National Rose Day: गुलाब की 'कलम' से लिखी मुनाफे की कहानी Agra News

फूल के साथ पंखुडिय़ां और कलम भी बनीं अतिरिक्त आय का साधन। आलू में घाटे पर मददगार बन रही गुलाब की खेती।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sun, 22 Sep 2019 01:43 PM (IST) Updated:Sun, 22 Sep 2019 10:58 PM (IST)
National Rose Day: गुलाब की 'कलम' से लिखी मुनाफे की कहानी Agra News
National Rose Day: गुलाब की 'कलम' से लिखी मुनाफे की कहानी Agra News

आगरा, अली अब्बास। 15 बरस पहले गुलाब की चंद 'कलम' से लिखनी शुरु की गई खेती की इबारत आज मुनाफे की बड़ी कहानी बन चुकी है। नकदी फसल के तौर पर शुरू हुआ देसी गुलाब का उत्पादन आज कई ब्लाक में फैल आगरा का आंगन सुवासित कर रहा है। मंडी और कोल्ड स्टोर के बीच मुनाफे को लेकर भटकने वाले आलू किसानों का जीवन भी गुलाब ने महका दिया है। ताजा गुलाब के साथ पंखुडिय़ां और कलम भी किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन गई हैं। 

बमरौली कटारा ब्लॉक में गुलाब की खेती करने वाले देवेेंद्र बताते हैं कि 15 साल पहले आलू उत्पादन को लेकर असमंजस में फंसे पिता शिवराम को उद्यान विभाग के एक कृषि वैज्ञानिक ने गुलाब की खेती करने की सलाह दी। प्रयोग के तौर पर उन्होंने खेत में आलू के साथ ही एक बीघा में गुलाब की खेती की। चार महीने बाद गुलाब की खेती रंग लाई, फसल आलू से पहले हाथोंहाथ बिक गई। अच्छा मुनाफा देख उन्होंने गुलाब की खेती का रकबा बढ़ाना शुरू कर दिया। उन से प्रेरित हो शमसाबाद की सिकतरा पंचायत के नवादा, नगला सूरजभान, नगला बीच, गुलवापुरा आदि गांव के कम रकबा वाले किसानों ने भी गुलाब की खेती को अपना लिया। आलम यह है कि इस समय शमसाबाद के अलावा सैयां इलाके में करीब 100 बीघा खेतों में किसान गुलाब की खेती कर रहे हैं।

शमसाबाद के बड़ा गांव में गुलाब की खेती करने वाले शिवराम के भतीजे रेवती रमण बताते हैं कि फूल-माला के अलावा मंदिरों में फूलबंगला की सजावट करने वाले थोक के खरीदार हैं। आगरा के साथ ही मथुरा और आसपास के शहरों में भी यहां से फूलों की सप्लाई होती है। छोटा से छोटा किसान 200 से 1000 रुपये रोज़ तक कमा लेता है।

कलम की भी होती है बिक्री

गुलाब का एक पौधा जब कई फसल दे देता है तो उसे काटकर कलम बना कर दोबारा रोपित कर दिया जाता है। ये सिलसिला लगातार चलता रहता है। अपने उपयोग से अधिक मात्रा में लकड़ी हो जाने पर उसकी कलम बनाकर बेच देते हैं, जिससे अतिरिक्त आय हो जाती है।

पंखुडिय़ां देती है अतिरिक्त आय

गुलाब के फूलों के भाव अगर गिर जाएं, ऐसे में उसकी पंखुडिय़ां मुनाफा देती हैं। गुलाब जल, गुलकंद और आयुर्वेदिक दवा और सौंदर्य सामग्री के उत्पादक पंखुडिय़ों को अच्छी कीमत पर खरीद लेते हैं। दरेसी इसका बड़ा बाजार है।

बैकअप देती है गुलाब की खेती

कई किसान आलू के साथ कुछ बीघा में गुलाब की खेती भी करते हैं। आलू में घाटा होने पर गुलाब की खेती मदद देती है। कुछ किसान गुलाब के साथ मिर्च, धनिया और प्याज़ की बोवाई कर देते हैं। चार महीने में गुलाब का पौधा बड़ा होते-होते यह मिश्रित फसल तैयार हो जाती है। ये भी मंडी में नकद बिक जाती है। कुछ किसान गुलाब के साथ गेंदा आदि अन्य फूलों की भी खेती करके दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं।

क्‍या कहते हैं किसान

पौधे में पांच से छह महीने में फूल आ जाता है। एक बार पौधा लगने पर पांच से छह साल तक चलता है। फूलों की बिक्री नकद होने के चलते किसानों को इसकी खेती पसंद आ रही है।

महावीर सिंह, फूलों की खेती करने वाले किसान

आलू खेती करने के साथ ही तीन साल से 30 बीघा में गुलाब की खेती कर रहा हूं। यह व्यवसायिक दृष्टि से भी लाभप्रद है।

रामप्रकाश सिंह सिकरवार, आलू किसान

आसपास गांव के कई किसानों को देखकर मैने में भी छह बीघा में गुलाब के पौधे लगाए थे। अब फूलों की खेती रास आ रही है। इसी के साथ गेंदा फूल की खेती भी कर रहा हूं।

सचिन, गुलाब की खेती करने वाला किसान

निजी स्‍तर पर भी हो रहा गुलाब का उत्‍पादन

जिले में कृषि विधिकरण परियोजना के तहत 17 हैक्टेअर में गुलाब की खेती हो रही है। गुलाब की कुल 13 प्रजातियां यहां उगाई जा रही हैं। दिल्ली की मंडी में यहां के गुलाब की खासी मांग है। कई क्षेत्रों में किसान निजी स्तर पर भी गुलाब का उत्पादन कर रहे हैं। जिसका आंकड़ा विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।

कौशल कुमार, जिला उद्यान अधिकारी  

chat bot
आपका साथी