ये सरकारी सिस्‍टम है जनाब, पति को खो देने के बाद काट रही विधवा चक्‍कर, दास्‍तां सुन पसीज जाएगा आपका दिल भी

मौत के बाद मिला आगरा के विमल को इंसाफ। 2004-05 फर्जी डिग्री मामले में एसआइटी ने विमल की डिग्री को माना फेक 2019 में बीएसए ने दिया नोटिस। तनाव में हुई थी पिछले साल मौत पत्नी ने किया मुकदमा विवि ने दी क्लीनचिट। अब भी पत्‍नी सीमा हैं परेशान।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 07 Aug 2021 10:44 AM (IST) Updated:Sat, 07 Aug 2021 10:44 AM (IST)
ये सरकारी सिस्‍टम है जनाब, पति को खो देने के बाद काट रही विधवा चक्‍कर, दास्‍तां सुन पसीज जाएगा आपका दिल भी
फर्जी डिग्री के मामले में बेगुनाही साबित करते करते आगरा के विमल की जान चली गई।

आगरा, प्रभजोत कौर। ये सरकारी सिस्‍टम है जनाब, काम कोई भी हो, बस चक्‍कर काटते रहिए। आपकी मुसीबतों से किसी को सरोकार नहीं। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 2004-05 फर्जी बीएड डिग्री मामले के कारण कई घर बर्बाद हुए। इनमें से एक थे एत्मादपुर के विमल किशोर, जो खुद को सही साबित करने में ही इस दुनिया से विदा हो गए। उनकी मौत के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें क्लीन चिट दी। अब उनकी पत्नी अपने तीन बच्चों के साथ जिंदगी की जंग को अकेले लड़ रही है और अपना अधिकार मांग रही है। उसके लिए भी उन्‍हें चक्‍कर काटने पड़ रहे हैं।

2004-05 फर्जी बीएड मामले में 2018 में एसआइटी की जांच शुरू हुई थी। एसआइटी जांच में टैंपर्ड और फर्जी डिग्रियों की सूची बनाई गई। इस सूची के आधार पर जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ने 2019 मार्च में विमल को नोटिस दिया कि आपकी डिग्री टैंपर्ड है। डाक्यूमेंट जमा कराएं। इसके बाद उसी साल जुलाई में एक और नोटिस दिया गया कि आपकी डिग्री फर्जी है, सेवा नियोजित की जाती है। विमल उस समय खेरागढ़ के रुधऊ के प्राथमिक विद्यालय में नौकरी कर रहा था। खुद की डिग्री को सही साबित करने के लिए विश्वविद्यालय के कई चक्कर काटे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। तनाव इतना बढ़ा कि बिस्तर पकड़ लिया। मार्च 2020 में विमल की मृत्यु हो गई। विमल की पत्नी सीमा कुमारी ने पिछले साल सितंबर में स्थाई लोक अदालत में मुकदमा किया। राज्यपाल को पार्टी बनाया गया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय से जानकारी मांगी तो जवाब दिया गया कि विमल की डिग्री न तो फर्जी थी और न ही टैंपर्ड।

मौत के बाद मांगी थी नौकरी

अपने पति की मौत के बाद सीमा ने नौकरी के लिए प्रत्यावेदन दिया था, जिस पर उन्हें जवाब दिया गया कि उनके पति का मामला फर्जी और टैंपर्ड डिग्री में चल रहा है। इसलिए नौकरी नहीं दी जा सकती है। इसके बाद सीमा ने मुकदमा किया।

बहुत सहा मेरे पति ने

सीमा ने बताया कि पिछले साल फरवरी में विमल की तनख्वाह रोक दी गई थी। उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया। उन्होंने बहुत सहा। विश्वविद्यालय के न जाने कितने ही चक्कर काटे, पर सुनवाई नहीं हुई। अगर उन्हें फर्जीवाड़ा करना ही था तो डिग्री फर्स्ट डिवीजन की बनवाते, थर्ड डिवीजन ही क्यों रह गए? 2005 में बीएड करने के बाद नौकरी 2016 में मिली क्योंकि मेरिट नहीं थी। 2011 में टेट क्वालीफाइ किया, उसके बाद नौकरी मिली।

शिक्षा मित्र है सीमा

सीमा ने एमए और बीटीसी किया हुआ है। टेट भी क्वालीफाइ किया हुआ है। वर्तमान में शिक्षा मित्र हैं। उसी तनख्वाह से अपने तीन बच्चों को पाल रही है। बड़े बेटे ने इसी साल दसवीं किया है। बेटी 13 साल और छोटा बेटा सात साल का है। सीमा ने विश्वविद्यालय से अपने पति की क्लीनचिट का कागज मांगा है।

विमल की पत्नी ने विश्वविद्यालय के खिलाफ मुकदमा किया है। जांच कराई गई तो पता चला कि डिग्री न तो फेक है और न ही टैंपर्ड है। अब नियमानुसार कार्रवाई होगी। - डा. अरूण दीक्षित, अधिवक्ता

