Janmashtmi 2020: जानिए उस स्थल के बारे में जहां लिये थे राधा− कृष्ण ने फेरे, आज भी मौजूद हैं प्रमाण

Janmashtmi 2020 मांट तहसील में स्थित भांडीरवन वह पवित्र स्थल है जहां ब्रह्माजी भगवान श्रीराधा-कृष्ण का विवाह करवाने के लिए आए थे।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sat, 08 Aug 2020 06:30 PM (IST) Updated:Sat, 08 Aug 2020 06:30 PM (IST)
Janmashtmi 2020: जानिए उस स्थल के बारे में जहां लिये थे राधा− कृष्ण ने फेरे, आज भी मौजूद हैं प्रमाण
Janmashtmi 2020: जानिए उस स्थल के बारे में जहां लिये थे राधा− कृष्ण ने फेरे, आज भी मौजूद हैं प्रमाण

आगरा, तनु गुप्ता। प्रेम की देवी राधा एवं प्रेमावतार श्रीकृष्ण इस धरती पर प्रेम का संदेश देने के लिए आए थे। प्रेम जो हर रिश्ते, हर बंधन से परे होता है। प्रेम जो निस्वार्थ होता है। जिस भाव में हर सवाल का अंत होता है एवं विश्वास का उदय होता है। प्रेम की इस युगल जोड़ी की तमाम प्रेम लीलाएं ब्रज के कण कण में बसी हैं। यदि आप ने कभी ब्रज यात्रा की है तो यकीनन उसे महसूस भी किया होगा। इन्हीं में से एक है श्रीराधा-कृष्ण का विवाह। जी हां, तमाम ग्रंथों में उल्लेख है, कहानियां हैं कि श्रीराधा-कृष्ण का विवाह नहीं हुआ था लेकिन ब्रज में एक स्थल है जहां उनके विवाह प्रसंग का उल्लेख मिलता है। कोरोना काल के बाद जब ब्रज भ्रमण पर आएं तो इस स्थल पर जाना न भूलें।  

भांडीरवन वह पवित्र स्थल है जहां ब्रह्माजी भगवान श्रीराधा-कृष्ण का विवाह करवाने के लिए आए थे। मांट तहसील में स्थित भांडीरवन पौराणिक स्थल है। पुराणों में उल्लेख है कि इसी भांडीर वन में ब्रह्माजी ने भगवान श्रीराधा-कृष्ण का विवाह सम्पन्न करवाया था। आज भी मंदिर में हाथ में वरमाला लिए राधाजी और श्रीकृष्ण एक-दूसरे के समक्ष खड़े हैं। ब्रह्माजी पुरोहित बनकर उनका विवाह संपंन कराते दर्शन दे रहे हैं।

पुराण एवं संहिता में उल्लेख

ब्रह्म वैभर्त पुराण एवं गर्ग संहिता में उल्लेख है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ढाई वर्ष के थे, तो उन्हें गोद में लेकर गोचारण के लिए भांडीरवन ले आए। अचानक घनघोर घटा छाने लगी और अंधेरा हो गया। तेज आकाशीय बिजली चमकने के साथ बारिश शुरू हो गई। प्रकृति की इस लीला को देख नंदबाबा ने श्रीकृष्ण को हृदय से चिपका लिया और उन्होंने देखा वृंदावन की ओर से दिव्य प्रकाश उनकी ओर आ रहा है। जिसे देख बाबा की आंखें बंद हो गईं। जब नंदबाबा ने अपनी आंखें खोलीं तो साढ़े बारह वर्ष की एक कन्या उनके सामने खड़ी थी और प्राकृतिक आपदा पूरी तरह थम चुकी थी। वह नंदबाबा से कहकर कृष्ण को अपने साथ खेलने के लिए ले जाती है। वन में खेलने के दौरान कृष्ण उनकी गोद से गायब होकर राधाजी की आयु के बराबर होकर खड़े हो जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की इस लीला को ब्रह्माजी देख रहे होते हैं और अचानक उनके समक्ष प्रकट हो जाते हैं। ब्रह्माजी ने कृष्ण से कहा प्रभु मैं आप दोनों को एक डोर में बांधना चाहता हूं। कृष्ण ने कहा जैसी आपकी इच्छा। फिर इसी भांडीरवन में ब्रह्माजी ने पुरोहित बनकर राधाकृष्ण का विवाह करवाया तथा राधाजी का कन्यादान किया।

आज भी मौजूद हैं विवाह मंडप

कहते हैं भांडीरवन में जिस वट वृक्ष के नीचे ब्रह्माजी ने श्रीराधा-कृष्ण का विवाह करवाया। उसकी जटाएं विशालकाय और फैली हुई थीं। उस वट वृक्ष की शाखाओं से बना विवाह मंडप आज भी मौजूद है।

ऐसा मंदिर दुनिया में कहीं नहीं

भगवान श्रीराधा-कृष्ण के विवाह के दर्शन देने वाला एक मात्र मंदिर ब्रज के भांडीरवन में ही स्थित है। जिसके दर्शन करने को आज भी श्रद्धालु भांडीरवन पहुंचते हैं।

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