आदिनाथ मंदिर में हुआ शांतिनाथ विधान

भक्तों ने श्रीजी का अभिषेक और शंातिधारा की मुनिराज का पाद प्रक्षालन से शुरू हुई धर्मसभा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 09:15 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 09:15 PM (IST)
आदिनाथ मंदिर में हुआ शांतिनाथ विधान
आदिनाथ मंदिर में हुआ शांतिनाथ विधान

आगरा, जागरण संवाददाता। आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, नार्थ ईदगाह कालोनी में गुरुवार को मुनि वीर सागर के सानिध्य में शांतिनाथ विधान हुआ। श्रीजी का अभिषेक व शांतिधारा भक्तों द्वारा की गई। धर्मसभा का शुभारंभ मुनिराज के पाद प्रक्षालन से हुआ। मुनि वीर सागर ने भक्तजनों को प्रभु के चरणों की वंदना, गुरु वंदना का संदेश दिया। विधान में पूरे शहर से श्रद्धालु पहुंचे। उन्होंने धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। शुक्रवार को मुनि संघ के सानिध्य में संत भवन का शिलान्यास और वेदी शिलान्यास होगा। आचार्य पद की आराधना की

आगरा, जागरण संवाददाता। जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक श्रीसंघ द्वारा चितामणि पा‌र्श्वनाथ मंदिर रोशन मोहल्ला में ओली पर्व के तीसरे दिन आचार्य पद की आराधना की गई। संघ अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि जैन दर्शन में तीर्थंकरों के अभाव में आचार्य को ही तीर्थंकर के तुल्य माना गया है। आचार्य ही तीर्थंकरों के पाट पर विराजित होते हैं। वर्तमान में वही धर्म संघ का संचालन करते हैं। आचार्य के 36 गुण होने की वजह से आराधकों ने प्रदक्षिणा की। विधि-विधान दुष्यंत लोढ़ा व उषा वैद ने कराया। रीना दूगड़, विनीता दूगड़, जयश्री वैद, विनीता वैद, रीता ललवानी, अंजलि वागचर, सविता वैद, उषा गादिया, रुचि लोढ़ा ने आयंबिल तप किया। भाग्य को भी बदल देती है तीर्थंकर की शरण

आगरा, जागरण संवाददाता। महावीर भवन, न्यू राजा की मंडी में गुरुवार को हुई धर्मसभा में आचार्य ज्ञानचंद्र महाराज ने कहा कि तीर्थंकरों का आभा मंडल उनके अतिशय से इतना तेजोमय बन जाता है कि संसारी प्राणी तो क्या देवी-देवता भी झुक जाते हैं। उनके आभामंडल में प्रवेश करते ही क्रोध, ईष्र्या, द्वेष सभी खत्म हो जाते हैं। हिसक से हिसक भी परम अहिसक बन जाते हैं। तीर्थंकर की शरण भाग्य को भी बदल देती है। पालतू कुत्ते की तरह हम अपने गले में प्रभु भक्ति एवं गुरु आशीर्वाद का पट्टा लगा लें तो सुरक्षित हो जाएंगे।

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