तीर्थंकर कुंथुनाथ का जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक मनाया
शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में हुई शांतिधारा व अभिषेक चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर शैली के परिवारों ने की आरती
आगरा, जागरण संवाददाता। जैन धर्म के 17वें तीर्थंकर कुंथुनाथ भगवान का जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक बुधवार को मनाया गया। शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, हरीपर्वत में अभिषेक, शांतिधारा व पूजन कर निर्वाण लाड़ू चढ़ाया गया। वहीं, चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर, कटरा इतवारी खां नाई की मंडी शैली के जैन परिवार ने आनलाइन आरती की।
शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में मुनि मेरुभूषण और मुनि विशोक सागर के सानिध्य में कार्यक्रम हुआ। मुनि विशोक सागर ने कहा कि कुंथुनाथ भगवान ऐसे तीर्थंकर हैं, जो एक साथ तीन पद तीर्थंकर, चक्रवर्ती एवं कामदेव पद के धारक हैं। उन्होंने तीर्थ धर्म को चलाया, जो स्वयं तिरते हैं और सभी जीवों को तिराते हैं, वे तीर्थंकर होते हैं। चक्रवर्ती चक्र को चलाने वाले व धारण करने वाले होते हैं। जो छह खंड के अधिपति होते हैं, जो समस्त राजाओं के राजा होते हैं। कामदेव 169 महापुरुषों में होते हैं, जो सबसे सुंदर होते हैं और जिन्हें देखकर सभी मोहित व आकर्षित हो जाते हैं। कुंथुनाथ भगवान का जन्म हस्तिनापुर में कुरु वंश में हुआ था। इनके पिता राजा सूरसेन और माता श्रीमती थीं। इनका जन्म बैसाख शुक्ल प्रथमा को हुआ था। इसी दिन उन्होंने दीक्षा धारण की थी और इसी दिन सम्मेद शिखर जी में मुक्ति को प्राप्त किया था।
चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर, कटरा इतवारी खां नाई की मंडी शैली के जैन परिवारों ने आनलाइन जिनेंद्र मंगल आरती की। इसमें 40 परिवारों के सदस्यों ने अपने-अपने निवास पर रहकर आरती की। संचालन राजेश जैन बैनाड़ा ने किया। आरती में निर्मल जैन, सुरेंद्र जैन, संजीव जैन, नीरज जैन, अंकुर जैन, राकेश जैन, अमित जैन, विभु जैन आदि शामिल हुए।