आगरा में कई थानों के मालखाने बरसों से बंद, देखरेख के अभाव में हो रहे जर्जर
मालखाना मोहर्रिर की मौत के बाद एससीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी पर है जिम्मेदारी। कई मालखाना मोहर्रिर की तैनाती हुई नहीं ले सका कोई मालखाने का चार्ज। जगदीशपुरा थाने के मालखाने में चोरी होने के बाद आई दूसरे मालखानों की सुध।
आगरा, जागरण संवाददाता। जगदीशपुरा थाने के मालखाने से 25 लाख रुपये चोरी का मामला सुर्खियों में हैं। इस मालखाने का बड़ा हिस्सा काफी समय से सील था। इसलिए इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं गया। कलक्ट्रेट में स्थित सदर मालखाना (देहात) 11 वर्ष से बंद है और जर्जर हो चुका है। मगर, इस ओर भी अभी तक जिम्मेदारों का ध्यान नहीं गया है। कई बार इसमें चार्ज लेने के लिए मालखाना मोहर्रिर की तैनाती हुई, लेकिन चार्ज नहीं ले सके। फिलहाल इस मालखाने की जिम्मेदारी एसीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी के पास है।
कलक्ट्रेट में स्थित देहात के सदर मालखाने में देहात क्षेत्र के थानों के वर्ष 1970 से लेकर 2008 तक के करीब आठ हजार मुकदमों से संंबंधित माल रखे हैं। इनमें सोने-चांदी के गहने, तमंचे,बंदूक और चाकू समेत अन्य सामान शामिल है। इस मालखाने का चार्ज वर्ष 2009 तक मालखाना मोहर्रिर हरप्रसाद के पास था। उनकी मौत के बाद मालखाने को सील कर दिया गया। वर्ष 2010 में इस मालखाने के लिए नियमानुसार एक कमेटी गठित की गई। इसके अध्यक्ष एसीएम प्रथम हैं। कमेटी में सीओ छत्ता और अभियाेजन कार्यालय से एसपीओ को शामिल किया गया। मालखाने की चाबी भी कमेटी के पास ही रहती है। वर्ष 2010 के बाद यहां मालखाना मोहर्रिर के रूप में हरिभान सिंह की तैनाती हुई। ये चार्ज नहीं ले सके। इसके बाद सुरेश चंद्र शर्मा को चार्ज मिल गया। चूंकि इसकी चाबी कमेटी के पास थी और मालखाने में रखे मुकदमों से संबंधित मालों का चार्ज भी कमेटी के सामने लिया जा सकता था। कमेटी की उपलब्धता कम होने के कारण वे चार्ज नहीं ले सके। इसी बीच उनका देहांत हो गया। इसके बाद मालखाना मोहर्रिर नेम सिंह की तैनाती हुई। वे मालखाने पर जाकर बैठते थे, लेकिन चार्ज दिलाने कमेटी की कम उपलब्धता के कारण चार्ज पूरा नहीं हो सका। अभी यह मालखाना बंद ही पड़ा है। दीवारों से लेकर छत तक जर्जर हो चुकी है। बारिश में इसमें पानी आता है, इसलिए इसमें रखे माल भी खराब हो रहे हैं।
कमेटी की निगरानी में खुलता है ताला
बंद पड़े सदर मालखाने में तमाम माल ऐसे हैं जिनसे संबंधित मुकदमों का अभी निस्तारण नहीं हुआ है। कोर्ट में ट्रायल के समय मुकदमों से संबंधित माल कोर्ट में पेश करने होते हैं। ऐसी स्थिति में कमेटी की निगरानी में इसका ताला खोला जाता है। कई माल तो इसमें पड़े-पड़े नष्ट हो चुके हैं। इसलिए मिल भी नहीं पाते।
भवन नहीं मिल सका
वर्ष 2020 में तत्कालीन एसएसपी बबलू कुमार ने सदर मालखानों और थानों के मालखानों के हालात सुधारने को अभियान चलाया था। तीन सदर मालखान मालखानों की सफाई कराई गई। इनमें 20 हजार माल ऐसे रखे थे, जिनके मुकदमों का निस्तारण कोर्ट से हो चुका था।इन सभी मालों का कोर्ट के आदेश पर निस्तारण करा दिया। तीनों सदर मालखानों में रखे मुकदमों से संबंधित मालों की इंडेक्स भी उन्होंने बनवाई। कलक्ट्रेट में बंद पड़े मालखाने के मालों को शिफ्ट करने के लिए उन्होंने भवन की तलाश की, लेकिन भवन नहीं मिल सका। इसलिए इसके माल की शिफ्टिंग नहीं हो सकी।