ताजनगरी में जंगल बनाने के लिए खोदे गए थे गड्ढे, यहां तो उल्‍टा पेड़ों पर चल रही कुल्हाड़ी

नगला बूढ़ी के पास मऊ वन ब्लाक की भूमि पर खड़े हैं बबूल के पेड़। ईंधन के लिए काट रही महिलाएं आय का साधन भी बनी सूखी लकड़ी। वन विभाग ने यहीं पर वर्ष 2020 में पौधारोपण होने का बोर्ड भी लगा रखा है।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 11:31 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 11:31 AM (IST)
ताजनगरी में जंगल बनाने के लिए खोदे गए थे गड्ढे, यहां तो उल्‍टा पेड़ों पर चल रही कुल्हाड़ी
नगला बूढ़ी में वन विभाग में पौधारोपण के लिए खोदे गए गड्ढे।

आगरा, जागरण संवाददाता। जिस वन ब्लाक में जंगल बनाने के लिए वन विभाग ने जेसीबी मशीन से खोदाई कराकर गड्ढे बनवाए थे। अब उन्हीं उसी जगह ग्रामीणों की कुल्हाड़ी पेड़ों पर चल रही है और गड्ढे सूने पड़े हैं। यह सूखी लकड़ी महिलाओं की आय का साधन भी बन रही है।

दरअसल, नगला बूढ़ी के पास मऊ वन ब्लाक में वन विभाग का जोन कार्यालय है। इस कार्यालय के सामने वन भूमि है। वन भूमि पर काफी तादाद में बबूल के पेड़ हैं। इन्हाेेंने पेड़ बचाने और दूसरे पौधे लगाने के लिए वन विभाग ने जेसीबी मशीन से खोदाई कराकर गड्ढे बनवाए थे। वन विभाग ने यहीं पर वर्ष 2020 में पौधारोपण होने का बोर्ड भी लगा रखा है, लेकिन मौजूदा हालत यह है कि यहां केवल बबूल के पेड़ हैं और गड्ढों में बीज बुवाई से उगने वाली पौधे भी दिखाई नहीं दे रही है। जबकि वन विभाग का बोर्ड कंजी, पापड़ी, अर्रु, कट सागौन, शीशम, लिसोड़ा, देसी बबूल सहित अन्य प्रजातियों के 11 हजार पौधों लगाने का दावा कर रहा है।

40 रुपये की पांच किलोग्राम लकड़ी

यहां बबूल के पेड़ों पर नगला बूढ़ी की महिलाएं कुल्हाड़ी चला रही हैं। इन महिलाओं के अनुसार लकड़ी को सुखाकर ईंधन बना लिया जाता है। बाद उसे बेचा दिया जाता है। दुकानदार सूखी लकड़ी को 40 रुपये में पांच किलोग्राम खरीदते हैं। ये महिलाएं दिनभर में तीन-तीन बार चक्कर लगाती हैं। यही कारण है कि नगला बूढ़ी के काफी घरों में गैस की बजाय महिलाएं चूल्हे में लकड़ियों का प्रयोग करती हैं। 

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