गुप्त दान से छप्पर फाड़ के होगा पुण्य का उदय

महाराजा अग्रसेन भवन लोहामंडी में आचार्य ज्ञानचंद्र महाराज ने दिए प्रवचन

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 08:34 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 08:34 PM (IST)
गुप्त दान से छप्पर फाड़ के होगा पुण्य का उदय
गुप्त दान से छप्पर फाड़ के होगा पुण्य का उदय

आगरा, जागरण संवाददाता। जिदगी को सुख, शांति व समृद्धि के साथ गुजारने के लिए आवश्यक है कि घर में किसी न किसी की पुण्यवाणी ऊंची हो। जब घर में आर्थिक, शारीरिक परेशानियां बढ़ रही हों तो अपनी कमाई की पांच-10 फीसद आय जनकल्याण में लगाएं। यही हिसाब आपकी पुण्यवाणी बढ़ाता जाएगा। अगर गुप्त दान दिया है तो फिर पुण्य का उदय छप्पर फाड़ के होगा।

महाराजा अग्रसेन भवन, लोहामंडी में श्वेतांबर स्थानकवासी जैन ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आचार्य ज्ञानचंद्र महाराज ने मंगलवार को यह प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि आज का पिता सोचता है कि मेरे दो बेटे हैं। उन दोनों के लिए दो धंधे, दो मकान, दो गाड़ियां हो जाएं, उनकी शादी हो जाए उनके बच्चे हो जाएं, बस मेरा कर्तव्य पूरा हुआ। उनसे पूछा जाए कि क्या, आपके पिताजी ने भी आपके लिए ऐसा ही किया था। जहां एक व्यक्ति के 10-10 बच्चे हुए करते थे। उन्होंने किस-किस के लिए व्यापार-धंधे कराए। उन्होंने अपने बच्चों को धनवान नहीं, पुण्यवान बनाया। यही कारण है कि पुराने लोग कम पढ़े-लिखे थे, तब भी बहुत पैसा कमा लिया और सुखी भी हैं। आज भी आपको अगर परिवार को सुखी बनाना है तो उसे पुण्यवान बनाइए। संतों के सानिध्य में लाइए, जिनवाणी सुनाइए, जीवन समृद्धिवान बन जाएगा।

सदैव चमचमाता रहना चाहिए मंदिर का कलश

आगरा,जागरण संवाददाता। शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, हरीपर्वत में चल रही पा‌र्श्वनाथ कथा में मंगलवार को मुनि प्रणम्य सागर ने कहा कि जिन मंदिर के शिखर पर लगी मुख्य ध्वजा कपड़े की होनी चाहिए। हर तीन-चार माह में उसे बदला जाना चाहिए। इसी तरह मंदिर के शिखर पर चढ़ा कलश भी सदैव चमचमाता रहना चाहिए। यह महान मंगलकारी होते हैं। मुनिश्री ने कहा कि मंदिर के प्रांगण में अगर जगह है तो दस चिह्न युक्त ऊंची ध्वजा चमचमाती पीतल या स्टील की राड में मंदिर के प्रवेश मार्ग पर लगानी चाहिए। अगर यह संभव न हो तो शिखर पर ही मध्य में मुख्य ध्वजा और उसके चारों ओर अन्य ध्वजा लगानी चाहिए। मानस्तंभ या ध्वज दंड, मंदिर में विराजमान मूल प्रतिमा से बारह गुना बड़ा होना चाहिए। आगरा दिगंबर जैन परिषद के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद जैन, महामंत्री सुनील जैन, राजकुमार जैन राजू, अनंत जैन, मनोज जैन, निर्मल मोठ्या, संजय जैन, हीरालाल बैनाड़ा, निरंजनलाल बैनाड़ा, विमल जैन, संजय जैन, मनीष जैन आदि मौजूद रहे। संयम की राह पर चलने वाला कहलाता है रागी

आगरा,जागरण संवाददाता। निर्मल सदन, छीपीटोला में मंगलवार को प्रवचन करते हुए मुनि वीर सागर ने कहा कि जो संयम की राह पर चलता है, वही रागी कहलाता है। एक संयम बाहर का होता है, एक संयम भीतर का होता है। बाहर के संयम में व्रत, उपवास, नियम आदि करता है। भीतर के संयम के लिए तन के साथ मन को तपाना होगा। मन की विकृति को राख करना होगा। भीतर का संयम आत्मा को तपाता है। तपने के बाद आनंद की अनुभूति, खुशी पैदा होगी। जब तक जीवन में उत्साह, आनंद पैदा नहीं होगा, तब तक विशुद्धि नहीं बढ़ेगी। भीतरी संयम की पकड़ से विशुद्धि आती है। मुनि धवल सागर ने कहा कि दस लक्षण पर्व में श्रावक संस्कार शिविर और बाल संस्कार शिविर का आयोजन होने जा रहा है।

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