Flood Plain: आगरा में डूब क्षेत्र में नक्शा पास करने और अवैध निर्माण कराने में फंसे सात इंजीनियर

आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के विशेष सचिव रणविजय सिंह ने दिए एडीए के इंजीनियरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश। सप्ताह भर में देनी होगी अन्य अफसरों की भी रिपोर्ट। वर्ष 2014 में समाजसेवी डीके जोशी ने एनजीटी में दायर की थी याचिका। ध्वस्त हो चुके हैं नौ निर्माण।

By Nirlosh KumarEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 03:25 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 03:25 PM (IST)
Flood Plain: आगरा में डूब क्षेत्र में नक्शा पास करने और अवैध निर्माण कराने में फंसे सात इंजीनियर
एडीए के सात इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश।

आगरा, जागरण संवाददाता। यमुना नदी के डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण के मामले में आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) के सात इंजीनियर फंस गए हैं। हरीपर्वत प्रथम और द्वितीय क्षेत्र के इंजीनियरों ने उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) से बिना अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) लिए नक्शा पास कर दिया। साथ ही अवैध निर्माण भी कराया। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के विशेष सचिव रणविजय सिंह ने एक सहायक अभियंता और छह अवर अभियंताओं के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं। सप्ताह भर में एडीए उपाध्यक्ष से अन्य दोषी अफसरों के नाम भी भेजने के लिए कहा है। वर्ष 2014 में समाजसेवी डीके जोशी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दायर की थी। अक्टूबर, 2016 में डीके जोशी का निधन हो गया। जिसके बाद उमाशंकर पटवा और एचएस जाफरी पैरोकार बन गए। वर्ष 2019 में कोर्ट के आदेश पर नौ निर्माण ध्वस्त किए जा चुके हैं। यह प्रोजेक्ट दयालबाग में थे।

तीन बार हुआ डूब क्षेत्र का सर्वे

एनजीटी के आदेश पर तीन बार डूब क्षेत्र का सर्वे हुआ। यह सर्वे नगला बूढ़ी दयालबाग से लेकर ताज टेनरी तक हुआ था।

अधिकांश हो चुके हैं सेवानिवृत्त

शासन ने एक सहायक अभियंता और छह अवर अभियंता को दोषी पाया है। इनमें अधिकांश इंजीनियर सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

डूब क्षेत्र में फंसे यह इंजीनियर

-राजीव शर्मा, सहायक अभियंता

-राजेश वर्मा, देशराज सिंह, अनिल सचान, राजेश फौजदार, नरेश चंद्र सुमन, सोनी अवर अभियंता।

कमिश्नर साहब, यहां तो एक कदम नहीं बढ़ी जांच

शास्त्रीपुरम आवासीय योजना में एडीए अफसरों और कर्मचारियों की मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अफसरों के आंख मूंदने के चलते 15 साल के भीतर दिल्ली गेट निवासी सुशील गोयल और बेटे सचिन ने पांच बीघा सरकारी जमीन बेच डाली। यह जमीन 32 करोड़ रुपये की है। जमीन पर मां दुर्गा कालेज का निर्माण हो चुका है। कई और बीघा जमीन की बिक्री का शक है, लेकिन अभी तक इस मामले की जांच एक कदम आगे नहीं बढ़ी है। यह जांच एडीए उपाध्यक्ष डा. राजेंद्र पैंसिया स्वयं कर रहे हैं।

शास्त्रीपुरम आवासीय योजना के लिए एडीए ने वर्ष 1989 में जमीन की खरीद की थी। इसमें सुशील गोयल की भी जमीन शामिल थी। एडीए से सुशील ने प्रतिकर लिया और फिर पांच बीघा जमीन पर डिग्री कालेज का निर्माण किया और बाकी जमीन 125 परिवारों को बेच दी। पिछले सप्ताह सांसद राजकुमार चाहर ने कमिश्नर अमित गुप्ता को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की थी। कमिश्नर ने एडीए उपाध्यक्ष को जांच के आदेश दिए हैं। यह जांच अभी तक आगे नहीं बढ़ी है। अगर मामले की सही तरीके से जांच हो जाए तो इसमें शामिल एडीए के संपत्ति अनुभाग के कई अफसर, 13 इंजीनियर और अमीन फंस सकते हैं।

एडीए उपाध्यक्ष कर रहे हैं जांच

कमिश्नर अमित गुप्ता ने बताया कि शास्त्रीपुरम आवासीय योजना में जमीन की बिक्री में अफसरों और कर्मचारियों के शामिल होने की शिकायत सांसद राजकुमार चाहर ने की थी। एडीए उपाध्यक्ष अपने स्तर से मामले की जांच कर रहे हैं।

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