Water Cannel: साहब! माइनर को रजबहा बना दें, फसलें नहीं सूखेगीं
किसानों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को दिखाए पानी की उपलब्धता के रास्ते। राजस्थान बार्डर से सटे फतेहपुर सीकरी क्षेत्र के गांवों में है भीषण जलसंकट। गांव डाबर सिरोली नगला बले जाजोली मदनपुरा खेड़ा जाट सहित 18 ग्राम पंचायत के 40 से अधिक गांवों में पानी की समस्या है।
आगरा, जागरण संवाददाता। नहरों का पानी टेल तक पहुंचता नहीं है। रजबहा सूखे पड़े हैं। माइनर किसी काम की नहीं हैं। फसलों की सिंचाई नहीं हो पा रही है। किसान अक्सर धरना प्रदर्शन करते हैं। अधिकारी परेशान हैं, उन्हें कोई तरीका नहीं सूझ रहा है। किसानों ने अधिकारियों को पानी उपलब्ध कराने का रास्ता बताया। कहा कि माइनर को रजबहा बना दें, खेतों को भरपूर पानी मिलेगा, फसलें भी नहीं सूखेगीं। अधिकारियों ने इस पर विचार करने का भरोसा दिलाया।
जलसंकट तो पूरे जिले में ही है लेकिन, फतेहपुर सीकरी क्षेत्र में राजस्थान बार्डर से सटे गांवों का बुरा हाल है। पीने से लेकर सिंचाई तक के पानी के लिए किसान तरस रहे हैं। किसानों ने पिछले सप्ताह सिंचाई विभाग कार्यालय पर धरना भी दिया था। पसोपेश में पड़े अधिकारियों ने प्रतापपुरा चौराहा स्थित विभागीय कार्यालय पर क्षेत्रीय किसानों के साथ वार्ता की। नहरों, माइनर, रजबहा का मामला होने के कारण अलीगढ़ से विभागीय अनुसंधान एवं नियोजन खंड के सहायक अभियंता हैदर अली भी बुला लिए।
ये दिए सुझाव
भारतीय किसान संघ के प्रांत अध्यक्ष मोहन सिंह चाहर ने कहा कि एफएस (फतेहपुर सीकरी) ब्रांच से मंडोली माइनर निकली है। माइनर में नाम मात्र का पानी रहता है। क्षेत्र के लिए ये पानी अपर्याप्त है। अगर इस माइनर को रजबहा का रूप दिया जाए तो इसमें भरपूर प्रवाह रहेगा। क्षेत्रीय किसानों को सिंचाई में सहूलियत होगी। डा. रामेश्वर चौधरी, श्याम सिंह चाहर ने कहा कि चंबल नदी से पानी लिफ्ट कर उटंगन नदी में डाला जा सकता है। इससे नदी में पानी आ जाएगा और तब फसलें नहीं सूखेगीं। यमुना नदी से पानी उपलब्धता के विकल्प भी तलाशने का सुझाव दिया।
इतने गांवों में है समस्या
किसानों ने बताया कि फतेहपुर सीकरी क्षेत्र के गांव डाबर, सिरोली, नगला बले, जाजोली, मदनपुरा, खेड़ा जाट सहित 18 ग्राम पंचायत के 40 से अधिक गांवों में पानी की समस्या है।
अफसर ने कहा देखेंगे, किसान बोले, करना है
किसानों के सुझाव पर अधिकारियों ने कहा कि देखेंगे क्या हो सकता है। इस पर किसान भड़क गए। बोले, देखेंगे नहीं, करना है। आपको शायद समस्या की गंभीरता का अंदाजा नहीं है। पेयजल का संकट तो है ही, सिंचाई के लिए भी पानी नहीं मिलता है। फसलें बर्बाद हो जाती हैं।
किसानों द्वारा सुझाव गए विकल्पों पर रिपोर्ट तैयार कराएंगे। 15 से 20 दिन लग जाएंगे। इसके बाद आगामी निर्णय लिए जाएंगे।
- शरद सौरभ गिरी
अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग