All About Agra: ताजमहल के शहर में हैं कई 'ताज', घूमने को यहां तीन दिन भी पड़ जाएंगे कम
आगरा का पर्यटन यूं तो ताजमहल के इर्द-गिर्द ही घूमता है लेकिन यहां आकर्षणों की कमी नहीं है। आगरा किला अत्यंत प्राचीन है। यह ईंटों का बना हुआ था और चौहान राजाओं के अधिकार में था। इतिहास में इसका उल्लेख सबसे पहले 1080 ईस्वी में मिलता है।
आगरा, निर्लोष कुमार। कोरोना काल में अनलॉक-4 में 21 सितंबर को ताजमहल खुलने के साथ आगरा में पर्यटन की शुरुआत हो गई है। ताजमहल समेत सभी स्मारकों पर कैपिंग (एक दिन में आने वाले पर्यटकों की अधिकतम संख्या) लागू है। आगरा का पर्यटन यूं तो ताजमहल के इर्द-गिर्द ही घूमता है, लेकिन यहां आकर्षणों की कमी नहीं है। ऐतिहासिक स्थलों के साथ यहां धार्मिक, प्राकृतिक पर्यटन स्थल भी बेशुमार हैं। अगर, आप यहां घूमने आ रहे हैं तो कम से कम तीन दिन का प्लान बनाकर आएं, तभी यहां के आकर्षणों को आप देख सकेंगे।
ऐतिहासिक स्थल
फतेहपुर सीकरी: आगरा शहर से करीब 35 किमी दूर फतेहपुर सीकरी मुगल शहंशाह अकबर द्वारा बसाया गया शहर है। यह वर्ष 1570-85 तक करीब 15 वर्षों तक अकबर की राजधानी रहा था। यहां बुलंद दरवाजा, पंच महल, अनूप तालाब समेत कई आकर्षण हैं। सूफी शेख सलीम चिश्ती की दरगाह हिंदू-मुस्लिम श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।
आगरा किला: यह किला अत्यंत प्राचीन है। यह ईंटों का बना हुआ था और चौहान राजाओं के अधिकार में था। इतिहास में इसका उल्लेख सबसे पहले 1080 ईस्वी में गजनी की सेना द्वारा इसे जीतने का मिलता है। सिकंदर लोधी पहला सुल्तान था, जो इस किले में रहा। वर्ष 1517 में उसकी मृत्यु के बाद उसके पुत्र इब्राहीम लोदी ने यहीं से शासन किया। वर्ष 1526 में पानीपत के युद्ध में बाबर की जीत के बाद यह मुगलों के अधिकार में आया। यहीं पर 1530 में हुमायूं का राज्याभिषेक हुआ। अकबर ने इसे 1565 से 1573 के बीच पत्थरों से बनवाया था। यहां जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब और ब्रिटिश काल में काफी काम कराए गए। आगरा किला में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, मुसम्मन बुर्ज, शीश महल, जहांगीरी महल देखने योग्य हैं। हालांकि, मुसम्मन बुर्ज, शीश महल और मोती मस्जिद पर्यटकों के लिए बंद हैं।
सिकंदरा: सिकंदरा मुगल शहंशाह अकबर का मकबरा है। स्वयं अकबर द्वारा ने जीवन काल में इसे बनवाना शुरू कर दिया था। उसकी मृत्यु के बाद इसे जहांगीर ने पूरा कराया। यहां के उद्यान में कुलांचे भरते हिरण बरबस ध्यान खींचते हैं। ब्रिटिश काल में हिरणों का एक जोड़ा यहां लाया गया था। आज यहां छह दर्जन से अधिक हिरण हैं।
बेबी ताज (एत्माद्दौला): एत्माद्दौला को पर्यटन क्षेत्र में बेबी ताज के नाम से जाना जाता है। इसे ताजमहल के निर्माण के लिए प्रेरणा देने वाला बताया जाता है। इसमें पच्चीकारी व पेंटिंग का आकर्षक काम है, जो बरबस ही ध्यान खींचता है। मुगल साम्राज्ञी नूरजहां ने अपने पिता मिर्जा ग्यास बेग की स्मृति में एत्माद्दौला का निर्माण कराया था।
मेहताब बाग: यमुना पार मेहताब बाग से ताजमहल का व्यू सबसे अच्छा है। शाहजहां स्वयं यहीं से ताजमहल देखा करता था। 21 सितंबर को ताजमहल खुलने से पूर्व पर्यटक यहीं से ताजमहल देखने पहुंच रहे थे। यहां से सूर्यास्त के समय ताजमहल का सौंदर्य देखते ही बनता है। हालांकि, कुछ इतिहासकार इसे बाबर द्वारा यमुना किनारा बनवाए गए प्रारंभिक बागों में से एक बताते हैं।
प्राकृतिक स्थल
सूर सरोवर पक्षी विहार: सूर सरोवर पक्षी विहार (कीठम) प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां अक्टूबर से मार्च के मध्य कई देशों की सरहदें पार कर पक्षी आते हैं। उन्हें देखने पर्यावरण और पक्षी प्रेमी पहुंचते हैं। सात वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में स्थित झील में बोटिंग का आकर्षण भी पर्यटकों के लिए उपलब्ध है। यहां भालू संरक्षण केंद्र भी है। जहां एसओएस द्वारा कलंदरों से मुक्त कराए गए भालुओं को प्राकृतिक माहौल उपलब्ध कराया गया है। यहां भक्ति कवि सूरदास की साधना स्थली भी है।
