पड़ोस की दुकान, एप से मंगाएं सामान, नहीं होगी दिक्कत

दुकानों पर भीड़ कम करने को चार दोस्तों ने तैयार किया एप दयालबाग क्षेत्र के 25 से ज्यादा छोटे व्यापारी जुड़े आत्मनिर्भर भारत के तहत इंजीनियरिंग के छात्रों ने किया कमाल

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 08:34 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 01:20 AM (IST)
पड़ोस की दुकान, एप से मंगाएं सामान, नहीं होगी दिक्कत
पड़ोस की दुकान, एप से मंगाएं सामान, नहीं होगी दिक्कत

आगरा, (प्रभजोत कौर)। लाकडाउन के दौरान गली-मुहल्ले की दुकानों पर लगने वाली भीड़ कोरोना संक्रमण के फैलाव का कारण बन रही थी। दैनिक उपयोग की वस्तुएं खरीदने वाले लोगों को रोकना सहज भी नहीं था। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत के तहत सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए चार दोस्तों ने एक एप बनाया। नाम दिया नोगोजो यानी नो नीड टू गो। इस निश्शुल्क योजना से अब तक दयालबाग क्षेत्र के 25 छोटे व्यापारी जुड़ चुके हैं।

दयालबाग निवासी युगल अग्रवाल आइआइटी बीएचयू से सिविल इंजीनियरिंग, सम्यक जैन आइआइटी मुंबई से कैमिकल इंजीनियरिंग, दुष्यंत प्रताप और अनुज शर्मा ट्रिपल आइटी ग्वालियर से आइटी इंजीनियरिंग कर रहे हैं। चारों बचपन के दोस्त हैं। एक साथ दसवीं तक पढ़े, फिर एक साथ इंजीनियरिंग की कोचिंग ली। लाकडाउन में घर आने पर चारों की आनलाइन पढ़ाई शुरु हो गई। शहर में लगातार कोरोना संक्रमण के बढ़ते केसों के बीच आसपास की दुकानों पर जुटने वाली भीड़ ने उन्हें चिंता में डाल दिया। आइडिया क्लिक किया कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए, जिससे लोगों को दुकानों तक जाने की जरूरत ही न पड़े। इसके बाद उन्होंने एप और वेबसाइट पर काम शुरू किया। चार महीने की मेहनत के बाद तैयार एप दुर्गा नवमी से नोगोजो नाम से प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। उसकी टैग लाइन है नो नीड टू गो व्हेन यू हैव नोगोजो।

------------------

ऐसे काम करता है एप

प्ले स्टोर से एप डाउनलोड करने के बाद दुकानों और दुकानदारों की पूरी लिस्ट सामने आ जाती है। दुकानदारों पर उपलब्ध वस्तुएं भी इस एप पर प्रदर्शित होती हैं। ग्राहक अपना आर्डर एप के माध्यम से देता है। इसमें दो विकल्प हैं, या तो ग्राहक खुद निश्चित समय में सामान ले या दुकानदार होम डिलीवरी करेगा। दोनों ही स्थिति में भुगतान सीधा ग्राहक और दुकानदार के बीच होता है।

------------------

एप से जुड़े ये व्यापारी

लगातार मार्केटिंग करने पर गली-मुहल्ले के दुकानदारों के साथ ही घर पर चाकलेट बनाने वाली युवती, कान्हा की पोशाक बनाने वाले और पंजाबी खाने की वैन चलाने वाले व्यापारी भी इस एप से जुड़ गए हैं। युगल बताते हैं कि यह बिजनेस माड्यूल नहीं है, इसलिए इस एप से जुड़ने की कोई फीस नहीं ली जाती है। भविष्य में हम धीरे-धीरे पूरे शहर के छोटे व्यापारियों को इससे जोड़ेंगे।

---------------------

एक महीने में शुरू होगी वेबसाइट

एप की डिजायनिंग अनुज ने की है। युगल के पास वेबसाइट और मार्केटिंग की जिम्मेदारी है। दुष्यंत और सम्यक ने वेबसाइट की डिजायनिंग की है। वेबसाइट को शुरु होने में अभी एक महीने का समय लगेगा।

chat bot
आपका साथी