National Rose Day: मुनाफे की महक से बढ़ता गया गुलाब की खेती का रकबा, आलू छोड़ फूल में बढ़ रही दिलचस्‍पी

राष्ट्रीय गुलाब दिवस पर विशेष। आगरा जिले के फतेहाबाद शमसाबाद सैंया और मलपुरा में 150 बीघा खेतों में होती है गुलाब की खेती। आलू की फसल में नुकसान होने पर किसानों ने बतौर प्रयोग शुरू की थी गुलाब की खेती।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 09:21 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 09:21 AM (IST)
National Rose Day: मुनाफे की महक से बढ़ता गया गुलाब की खेती का रकबा, आलू छोड़ फूल में बढ़ रही दिलचस्‍पी
किसानों के लिए आलू से ज्‍यादा गुलाब मुनाफेे का सौदा साबित हो रहा है।

आगरा, अली अब्‍बास। तस्वीर जिंदगी की बनाते हैं सब यहां, लेकिन चाहते हैं बनती हैं वैसी कहां। हर आरजू पूरी हो होता ऐसा अगर, फूलों के साथ न होता कांटों का ये सफर। कहावत है कामयाबी का रास्ता काटों से होकर गुजऱता है। आगरा के कुछ किसानों के साथ भी यही हुआ। आगरा में कांटों से होकर निकली मुनाफे की महक ने किसानों को नई राह दिखाई। उन्होंने आलू की फसल में नुकसान से बचने के लिए बतौर प्रयोग गुलाब की खेती शुरूआत की। करीब दो दशक पहले किए गए इस प्रयोग की महक कुछ इस तरह से फैली की यह साल दर साल इसका रकबा बढ़ता गया। आगरा जिले में वर्तमान में 150 बीघा में किसान गुलाब की खेती कर रहे हैं। गुलाब के फूल नकद फसल के रूप में उन्हें मुनाफा दे रहे हैं।

जिले में कांटों के साथ मुनाफे की यह कहानी करीब दो दशक पहले शुरू हुई। बताते हैं बमरौली कटारा के कुछ किसानों को आलू की खेती में काफी नुकसान हो गया था। यह किसान उद्यान विभाग बीज के सिलसिले में यहां कृषि विशेषज्ञों से मिलने आए थे। उनसे बातचीत के दौरान आलू की खेती में नुकसान के बारे में बताने लगे। कृषि विशेषज्ञों ने इन किसानों को गुलाब की खेती करने की सलाह दी। इस पर एक किसान ने आलू की अगली फसल में बतौर प्रयोग एक बीघा में गुलाब की खेती की। चार महीने में ही गुलाब की फसल तैयार हो गई। गुलाब के यह फूल आलू से पहले हाथों-हाथ नकद बिक गए।

पहली फसल में ही मुनाफा होने पर किसान काे हौसला मिला। उसने गुलाब की खेती का रकबा बढ़ा दिया। गुलाब के फूलों से मुनाफे की यह महक आसपास के अन्य किसानों तक भी पहुंची। उन्होंने भी गुलाब की खेती अपने यहां शुरू कर दी। देखते ही देखते बमरौली कटारा से गुलाब की खेती की यह महक शसमसाबाद के गांवों नगला बीच, गुलवापुरा, नवादा, नगला सूरजभान के अलावा सैंया के किसानों ने गुलाब की खेती को अपना लिया। किसानों को अपनी फसल तैयार होने के बाद सीधे बाजार में नकद बेच रहे हैं। इससे उनकी आय का स्रोत बढ़ाया है।

गुलाब के यह फूल मंदिरों में वढ़ाने के अलावा माला बनाने और सजावट में काम आते हैं। इसके चलते यह बाजार में तत्काल बिक जाते हैं। जबकि आलू की फसल की खुदाई कराने के बाद उन्हें रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज खोजना पड़ता है।्र

पौध के बाद कलम भी दे रही मुनाफा

गुलाब का एक पौधा कई फसल देता है। इस पौधे को काटकर कलम बनाकर दूसरी जगह लगा देने पर वह भी चार महीने में फूल देने लगता है। कलम की बिक्री से भी किसान को मुनाफा होता है। वहीं इसकी पंखुडी से गुलाब जल, गुलकंद व आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती हैं। इसके चलते किसान इन्हें भी बाजार में बेचकर मुनाफा कमाते हैं।

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