आगरा में शहर से गांव तक बेसहारा गोवंश का आतंक, आश्रय देने को बड़ी मशक्कत
फसलों को पहुंचा रहे नुकसान बाजार में लोगों को कर रहे चोटिल। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूर्व में दिए गए आदेश के बाद बनाए गए थे गोआश्रय स्थल। गोवंश की संख्या के आगे ये इंतजाम साबित हो रहे हैं नाकाफी।
आगरा, जागरण संवाददाता। पीपल मंडी तिराहे के निकट बुधवार दोपहर सुबह 11 बजे तीन बेसहारा गोवंश सड़क पर पड़ी गली हुई सब्जी खा रहे थे। निकट स्थित सब्जी विक्रेता के यहां महिलाएं सब्जी खरीद रही थीं, इसी बीच दो गोवंश में आपस में तनातनी हो गई। खाने की जल्दी में दोनों शांत हो गए, जिससे घने बाजार में माहौल बिगड़ने से रह गया। शहर के पुराने बाजारों और संकरी गलियों में रोज ऐसे दृश्य देखे जा सकते हैं और राहगीर चोटिल भी होते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में फसलों के लिए बेसहारा गोवंश संकट बने हुए हैं। आलू की फसल को रौंद रहे हैं, तो सरसों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। खेरागढ़ के किसान राजेंद्र ने बताया कि तीन दिन पहले आलू में पानी लगा रहे थे। गोवंश का झुंड आ गया, जिससे भतीजा चोटिल हो गया। एत्मादपुर के किसान हरीओम ने बताया कि गोवंश ने फसलों को जमकर नुकसान पहुंचा रहे हैं। रोज मुश्किल हाेती है।
ये है आंकड़ा
- जिले में सरकारी गो आश्रय हैं, छह
(तीन बाईंपुर में, एक नगर निगम की कान्हा गोशाला, चीत गोशाला और कोलारा कलां गोशाला)
- निर्माणाधीन गो आश्रय स्थल, 2
(किरावली के गोबरा गांव और बाह के कुकथरी )
- प्रति गोवंश प्रतिदिन आवंटित बजट, 30 रुपये
- जिले में विभिन्न आश्रय स्थलों में गोवंश, 13500 हजार
- सरकारी छह गोशालाओं में गोवंश, छह हजार
- जिले में कुल निजी गोशाला, 21
- निजी गोशाला में मौजूद गोवंश, 7500
- पशु चिकित्साधिकारी के अनुसार जिले में बेसहारा गोवंश, 16916
- सबसे अधिक बेसहारा गोवंश फतेहाबाद रोड, शमसाबाद रोड, बाह, सैंया, पिनाहट क्षेत्र में घूमते हैं।
मुख्यमंत्री सहभागिता योजना
- जिले में बांटे गए गोवंश- 970
- गोद लेने वाले कुल पालक- 864
- पालकों को शासन की ओर से तीस रुपये प्रति गोवंश मासिक मदद दी जाती है।
बेसहारा गोवंश को आश्रय स्थलों में पोषित किया जा रहा है। दो गो आश्रय स्थल निर्माणाधीन हैं। पालकों के सहयोग से भी गोवंश को संरक्षित किया जा रहा है।
प्रभु एन सिंह, जिलाधिकारी