Silver Ornaments: चांदी के अलंकार इस बार नहीं बढ़ा पाए मुंबई में बप्पा का ठाठ, नवरात्र पर भी रहेगा असर

कोरोना वायरस संक्रमण काल में आया ट्रेड मे आया बदलाव। दाम में वजनी हुआ तो घट गया आभूषण का वजन। महाराष्‍ट्र और गुजरात में पंडाल ज्‍यादा न सजने का सीधा असर आगरा के कारोबार पर। घट गई है आगरा में बनने वाली चांदी की पायलों की डिमांड।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 09:40 AM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 09:40 AM (IST)
Silver Ornaments: चांदी के अलंकार इस बार नहीं बढ़ा पाए मुंबई में बप्पा का ठाठ, नवरात्र पर भी रहेगा असर
लाल बाग के राजा के श्रृंगार के लिए आगरा से चांदी के आभूषण जाते थे।

आगरा, जागरण संवाददाता। मुंबई में गणेश चतुर्थी के मौके पर गणेश जी का चांदी के आभूषण व चिक मोती की माला से खूब श्रृंगार हुआ, लेेकिन इस बार आगरा के बजाय गुजरात के राजकोट से इन आभूषणों की आपूर्ति हुई है। महाराष्ट्र के मुंबई ही नहीं दक्षिण भारत के महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल में भी कोरोना संक्रमण केे चलते पिछले दो साल से यह आपूर्ति नही हो पा रही है। आगरा से सर्राफा उत्पादक कर्नाटक में आभूषण जरूर भेज रहे है पर वहां भी दाम बढ़ने केे कारण कम वजन के चांदी के आभूषण की मांग है। ऐसे में ट्रेड में बदलाव आया है। उत्पादकों ने 20 से 300 ग्राम वजन के बजाय आठ ग्राम से 100 ग्राम तक की चांदी की पायल भेजनी शुरू कर दी है।

आगरा में चांदी का कारोबार भी प्रतिदिन 30 करोड़ से घटकर 20 करोड़ पर आ गया हैंं। आगरा सराफा एसोसियेशन के अध्यक्ष नितेश अग्रवाल व महामंत्री अशोक कुमार अग्रवाल, श्री सर्राफा कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज गुप्ता व आगरा सर्राफा उत्पादक एसोसियेशन के अध्यक्ष पवन दौनेरिया के अनुसार आगरा में चांदी की पायल बनाने का उद्योग काफी पुराना है। पहले गुजरात के राजकोट में सबसे बड़ी मंडी होती थी पर अब उसका स्थान आगरा ने ले लिया है। करीब तीन लाख परिवार इस कारोबार से जुड़े हैं जिनमें करीब 50 हजार महिलाओं समेत 2 लाख कारीगर हैं। यहां से देशभर में पायल, मंगलसूत्र, चूडिय़ां, लौंग और पायजेब, गले की चैन, एंकलेट, चिक मोती की माला, सिक्के आदि की आपूर्ति हो रही है। पिछले दो साल से कम वजन के आभूषण पर सर्वाधिक जोर दिया जा रहा है। राजकोट में पायल की जोड़ी कम से कम 30 ग्राम चांदी की तैयार होती है, आगरा में वही जोड़ी 15 ग्राम चांदी की तैयार होती है, इसके बाद भी ट्रेन यातायात प्रभावित होने के कारण राजकोट के आभूषण की महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल मे आपूर्ति हो रही है। यदि आगरा से निजी वाहन या अन्य माध्यम से यह माल भेजा जाएगा तो रेट में कम से प्रति दस ग्राम पांच रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा, जबकि राजकोट से ट्रेन की सुविधा होने के कारण यह खर्चा नही आ रहा है। उन्होेंने बताया कि चांदी के अलावा प्लास्टिक और वुडन पायल भी लड़कियों के बीच काफी विख्यात है। इन दिनों पांवों की जगह सिर्फ एक ही पैर में पायल पहनने का ट्रेड भी जोरों पर है। इस ट्रेड में दाएं या बाएं किसी भी पैर में पायल पहन सकते हैं। फॉर्मल और कैजुअल दोनों तरह के अवसरों के लिए अलग-अलग तरह के डिजाइन में पायल उपलब्ध हैं। लड़कियों के कामकाजी होने के कारण अब घुंघरू वाली पायल का चलन काफी कम होने लगा है।

त्‍योहारी पर होती थी आभूषणों की सप्‍लाई

महाराष्‍ट्र तथा देश के अन्‍य प्रांतों में इस त्‍योहारी सीजन में आभूषणों की आगरा से बड़े पैमाने पर सप्‍लाई होती थी। गणेश चतुर्थी पर महाराष्‍ट्र तो नवरात्र में गुजरात में चांदी के आभूषण गणेश जी एवं मां दुर्गा को अर्पित किए जाने के अलावा युवतियां भी पहनने के लिए खरीदती थीं। गुजरात का गरबा तो खास है लेकिन काेरोना संक्रमण के चलते पंडाल न सजने से गरबा पर भी रोक लगी है, इसके लिए अब आभूषण खरीदे नहीं जा रहे हैं। सीधा असर आगरा के कारोबारियों पर आया है।

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