Ambedkar University Agra: यही है आंबेडकर विश्वविद्यालय की असली तस्वीर, कुलपति के आश्वासन के बाद भी नहीं हुआ काम
आनलाइन पत्र भेजने की बात आठ दिन में बदली अब डाक से भेजेंगे पत्र। खत्म नहीं हो रही सीमा के इंतजार की सीमा। स्थायी लोक अदालत में राज्यपाल को पार्टी बनाकर किया था मुकदमा तब जाकर तो नींद से जागा था आगरा का आंबेडकर विवि।
आगरा, जागरण संवाददाता। किसी और ने नहीं बल्कि, डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली ने ही उसकी तस्वीर को आम जनता की नजरों में धूमिल किया है। एक महिला जो अपने पति की बेगुनाही का सबूत मांगने के लिए पिछले चार महीने से चक्कर काट रही है, कार्यवाहक कुलपति प्रो. आलोक राय के आश्वासन के बाद भी उसे सबूत नहीं मिल रहा है। फाइल इस मेज से उस मेज तक का सफर धीमी गति से तय कर रही है। इस दौरान अपने हिसाब से नियम में बदलाव भी कर दिया गया।
यह है मामला
सीमा कुमारी के पति विमल किशोर ने 2004-05 में विश्वविद्यालय से बीएड किया था। एसआइटी की सूची में उनका रोल नंबर टैंपर्ड में आ गया।2016 में उन्होंने प्राथमिक विद्यालय, रुधऊ में नौकरी शुरू कर दी थी। बीएसए ने उन्हें 2019 में नोटिस दिया, 2020 में तनख्वाह रोक ली गई। इस तनाव में वे बीमार हो गए और पिछले साल मार्च में उनकी मृत्यु हो गई। सीमा कुमारी ने अपने पति के स्थान पर नौकरी के लिए प्रत्यावेदन दिया, जिसे नकार दिया गया। इसके बाद उन्होंने स्थाई लोक अदालत में मुकदमा किया। राज्यपाल को पार्टी बनाया, जिस पर विश्वविद्यालय से जवाब दिया गया कि स्व. विमल किशोर का रोल नंबर न तो फेक में है और न ही टैंपर्ड में। सीमा कुमारी अपने पति की डिग्रियों और अंकतालिकाओं को सत्यापित करने के लिए आंबेडकर विश्वविद्यालय के चक्कर काट रही थीं।
कुलपति ने दिया था आश्वासन
कार्यकारी कुलपति प्रो. आलोक राय ने विगत 13 अगस्त को सीमा को आश्वासन दिया था कि आठ दिन में काम हो जाएगा, पर अभी तक सत्यापित पत्र बीएसए कार्यालय में प्रेषित नहीं किया गया है। गुरुवार को चार्ट रूम में जानकारी करने पर पता चला कि प्रमाणपत्रों की जांच हो चुकी है। सत्यापित पत्र चार्ट रूम से डिस्पैच विभाग में भेजा गया, जहां से आनलाइन विभाग में जांच के लिए गया। वहां से वापस डिस्पैच विभाग भेजा गया, जहां से अब इसे डाक से प्रेषित करने की बात हो रही है। जबकि आठ दिन पहले सहायक कुलसचिव पवन कुमार ने आनलाइन भेजने की बात कही थी।