Taj Mahotsav: फरवरी में हर साल तालियों की गूंज से गूंजने वाला शिल्‍पग्राम रह गया 'खामोश'

शिल्पग्राम में इस बार नहीं हो रहा है ताज महोत्सव का आयोजन। समिति ने कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते आयेजन नहीं कराने का लिया था निर्णय। प्रतिवर्ष 18 से 27 फरवरी तक होता रहा है शिल्प कला संस्कृति व व्यंजनों का उत्सव।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Thu, 18 Feb 2021 03:46 PM (IST) Updated:Thu, 18 Feb 2021 03:46 PM (IST)
Taj Mahotsav: फरवरी में हर साल तालियों की गूंज से गूंजने वाला शिल्‍पग्राम रह गया 'खामोश'
आगरा में ताजमहल के पूर्वी गेट पर स्थित शिल्‍पग्राम।

आगरा, निर्लोष कुमार। मैं शिल्पग्राम हूं। ताज के शहर में होने वाले कला, शिल्प, संस्कृति और व्यंजनों के एकमात्र उत्सव 'ताज महोत्सव' का गवाह। तीन दशकों में हर साल हुए महोत्सव से जुड़ी यादें आज भी मेरे जेहन में ताजा है। 18 फरवरी की शाम मुझे खूब सजाया-संवारा जाता था। देश के कोने-कोने से आए शिल्पी दुकान सजाते थे। मंच पर प्रस्तुतियां देते कलाकारों का उत्साहवर्धन कद्रदान तालियां बजाकर करते थे। पिछले वर्ष भी दुनिया में कोरोना वायरस के संक्रमण की दस्तक के बावजूद बच्चों और युवाओं के चेहरों पर उमंग आैर उत्साह था। आज भी 18 फरवरी है, लेकिन मैं 'खामोश' हूं। ना तैयारियों का शोर है और न अतिथियों के आगमन की प्रतीक्षा। कोरोना के बहाने अफसरों ने महोत्सव ही नहीं कराया, जबकि अन्य शहरों में महोत्सव की शाम कलाकारों के फन से झंकृत हो रही हैं।

मेरे आंगन में प्रतिवर्ष 18 से 27 फरवरी तक ताज महोत्सव का आयोजन होता रहा है। वर्ष 2012 व 2017 में विधानसभा चुनाव के चलते महोत्सव मार्च में हुआ। तीन दशकों से देश के कोने-कोने से आने वाले कलाकारों के हुनर और शिल्पियों की कला को कद्रदानों की कद्र मिलते देख मुझे स्वयं पर गर्व महसूस होता था। मेरे आंगन में गूंजते सुरों पर झूमते युवाओं के खिले चेहरे और वंस मोर, वंस मोर की डिमांड मुझे भरोसा दिलाते थे कि शहरवासियों का भरपूर प्यार यूं ही महोत्सव को मिलता रहेगा तो मैं भी सजाया-संवारा जाता रहूंगा। इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण का हवाला देकर अफसरों ने महोत्सव नहीं कराने का निर्णय लिया तो मेरा दिल टूट गया। मेरे आंगन में अफसरों के संग महोत्सव की बगिया महकाने वाले भी खामोश बने रहे। अफसर तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन अपने ही शहर के लोगों की बेरुखी से मैं अधिक आहत हूं। उन्होंने जरा आवाज उठाई होती तो बड़े स्तर पर ही ना सही, छोटे स्वरूप में महोत्सव जरूर हो रहा होता। मुझे सजाया-संवारा जाता। मैं निराश जरूर हूं, लेकिन अास नहीं छोड़ी है। वैक्सीनेशन की शुरुआत हो चुकी है। मुझे उम्मीद है कि अगले वर्ष मेरे आंगन में बहार फिर लौटेगी। एक बार फिर मंच झंकृत होगा। ताजमहल के साये में गीत गुनगुनाए जाएंगे। शास्त्रीय रागों पर कलाकारों के नृत्य की जुगलबंदी देखने को मिलेगी। कलाकारों और शिल्पियों को कद्रदान मिलेंगे।

प्रशासन ने नहीं ली दिलचस्पी

ताज महोत्सव के अायोजन को ताज महोत्सव आयोजन समिति बनी हुई है। तीन दशकों से समिति ही महोत्सव का आयोजन करती आ रही है। समिति में कमिश्नर पदेन अध्यक्ष, डीएम पदेन उपाध्यक्ष और उपनिदेशक पर्यटन पदेन सचिव हैं। अन्य संबंधित विभागों के अफसर भी समिति से जुड़े हुए हैं। इस बार अफसरों ने ताज महोत्सव के आयोजन में कोई दिलचस्पी नहीं ली, जिससे आयोजन नहीं हो सका।

आसान था भीड़ प्रबंधन

ताज महोत्सव में प्रवेश शुल्क लागू है। दर्शकों को टिकट या पास से ही प्रवेश मिलता है। गोरखपुर व अलीगढ़ महोत्सव में प्रवेश शुल्क लागू नहीं है, लेकिन गोरखपुर व अलीगढ़ में महोत्सव हुए। ताज महोत्सव में प्रवेश शुल्क लागू होने से भीड़ प्रबंधन आसान था। आयोजन समिति दर्शकों की संख्या तय कर सकती थी।

वर्ष 1992 में हुई थी शुरुआत

ताज महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1992 में शिल्पियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से की गई थी। इससे पूर्व यहां शरद महोत्सव का आयोजन होता था। शुरुआत में मिट्टी व गोबर से लिपाई कर शिल्पग्राम को देसी रंगत दी जाती थी। वर्ष 2000 के बाद महोत्सव का स्वरूप बदल गया। देसी रंग गायब होने से यह ग्लैमराइज हो उठा।

यह कलाकार दे चुके हैं प्रस्तुतियां

दुनियाभर में प्रसिद्ध देश के कलाकार ताज महोत्सव में प्रस्तुतियां देकर इसका मान बढ़ा चुके हैं। भारत रत्न स्व. पं. भीमसेन जोशी, पदम विभूषण पं. जसराज, हरिप्रसाद चौरसिया, पं. शिव कुमार शर्मा, उस्ताद अमजद अली खान, पदम विभूषण राजन-साजन मिश्र, बेगम परवीन सुल्ताना, जगजीत सिंह ताज महोत्सव की शान बन चुके हैं। हेमा मालिनी, मीनाक्षी शेषाद्रि, पंकज उदास, अनूप जलोटा, हरिहरन, शंकर महादेवन, उदित नारायण, अलका याज्ञनिक, इस्माइल दरबार, सोनू निगम, शान, सुनिधि चौहान, फाल्गुनी पाठक, सुदेश भोंसले, सुखविंदर, जसवीर सिंह जस्सी, वडालु ब्रदर्स, कामेडियन कपिल शर्मा, सुनील पाल, राजू श्रीवास्तव, राजा रेंचो महोत्सव में प्रस्तुतियां दे चुके हैं। 

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