इंसाफ के लिए लगाए चक्कर

- विमल के साथ फर्जी और टैंपर्ड सूची की जानकारी के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर काटे।

- विमल की मौत के बाद बीएसए में अपनी नौकरी के लिए दिया प्रत्यावेदन, नहीं हुई सुनवाई।

- स्थाई लोक अदालत में मुकदमा दर्ज कराया।

- विश्वविद्यालय में डिग्री और अंकतालिका की वेरीफिकेशन के लिए दर्जन भर से ज्यादा चक्कर लगाए।

- विश्वविद्यालय द्वारा राज्यपाल कार्यालय में जवाब देने के बाद बीएसए में फिर नौकरी की बात करने गई, जिस पर जवाब मिला कि कोर्ट का आर्डर लाओ।

- 15 दिन पहले विश्वविद्यालय में राज्यपाल को दिए जवाब की कापी के लिए प्रार्थना पत्र दिया है, जो अब तक नहीं मिला है।

मुझे नौकरी चाहिए, बच्चे पालने हैं

वो निर्दोष हैं, आप वेरीफाई तो कराइए। मुझे नौकरी चाहिए, बच्चे पालने हैं। थक गई हूं दर-दर भटक कर। इस पीड़ा से पिछले एक साल से गुजर रही है सीमा। न जाने कितने ही चक्कर बीएसए कार्यालय और डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के लगा चुकी है, पर कहीं से कोई राहत नहीं मिली है। हर हफ्ते छुट्टी लेकर नौकरी की आस में अपने गांव से आगरा आकर कार्यालयों के चक्कर काटती है। सीमा के अनुसार अब तक वो 15 हजार रुपये से ज्यादा तो पेट्रोल में ही खर्च कर चुकी है।

2005 में फिरोजाबाद की सीमा की शादी एत्मादपुर के नगला केसरी के विमल किशोर से हुई। परिवार पढ़ा लिखा मिला। ससुर भी सरकारी शिक्षक थे। पति को सरकारी नौकरी मिली तो लगा कि अब जीवन खुशियों के बीच गुजरेगा। बच्चों के भविष्य से लेकर बेटी की शादी तक की चिंताएं इस सरकारी नौकरी की खुशी में खो गईं। जिंदगी अपनी रफ्तार से गुजर रही थी कि अचानक एसआइटी जांच, बीएसए का नोटिस और समाज में अपनी प्रतिष्ठा की चिंता में सब छन्न से टूट गया। पति विमल खुद को निर्दोष साबित करने में ही जिंदगी की जंग हार गए। सीमा पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। तीन बच्चों की जिम्मेदारी, बूढ़ी सास और लंबा जीवन। सीमा का संघर्ष अब तक जारी है। सीमा ने बताया कि मुकदमे के बाद विश्वविद्यालय ने राज्यपाल को विमल की क्लीनचिट का पत्र भेज दिया है। यही पत्र सीमा को नहीं दिया गया है, उससे कहा जा रहा है कि पत्र तैयार है राज्यपाल कार्यालय से हस्ताक्षर होने के बाद ही दिया जाएगा।

रिश्तेदार करते हैं मदद

सीमा शिक्षा मित्र है, 10 हजार रुपये तनख्वाह मिलती है। यह तनख्वाह भी हर महीने नहीं बल्कि कई महीनों के अंतराल पर हाथ में आती है। ऐसे में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जाता है। रिश्तेदार समय-समय पर मदद कर देते हैं।

चेहरे पर दिखती है थकान

40 साल की सीमा के चेहरे पर थकान है। आंखें अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य का रास्ता खोज रही हैं। सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटते-काटते परेशान हो चुकी है। नौकरी से छुट्टी लेकर कभी अपने ननदोई तो कभी अपने भाइयों के साथ अपने पति की जगह नौकरी पाने के लिए बीएसए कार्यालय जाती है।

दादी के साथ घर पर रहते हैं बच्चे

सीमा जब नौकरी या सरकारी कार्यालयों में चक्कर काटने के लिए जाती है तो तीनों बच्चे अपनी दादी के साथ घर पर ही रहते हैं। उन्हें आस है कि मां का संघर्ष एक दिन जरूर खत्म होगा और अच्छी खबर मिलेगी।

उपलब्ध कराएंगे सूची

इस घटनाक्रम पर कुलपति प्रो. आलोक राय का कहना है कि मेरे संज्ञान में यह मामला आया है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विश्वविद्यालय द्वारा टैंपर्ड और फेक डिग्रियों की जांच कराई गई थी, जिसकी अंतिम सूची उच्च न्यायालय में दी गई है। सीमा कुमारी की लिखित मांग पर हम सीमा कुमारी को वही सूची उपलब्ध करा देंगे। जैसा कि विश्वविद्यालय ने राज्यपाल कार्यालय में जवाब दिया है कि उनके पति की डिग्री व अंकतालिका फर्जी व टैंपर्ड नहीं थी। इस बात का सबूत उस सूची से मिल जाएगा। हम पूरी तरह से सहयोग करेंगे।

- प्रो. आलोक राय, कुलपति

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