शेल्टर होम : कागजों में सुविधाएं, हकीकत कुछ और
70 लाख रुपये से बना है लोहामंडी शेल्टर होम ठीक से नहीं हो रहा वाटर वर्क्स शेल्टर होम का रखरखाव।
आगरा, जागरण संवाददाता । महज दावे, बाकी सब झूठ का पुलिंदा। अगर यकीन नहीं आता तो लोहामंडी शेल्टर होम (रैन बसेरा) को ले लीजिए। नगर निगम प्रशासन यह शेल्टर होम रोल माडल है। 70 लाख से बने शेल्टर होम में खाना, रजाई-गद्दा, गीजर, फ्रिज का दावा किया गया। इसी आधार पर हर माह हजारों रुपये का सामान खरीदा जाता है और गरीबों के नाम पर यह खर्च होता है, लेकिन शेल्टर होम में कागजी सुविधाएं हैं, अगर कोई गरीब पहुंच जाता है तो उसके लिए दरवाजा नहीं खोला जाता है। खाना नहीं मिलता है।
नगर निगम प्रशासन ने दो साल पूर्व लोहामंडी शेल्टर होम पर 70 लाख रुपये खर्च किए थे। बेहतरीन रसोईघर बनाया गया और दो केयर टेकर रखे गए। जिस तरीके से सुविधाओं के नाम पर पैसा खर्च हुए, अब वह नदारद हैं। वैसे यह हाल सिर्फ लोहामंडी शेल्टर होम का ही नहीं, जीवनी मंडी वाटरवर्क्स के सामने स्थित शेल्टर होम का भी है। गरीबों के नाम पर अच्छा खासा पैसा खर्च होता है। हर शेल्टर होम की होनी चाहिए जांच
पार्षद राजेश प्रजापति का कहना है कि शेल्टर होम की जांच होनी चाहिए। कितने गरीब आए, किस तरीके की सुविधाएं दी गई? यह सब जनता को पता चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मुद्दे को सदन में उठाया जाएगा। फिर भी रोड पर नजर आते हैं गरीब
पार्षद शोभाराम का कहना है कि शेल्टर होम के रखरखाव पर हर माह हजारों रुपये खर्च होते हैं। एमजी रोड हो या फिर भगवान टाकीज चौराहा, वाटरवर्क्स चौराहा, रात में गरीब खुले आसमान के नीचे सोते हैं।