत तोड़ने से पहले चंद्रोदय का इंतजार करना भी पसंद करती हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। गुरुवार को अहोई अष्टमी मनाई जा रही है। सुबह 9.41 बजे से पुष्य नक्षत्र का उत्तम संयोग शुरू हो गया, जो शुक्रवार दोपहर 11:38 बजे तक रहेगा। इस नक्षत्र में बही-बसना, कलम-दवात व लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदना उत्तम है। गुरु पुष्य का संयोग अति उत्तम माना जाता है।

ज्योतिषाचार्य आशिमा शर्मा ने बताया कि संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए किया जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत गुरुवार को है। करवाचौथ के बाद अहोई अष्टमी व्रत आता है। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि अहोई व्रत के दिन माताएं सूर्योदय से पहले उठती हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करती हैं। इसके बाद उनका व्रत शुरू होता है। यह व्रत तब तक चलता है जब तक आकाश में पहले तारे दिखाई नहीं देते। कुछ महिलाएं अपना व्रत तोड़ने से पहले चंद्रोदय का इंतजार करना भी पसंद करती हैं।

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त

-शाम 5:02 से शाम 6:17 बजे तक

-सांझ (शाम) तारे देखने का समय - शाम 5:25 बजे

-अहोई अष्टमी पर चंद्रोदय - रात 10:57 बजे

माताओं ने रखा व्रत

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी मनाई जा रही है। इस दिन मां अपने बच्चों की सुरक्षा, उनकी लंबी आयु व संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। अहोई अष्टमी व्रत पर्व पर अहोई माता की पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं संतान के अच्छे स्वास्थ्य, जीवन में सफलता और समृद्धि के लिए रखती हैं। सौभाग्यवती महिलाएं करवा चौथ की तरह सूर्योदय के बाद से निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को तारे निकलने के बाद उन्हें अर्ध्य देकर व्रत का पारण करती हैं। ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि अहोई अष्टमी व्रत के दिन गुरु पुष्य योग होने से अहोई अष्टमी व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया है। इसलिए माताएं अपनी संतान की लंबी आयु व उनकी सफलता के लिए यह व्रत अवश्य रखें।

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त

-शाम 5:02 से शाम 6:17 बजे तक

-सांझ (शाम) तारे देखने का समय - शाम 5:25 बजे

-अहोई अष्टमी पर चंद्रोदय - रात 10:57 बजे

माताओं ने रखा व्रत

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी मनाई जा रही है। इस दिन मां अपने बच्चों की सुरक्षा, उनकी लंबी आयु व संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। अहोई अष्टमी व्रत पर्व पर अहोई माता की पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं संतान के अच्छे स्वास्थ्य, जीवन में सफलता और समृद्धि के लिए रखती हैं। सौभाग्यवती महिलाएं करवा चौथ की तरह सूर्योदय के बाद से निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को तारे निकलने के बाद उन्हें अर्ध्य देकर व्रत का पारण करती हैं। ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि अहोई अष्टमी व्रत के दिन गुरु पुष्य योग होने से अहोई अष्टमी व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया है। इसलिए माताएं अपनी संतान की लंबी आयु व उनकी सफलता के लिए यह व्रत अवश्य रखें।

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