Hind ki Chadar: लाइट एंड साउंड नाट्य प्रस्तुति में दिखेगा गुरु तेग बहादुर का बलिदान

रविवार को सूरसदन में उप्र पंजाबी अकादमी एवं आगरा विकास प्राधिकरण के संयुक्त प्रयास से होगा कार्यक्रम। तीन घंटे के कार्यक्रम में दिखाया जाएगा गुरु तेग बहादुर साहिब का जीवन। कार्ड से मिलेगा प्रवेश। सूरसदन में गुरु तेग बहादुर पर आधारित शो की प्रस्तुति।

By Nirlosh KumarEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 03:44 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 03:44 PM (IST)
Hind ki Chadar: लाइट एंड साउंड नाट्य प्रस्तुति में दिखेगा गुरु तेग बहादुर का बलिदान
रविवार को सूरसदन में गुरु तेग बहादुर पर आधारित शो की प्रस्तुति।

आगरा, जागरण संवाददाता। गुरु तेग बहादुर साहिब के 400 साला प्रकाश पर्व को समर्पित लाइट एंड साउंड नाट्य प्रस्तुति गुरु तेग बहादुर-हिंद की चादर का मंचन 26 सितंबर को सूरसदन प्रेक्षागृह में होगा। गुरु तेग बहादुर से आगरा का इतिहास भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने यहीं से गिरफ्तारी दी थी।

गुरुद्वारा गुरु का ताल में हुई प्रेसवार्ता में गुरुद्वारा गुरु का ताल के मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि नाट्य प्रस्तुति का मंचन पटियाला के पंजाबी रंगमंच के कलाकारों द्वारा किया जाएगा। गुरु तेग बहादुर साहिब ने हिन्दू धर्म की रक्षा की खातिर अपना बलिदान दिया, इसीलिए उन्हें हिंद की चादर कहा जाता है। संयोजक बंटी ग्रोवर ने बताया कि यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी एवं आगरा विकास प्राधिकरण के संयुक्त प्रयास से हो रहा है। कार्यक्रम तीन घंटे का होगा। इस नाट्य प्रस्तुति में गुरु तेग बहादुर साहिब के जीवन को दिखाया जाएगा। गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी द्वारा प्रदेश के विभिन्न शहरों में इसी तरह के शो करवाए जा रहे हैं। वीर महेंद्र पाल सिंह ने बताया कि प्रवेश कार्ड से होगा। कार्यक्रम में कोविड गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन होगा। प्रेसवार्ता में कंवलदीप सिंह, उपेंद्र सिंह लवली, गुरमीत सिंह सेठी, दलजीत सिंह सेतिया, हरपाल सिंह, मनजीत सिंह चौधरी, मास्टर गुरनाम सिंह आदि मौजूद थे।

गुुरु तेग बहादुर ने गुरुद्वारा गुरु का ताल से दी थी गिरफ्तारी

सिख धर्म के नवें गुरु तेग बहादुर ने हिंदू धर्म की खातिर अपना बलिदान देने को आगरा स्थित गुरुद्वारा गुरु का ताल से ही गिरफ्तारी दी थी। वो सिकंदरा के नजदीक एक तालाब के किनारे अपने शिष्यों के साथ रुके थे। यहां चरवाहे हसन अली को उन्होंने अपनी अंगूठी और दुशाला देकर मिठाई लाने का आदेश किया था। हलवाई ने शक होने पर मुगल सैनिकों को इसकी जानकारी दे दी। कोतवाल ने उन्हें यहां बंदी बना लिया था। उन्हें उन्हें जिस स्थान पर रखा गया था, वो जगह भोरा साहिब के नाम से जानी जाती है।

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