Sawan 2021: ब्रिटिश हुकूमत को मोड़नी पड़ी थी रेलवे लाइन आगरा में इस मंदिर की वजह से

Sawan 2021 मंदिर के आसपास रावल राजपूत रहते थे इसलिए इसका नाम रावली महादेव मंदिर पड़ गया। कालांतर में मंदिर परिसर का विस्तार हुआ। एमजी रोड पर होने की वजह से यह शिवालय राहगीरों के आकर्षण का केंद्र भी है।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 05:57 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 05:57 PM (IST)
Sawan 2021: ब्रिटिश हुकूमत को मोड़नी पड़ी थी रेलवे लाइन आगरा में इस मंदिर की वजह से
आगरा के रावली महादेव मंदिर का फाइल फोटो।

आगरा, जागरण संवाददाता। रावली महादेव मंदिर शहर के मध्य में रावली महादेव मंदिर भी एक प्रमुख शिवालय है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन व पूजन करने आते हैं। इस मंदिर से देहात का बहुत बड़ा क्षेत्र जुड़ा हुआ है। हर सोमवार को मेले जैसा माहौल रहता है। एमजी रोड पर होने की वजह से यह शिवालय राहगीरों के आकर्षण का केंद्र भी है।

इतिहास

मुगल बादशाह अकबर ने पूरे देश को सद्भावना का संदेश दिया था। अकबर के शासनकाल में आमेर के राजा मानसिंह युद्ध के लिए अफगानिस्तान गए थे। वहां अटक पहाड़ी पर भ्रमण कर रहे थे, तभी उन्हें एक शिवलिंग मिला। उन्होंने उसे लाकर आगरा के एक वीरान स्थल पर स्थापित करा दिया। मंदिर के आसपास रावल राजपूत रहते थे, इसलिए इसका नाम रावली महादेव मंदिर पड़ गया। कालांतर में मंदिर परिसर का विस्तार हुआ।

विशेषता

ब्रिटिश शासनकाल में जब रेल लाइन बिछाई गई, तब इस मंदिर को कुछ पीछे करने के प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसलिए रेल लाइन को मंदिर के सामने घुमाकर बिछाना पड़ा, जिसे आज भी देखा जा सकता है। मंदिर में बाबा भोले के प्राचीन शिवलिंग के अलावा बजरंग बली, भगवान राम, राधा-कृष्ण, भैरों बाबा आदि की प्रतिमाएं हैं।

मंदिर की महंत परंपरा को हम बनाए हुए हैं। प्रतिदिन यहां समय पर पूजन होता है। सावन का महीना कोरोना काल को समर्पित हो गया, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करनी पड़ी है।

-पं. केशव शर्मा, महंत

बचपन से मंदिर में पूजन कर रहा हूं। बाबा से जो भी झोली फैलाकर मांगते हैं, वह मिल जाता है। यही वजह है कि मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है।

-राजकुमार शर्मा, श्रद्धालु 

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