Basic Education: हाथ में किताब लेकिन Online Classes के दौर में कैसे पढ़ें नौनिहाल

Basic Educationपरिषदीय विद्यालय के विद्यार्थियों को मिली नई पुस्तकें। संसाधनों की कमी से कैसे पढ़े यही है बड़ा सवाल। नगर क्षेत्र हो या ग्रामीण क्षेत्र परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले महज 20 फीसद विद्यार्थियों के अभिभावकों पर ही स्मार्ट फोन व घर में टेलीविजन है।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 07:52 AM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 07:52 AM (IST)
Basic Education: हाथ में किताब लेकिन Online Classes के दौर में कैसे पढ़ें नौनिहाल
आनलाइन व डिजिटल कक्षाओं से पढ़ने के संसाधनों की कमी है!

आगरा, जागरण संवाददाता। जिले के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को देर से ही सही, किताबें तो मिल गईं। लेकिन अब उनके सामने उन किताबों से अपना सबक पढ़ने की नई चुनौती खड़ी हो गई है। कारण, कोरोना काल में विद्यालय बंद हैं और आनलाइन व डिजिटल कक्षाओं से पढ़ने के संसाधनों की कमी है, ऐसे में उनकी किताबें उनके लिए महज शो-पीस साबित हो रही हैं।

स्थिति यह है कि चाहे नगर क्षेत्र हो, या ग्रामीण क्षेत्र, परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले महज 20 फीसद विद्यार्थियों के अभिभावकों पर ही स्मार्ट फोन व घर में टेलीविजन है। बाकियों को पढ़ने के लिए सहपाठियों का मुंह ताकना पड़ रहा है। शिक्षिका निधि श्रीवास्तव ने बताया कि ज्यादातर विद्यार्थियों के साथ यही समस्या पेश आ रही है। वह ज्यादा संपन्न परिवारों से नहीं। ऐसे में सिर्फ 20 फीसद विद्यार्थी ही डिजिटल और आनलाइन कक्षाओं का लाभ ले पा रहे हैं।

कैसे बुलाएं स्कूल

बाह के प्राथमिक विद्यालय पुरा कनेरा के शिक्षक संतोष राजपूत बताते हैं कि संक्रमण की बढ़ती स्थिति में विद्यार्थियों को विद्यालय बुलाकर पढ़ाना उनके साथ हमारे लिए भी हानिकारक हो सकता है। ऐसे में जो बच्चे पढ़ना चाहते हैं, उन्हें थोड़ा-बहुत तो समझा दिया जाता है, लेकिन ऐसे मामलों की संख्या भी बेहद सीमित है। ऐसी स्थिति में उनकी पढ़ने की रूचि भी कम हो रही है।

निकालें बीच का रास्ता

यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) जिला महामंत्री राजीव वर्मा का कहना है कि अभी तक परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई के नाम पर कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आए। विद्यार्थियों पर संसाधनों की कमी है, ऐसे में यदि विभागीय स्तर के साथ सामाजिक स्तर पर भी थोड़े प्रयास किए जाएं, तो इन विद्यार्थियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित होने से बचाया जा सकता है। शिक्षक पूरा योगदान देने को तैयार हैं। 

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