Jagran Impact: पद्मश्री सुदेवी को मिल गया गोवंश की सेवा का एक्सटेंशन
जर्मन गोभक्त फ्रेडरिक इरिन ब्रूनिंग (सुदेवी) के वीजा की अवधि एक साल बढ़ी। वीजा अवधि बढऩे से गदगद सुदेवी ने दैनिक जागरण का आभार जताया।
आगरा, रसिक शर्मा। जर्मन गोभक्त फ्रेडरिक इरिन ब्रूनिंग में बेजुवान के दर्द को समझने की अद्वितीय क्षमता है। इस शैली ने इनको पद्मश्री सम्मान भी दिलाया और प्रशासन को वीजा अवधि बढ़ाने पर मजबूर कर दिया। गोवंश की यह'मदर टेरेसा' अब वापस अपने वतन नहीं जाएंगी। चार दशक पूर्व अपना वतन गोसेवा के लिए छोड़ भारत में आकर बसीं फ्रेडरिक इरिन ब्रूनिंग (सुदेवी) की वीजा अवधि एक वर्ष के लिए और बढ़ गई है। बेसहारा और असहाय गोवंश की सेवा के लिए सुदेवी को भारत सरकार ने इसी वर्ष पदमश्री से सम्मानित किया है। उनके वीजा की अवधि 25 जून तक की थी जोकि अब एक वर्ष के बढ़ गई है। यह समाचार सुन सुदेवी का मुरझाया चेहरा खिल उठा। दैनिक जागरण का आभार जताते हुए सुदेवी ने बताया कि वे जीवन की अंतिम सांस तक ब्रज में रहकर गोवंश की सेवा करना चाहती हैं।
बता दें कि निवर्तमान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गोवर्धन में रह रहीं जर्मन की मूल नागरिक फ्रेडरिक इरिन ब्रूनिंग (सुदेवी) का वीजा विस्तार आवेदन निरस्त होने की रिपोर्ट तलब की थी। सुदेवी ने 12 मई को लखनऊ स्थित एफआरओ (फॉरेन रजिस्ट्रेशन ऑफिस) में ऑनलाइन आवेदन किया था। 22 मई को बगैर कोई कारण बताए आवेदन निरस्त कर दिया गया। व्यथित सुदेवी ने पदमश्री सम्मान वापस कर जर्मन लौटने की घोषणा कर दी। 'दैनिक जागरण' में इस घटनाक्रम की प्रकाशित खबर से पूरे ब्रज क्षेत्र में हलचल मच गई। रविवार को निवर्तमान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया था कि उन्हें पूरी जानकारी मिल गई है, सुदेवी की वीजा विस्तार आवेदन निरस्त करने की रिपोर्ट तलब की गई है। सोमवार को सुदेवी ने दोबारा ऑनलाइन एप्लाई किया तो कुछ समय बाद ही रिप्लाई में वीजा की अवधि एक साल को बढ़ा दी गई। वह स्टूडेंट वीजा पर हैं, जिसकी अवधि हर साल बढवानी पढ़ती है। वह जीवा वैदिक अध्ययन संस्थान, शीतल छाया, रमण रेती वृंदावन में श्रीमछ्वागवत का अध्ययन भी करती हैं। वीजा अवधि बढऩे पर वह खुशी से चहक उठीं, और गोवंश को दुलारने लगीं। इरिन ने बताया कि वीजा अवधि भगवान और गोमाता की कृपा से बढ़ी है। उन्होंने दैनिक जागरण को तहेदिल से धन्यबाद भी दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि यह सिर्फ गोशाला नहीं बल्कि गोवंश का अस्पताल है। घायल, असहाय और वृद्ध गोवंश की सूचना पर वह तत्काल अपनी एम्बुलेंस भेजती हैं, और सेवा में जुट जाती हैं। अब वह उत्तराखंड में गंगोत्री दर्शन को जा रही हैं। उन्होंने बताया कि वह प्रतिवर्ष गंगा के उदगम स्थल गंगोत्री जाती हैं, तथा अंतिम सांस तक गोसेवा करना चाहती हैं।
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