भव्य भारत के बिना भव्य विश्व की संरचना संभव नहीं
पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु दाऊजी पार्क कमला नगर में हुई धर्मसभा शंकराचार्य ने किया श्रद्धालुओं की जिज्ञासाओं का समाधान
आगरा (कमलानगर), संवाद सूत्र । भारत विश्व का हृदय है। यहां राम और कृष्ण के रूप में साक्षात जगदीश्वर अवतरित हुए हैं। भव्य भारत के बिना भव्य विश्व की संरचना संभव नहीं है। शुक्रवार को कमला नगर स्थित दाऊजी पार्क में आयोजित धर्मसभा में गोवर्धन मठ पुरी, ओडिशा के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने यह प्रवचन दिए।
उन्होंने कहा कि विश्व के 52 से अधिक देशों में हिदू रहते हैं। इनमें से 15 देश ऐसे हैं जो स्वयं को हिदू राष्ट्र घोषित करने के लिए तैयार हैं। भारत के हिदुओं का तेज बढ़े तो अन्य देशों के हिदुओं को भी बल मिले। जगद्गुरु ने कहा कि सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न और सेवाभावी व्यक्ति की संरचना से ही भारत के हिदू राष्ट्र बनने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि मठ-मंदिरों के साथ ज्योति-चेतना के केंद्रों को शिक्षा, रक्षा, सेवा, संस्कृति और मोक्ष का संस्थान बनाया जाए। जगद्गुरु ने धर्मसभा में मौजूद लोगों से कहा कि वे अपने बच्चों को समझाएं कि अपने नाम के साथ सिंह, शर्मा, गुप्ता, अग्रवाल आदि बोलें। अपनी पहचान बताएं। गोवंश की रक्षा कैसे हो?
धर्मसभा में जगद्गुरु से सवाल पूछा गया कि गोमाता की देह में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं, फिर उसकी हत्या भारत में क्यों की जा रही है? इस पर जगद्गुरु ने कहा कि यह विडंबना ही है कि जिस देश में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं नंगे पांव गोचारण लीला करते हों, वहां अधिकांश हिदू गोहत्या के ठेकेदार हैं। अगर लोग गो माता की जगह कुत्ता-बिल्ली पालते हैं, तो इसका मुख्य कारण शासन तंत्र की दिशाहीनता है। वायु प्रदूषण से श्रीकृष्ण की चांदी की पादुकाएं हो गईं काली
वैश्विक महामारी और प्राकृतिक दुष्चक्र के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति अपने दायित्व का निर्वाह करके स्वस्थ क्रांति नहीं करता तो प्रकृति विस्फोटक हो जाती है। आधुनिक व्यक्ति के विकास की विभीषिका ने वायुमंडल को विषाक्त कर दिया है। आज विकास के नाम पर पृथ्वी को धारण करने वाले सातों तत्वों को विकृत और विलुप्त करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। ऊर्जा के स्त्रोत पृथ्वी, पानी, प्रकाश सब कुपित हैं। यह प्रदूषण का ही प्रभाव है कि भगवान कृष्ण की चांदी की पादुकाएं भी काली हो गई हैं। ताजमहल में भगवा पर प्रतिबंध क्यों?
उन्होंने कहा कि ताजमहल, तेजोमहालय यानी शिवालय ही था। ताजमहल में भगवा वस्त्र पहनकर प्रवेश पर प्रतिबंध के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस प्रदेश के मुख्यमंत्री भी भगवाधारी हैं। वही इसका बेहतर जवाब दे सकते हैं। यह रहे मौजूद
सिकरवार परिवार द्वारा आयोजित धर्मसभा में मेयर नवीन जैन, विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, विधायक रामप्रताप सिंह चौहान, डा. बीना लवानिया, ब्रजेश सिकरवार, सर्वेश सिकरवार, डा. एकता सिंह, रश्मि सिकरवार, राष्ट्रदीप सिकरवार, राजीव गर्ग, पार्षद प्रदीप अग्रवाल, दीपक ढल आदि।