जागरण विमर्श: सत्ता के दुरुपयोग को अधिकार समझ रहे राजनीतिक दल
आगरा कॉलेज के राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष अरुणोदय वाजपेयी ने रखे विचार। कहा नेता के गलत आचरण का हम विरोध करें उसे वोट न देकर दंडित भी करें।
आगरा, आशीष कुलश्रेष्ठ। वर्तमान परिदृश्य में राजनीति में तेजी से गिरावट आई है। संसद हो या फिर कोई अन्य सरकारी दफ्तर, जनप्रतिनिधियों और लोगों में बहस का स्तर गिर रहा है। राजनीतिक दल सत्ता के दुरुपयोग और महज विरोध के लिए मुद्दा विहीन विरोध को अपना अधिकार समझ बैठे हैं। जब तक जनता से उन्हें दंड नहीं मिलेगा, हालात सुधरने वाले नहीं। यह कहना है आगरा कॉलेज के राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष अरुणोदय वाजपेयी का। वे सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित विमर्श में विचार व्यक्त कर रहे थे।
'राजनीतिक विमर्श का घटता स्तर कैसे सुधरे' विषय पर उन्होंने कहा कि राजनीति का पतन एक दिन में नहीं हुआ। इनके पांच प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से राजनीतिक विमर्श का स्तर गिरा है। इसमें राजनीतिक प्रशिक्षण, आंतरिक प्रजातंत्र, मुद्दा का अभाव और सामाजिक स्वीकार्यता और क्षेत्रीय दलों का बढ़ता दायरा शामिल है। राजनीति में जो पैसा और पावर के आधार पर आता है उससे विमर्श का स्तर बनाए रखने की अपेक्षा बेमानी है। जो शख्स कड़े संघर्ष के बाद राजनीति में आया, उसके निश्चित ही विचार अच्छे होंगे। दूसरा पहलू ये भी है कि वर्तमान में विचारधारा के स्थान पर व्यक्ति या नेता हावी हैं। वह जनता की पसंद नहीं जानना चाहता बल्कि उन पर अपने विचार थोपता है। महज प्रसिद्धि पाने के लिए वह विरोधियों पर जुबानी हमले करता है। उन्होंने बसपा के एक चर्चित नारे का उल्लेख करते हुए कहा कि कालांतर में सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर उन्हीं बिरादरियों के नेताओं ने वर्ष 2007 में बसपा का दामन थाम लिया जो उस नारे के माध्यम से बसपा के निशाने पर थे। यह प्रत्यक्ष उदाहरण है कि आमजन ऐसे नेताओं के गलत आचरण की चर्चा तो करता है लेकिन सामाजिक स्वीकार्यता देने से परहेज नहीं कर पाता।
गांधीजी ने अंग्रेजों को ऐसे ही नहीं भगा दिया था
1920 में गांधीजी ने अंग्रेजों को ऐसे ही थोड़े भगा दिया था। उन्होंने कहा था कि हम अंग्रेजों का सहयोग नहीं करेंगे। यही भावना यदि हम रखें तो नेता यूं बदजुबानी न करेंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी गलत नेता, किसी भी राजनीतिक दल का हो, कितना ही भ्रष्ट क्यों न हो, वोट सबको चाहिए। हम उसका विरोध करें और उसे वोट न देकर दंडित करें, तभी घटते मूल्यों को बचाया जा सकता है।
अमेरिका और भारत के चुनावों में काफी अंतर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यदि किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ाना चाहें तो ऐसा नहीं कर सकते। उनसे पहले वहां की समिति उसे चुनेगी। तभी वह चुनाव लड़ पाएगा लेकिन भारत में ऐसा नमुमकिन है। भारतीय लोकतंत्र किसी भी व्यक्ति को चुनाव लड़ा सकता है। ऐसे लोग राजनीति में थोपे गए हैं।