चुरमुरा: आगरा-मथुरा की सीमा पर चुरमुरा में एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर है। यहां देशभर के मंदिरों और महावतों से मुक्त कराए गए हाथियों को रखा गया है।
चंबल सेंक्चुरी: आगरा से करीब 75 किमी दूर बाह में चंबल सेंक्चुरी है। सेंक्चुरी में लुप्तप्राय कछुओं, घड़ियाल, गंगा डॉल्फिन का संरक्षण वन एवं वन्य जीव विभाग द्वारा किया जा रहा है। उनका कुनबा यहां बढ़ रहा है। यहां सर्दी के मौसम में प्रवासी पक्षी भी अच्छी संख्या में आते हैं।
ताज नेचर वॉक: ताज की पूर्वी दिशा में ताज नेचर वॉक है। हरियाली के बीच यहां से ताजमहल के बेहद दिलकश नजारे नजर आते हैं। यहां कृत्रिम झील के साथ बच्चों के लिए झूले आदि भी लगे हुए हैं।
धार्मिक स्थल
स्वामीबाग: राधास्वामी मत के प्रवर्तक परम पुरुष पूरन धनी स्वामीजी महाराज की पवित्र समाध स्वामीबाग में है। इसमें हो रहा कार्विंग का काम ताजमहल को चुनौती देता नजर आता है। वर्ष 2018 में स्वामीजी महाराज के द्वि-शताब्दी वर्ष समारोह पर इसका गुंबद व कलश बनकर तैयार हुआ था। यहां कोई प्रवेश शुल्क लागू नहीं है। धार्मिक स्थलाें को खोलने की अनुमति नहीं होने के चलते फिलहाल यह बंद है।
बटेश्वर: बटेश्वर में 16वीं शताब्दी में भदावर के राजाओं ने यमुना की धारा को बांध बनाकर मोड़ दिया था। यमुना किनारे बने शिव मंदिरों की श्रृंखला के लिए बटेश्वर देशभर में प्रसिद्ध है। यहां उत्तर भारत का प्रसिद्ध पशु मेला कार्तिक मास में लगता है। कार्तिक पूर्णिमा को यहां स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
शौरीपुर: यह जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ की जन्म स्थली है। बटेश्वर श्रीकृष्ण के पितामह महाराजा सूरसेन की राजधानी थी। देवकी को ब्याहने के लिए वसुदेव की बरात यहीं से मथुरा गई थी। अगर आकाशवाणी होने के बाद कंस देवकी और वसुदेव को बंदी नहीं बनाता तो भगवान श्रीकृष्ण का जन्म शौरीपुर में ही होता।
गुरुद्वारा गुरु का ताल और माईथान: गुरुद्वारा गुरु का ताल और माईथान सिख धर्म के आस्था के प्रमुख केंद्र हैं। गुरुद्वारा गुरु का ताल वो स्थल है, जहां से गुरु तेग बहादुर ने गिरफ्तारी दी थी। वहीं, गुरुद्वारा माईथान में वो दो बार आए थे। लोहामंडी गुरुद्वारा में गुरु नानक देव आए थे।
शिव मंदिर: कैलाश मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां एक ही जलहरी में दो शिवलिंग विराजमान हैं। मान्यता है कि इन शिवलिंगों की स्थापना महर्षि परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि द्वारा की गई थी। रावतपाड़ा स्थित मन:कामेश्वर मंदिर शहरवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मान्यता है कि जब भगवान शिव, भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने गोकुल गए थे, तब एक रात वो यहां रुके थे। उन्होंने ही यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। पृथ्वीराज महादेव मंदिर की स्थापना पृथ्वीराज चौहान, रावली महादेव मंदिर की स्थापना राजा मानसिंह द्वारा की गई थी। इनके अलावा बल्केश्वर और राजेश्वर महादेव मंदिर भी अत्यंत प्राचीन हैं।
रेणुका धाम: रुनकता में रेणुका धाम और शनिदेव का मंदिर है। मान्यता है कि महर्षि परशुराम ने अपने पिता ऋषि जमदग्नि के कहने पर यहीं अपनी मां रेणुका का सिर काटा था, जिससे यह जगह रुंड कटा के नाम से जानी गई। कालांतर में यह रुंड कटा ही रुनकता के नाम से जाना गया।
सूर्य मंदिर, आंवलखेड़ा: आंवलखेड़ा में युग ऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की जन्मस्थली है। यहां के बाद देश-विदेश में गायत्री शक्तिपीठों की स्थापना की गई। देश-विदेश में उनके लाखों अनुयायी हैं। यहां सूर्य मंदिर का निर्माण चल रहा है।
अकबरी चर्च और निष्कलंक माता का गिरजाघर: वजीरपुरा स्थित अकबरी चर्च शहर का सबसे प्राचीन चर्च है। इसका निर्माण मुगल शहंशाह अकबर ने कराया था। यहां निष्कलंक माता का महागिरजाघर भी है। शहर में करीब दर्जनभर चर्च हैं।
जामा मस्जिद समेत कई दरगाह: जहांआरा द्वारा बनवाई गई जामा मस्जिद के अलावा यहां शाही ईदगाह समेत कई दरगाह हैं। जहां अकीदतमंदों की भीड़ रहती है। अबुल उल्लाह की दरगाह, शेरजंग, कलाल खेरिया, दरगाह मरकज साबरी आदि में अकीदतमंद मुराद मांगते हैं।