आगरा के ब्राह्मण सम्मेलन में हुआ हंगामा तो बीच में ही छोड़ गए कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक
Brahmin Sammelan सूरसदन में हुई थी सनातन विचार मंच की विप्र महापंचायत। प्रदेश कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक और श्रीकांत शर्मा आदि आए थे शामिल होने। सामाजिक की जगह राजनीतिक मंच बन जाने से आहत हुए समाज के लोग।
आगरा, जागरण संवाददाता। ब्राह्मण समाज हमेशा अग्रणी रहा, मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। लेकिन आपसी मन-मुटाव, लड़ाई और टांग खिंचाई से नुकसान ब्राह्मण समाज को ही पहुंचा। कभी राजनीति की दशा और दिशा तय करने वाला ब्राह्मण समाज आज उपेक्षा का शिकार है। कारण तलाशकर, समस्याएं दूर कों, तभी समाज का भला संभव है। यह बात प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने रविवार को सूरसदन प्रेक्षागृह में सनातन विचार मंच की विप्र महापंचायत में कही।
उनका कहना था कि ब्राह्मण, समाज का ध्वजवाहक व कर्म से अग्रणी रहा है। हमारा कर्म समाज को जोड़कर रखना है। लेकिन वर्तमान समय में हमारे सामने तमाम चुनौती हैं। हम क्या और क्यों कर रहे हैं? बड़ा सवाल है। हमारी हर समाज से स्वीकार्यता है, इसे बनाए रखने को हमें जातिवाद पीछे छोड़कर सामंजस्य बनाना होगा। सभी लोगों को गले लगाकर रखें, हम स्वार्थी नहीं। व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी छोड़े, पहले राष्ट्र, फिर धर्म, फिर समाज और बाद में स्वयं की भावना लाएं। जहर बौने वालों को उजागर करें, जो देश के खिलाफ षड्यंत्र रचाकर हिंदुओं को विखंडित करने की तैयारी कर रहे हैं। चाणक्य की तरह मार्गदर्शक की भूमिका निभानी होगी। इसलिए आज से ही अपने बच्चों को संस्कार दें, परंपराएं निभाएं।
राजनीतिक पार्टियों ने ब्राह्मणों को बांटा
प्रदेश कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक का कहना था कि ब्राह्मण समाज ने अपनी बुद्धि और मेधा के दम पर समाज को दिशा दी है। समाज के सक्षम लोग गरीब और असहाय लोगों की जिम्मेदारी लें, बिना बुलाए उनके घरों में जाएं, गरीब हों तो मदद आर्थिक मदद करें। अनाचार पर एकजुट होकर आवाज उठाएं, आपसी ईगो न टकराएं। तभी हालात सुधरेंगे। विपक्षी पार्टियों पर हमला बोला कि अन्य राजनीतिक दलों ने ब्राह्मणों को बांटा, हमें अपनी विचारधारा तय करके स्वयं भविष्य निर्धारित करना होगा। आज जाली वाली टोपी वालों की गाड़ियों की रफ्तार कम हुई है, वह डर में हैं, फिर भी पर्दे के पीछे से षड्यंत्र रच रहे हैं। तुलनात्मक अध्ययन करें, जो राष्ट्र व देश की एकता को चुनौती दे, उन्हें वोट से जवाब दें।
एकजुट होने का आह्वान
राज्यसभा सदस्य हरद्वार दुबे ने हम समाज के नाम पर एकजुट होने की जगह आगे बढ़ने वाले की टांग खींचने व विरोध करने वालों को समाजद्रोही बताया। उनका कहना था कि राजनीति को समाज से अलग रखें, समाज पर बात आए, तो एक हो जाएं। दो लोग लड़ें, तो आग न लगाएं, एक करने की कोशिश करें। हमने गुरुकुल छोड़े तो अन्य धर्मों ने गुरुकुल पद्धति अपनाकर अपने धर्मों का प्रसार शुरू कर दिया और हम अपनी ज़ड़ों से कट रहे हैं।
पीटीआई के पूर्व चेयरमैन प्रमोद गोस्वामी ने अतीत से सीखकर वर्तमान स्थिति का आंकलन करने की सीख दी। उनका कहना था कि हम 14 फीसद हैं, शहर में संख्या साढ़े छह लाख की निर्णायक स्थिति हैं, फिर भी हालत चिंताजनक है। राजनीतिक पार्टियों ने हमें कबीलों में बांटकर सिर्फ सत्ता हासिल की है। पूर्व न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा ने आपसी भेदभाव भुलाकर एकजुट होने का आह्वान किया।
बनी हंगामे की स्थिति
प्रदेश मंत्री बृजेश पाठक के संबोधन के बाद मधुसूदन शर्मा ने खड़े होकर विरोध जता दिया। उन्होंने कहा कि अपनी बात तो कह ली, हमारी व्यथा भी सुनिए। ब्राह्मण का सबसे ज्यादा उत्पीड़न व हत्या हो रही है। उन्होंने भाजपा प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल पर खुद का अपमान करने का आरोप लगाते हुए खुद की सुनवाई तक न होने का आरोप लगाया। इससे कार्यक्रम में कुछ देर व्यवधान की स्थिति बन गई। कैबिनेट मंत्री के वक्तव्य में विरोधी पार्टी के बयानों पर अन्य पार्टी से जुड़े लोग भी विरोध में आ गए। एनएसयूआइ के अपूर्व शर्मा ने बयानों को सामाजिक मंथन तक ही सीमित रखने की मांग की। हंगामे पर कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक और श्रीकांत शर्मा ने उन्हें समझाया। मामला शांत होने पर प्रदेश मंत्री बृजेश पाठक तुरंत ही कार्यक्रम से चले गए। उप्र राज्य महिला आयोग सदस्य निर्मला दीक्षित को भी मंच पर बोलने का मौका नहीं मिला, जिससे वह भी नाराज नजर आयीं। पूर्व मेयर प्रत्याशी राहुल चतुर्वेदी ने लंबे समय बाद सामाजिक उत्थान के लिए इस प्रयास को अच्छा बताया लेकिन कुछ लोगों द्वारा इसे राजनीतिक मंच बनाने को उन्होंने समाज के लिए गलत उदाहरण बताया। उनका कहना था कि कार्यक्रम उद्देश्य से भटक गया।