हरियाली के प्रहरी, पेड़ नष्ट करने वालों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे आगरा में सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर

86 वर्षीय रूपेंद्र कश्यप को पेड़ों को बचाने का जब कोई रास्ता समझ नहीं आया तो हारकर उन्होंने कानूनी लड़ने का फैसला किया। उन्हाेंने अराजक तत्वों के खिलाफ मुख्यमंत्री पोर्टल जिलाधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा वन विभाग के अधिकारियों से इसकी शिकायत की।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 05:15 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 05:15 PM (IST)
हरियाली के प्रहरी, पेड़ नष्ट करने वालों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे आगरा में सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर
सेवानिवृत्‍त वायु सेना अधिकारी रुपेंद्र कश्‍यप हरियाली बचाने के लिए लड़ रहे हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। हरियाली के संरक्षण के लिए कोई कितना सजग हो सकता है, ये कोई आगरा के मंडी सईद खां निवासी सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर रूपेंद्र कश्यप से सीखे। पिछले कई सालों से वह अपने घर के बाहर और आसपास पौधे रोपे रहे हैं लेकिन कुछ सालों में जैसे ही ये पौधे पेड़ का रूप लेने लगते हैं, कोई अराजक तत्व इन्हें तोड़ जाता है। ये सिलसिला पिछले तीन साल से चल रहा है। उन्होंने दोबारा पौधे रोपे लेकिन इन्हें भी कोई नष्ट कर गया।

86 वर्षीय रूपेंद्र कश्यप को पेड़ों को बचाने का जब कोई रास्ता समझ नहीं आया तो हारकर उन्होंने कानूनी लड़ने का फैसला किया। उन्हाेंने अराजक तत्वों के खिलाफ मुख्यमंत्री पोर्टल, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा वन विभाग के अधिकारियों से इसकी शिकायत की। इस पर पुलिस सक्रिय हुई। कुछ अधिकारी पूछताछ के लिए उनके यहां पहुंचे। वन विभाग का कर्मचारी भी जानकारी हासिल करने उनके यहां पहुंचा लेकिन अब तक कोई रास्ता नहीं निकला है। ऐसे में सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडन ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वह धरने पर बैठेंगे। रूपेंद्र कश्यप बताते हैं कि सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने पैतृक आवास में अकेले रहते हैं।

कुछ साल पहले पत्नी की मृत्यु हो गई। अकेले रूपेंद्र कश्यप ने अपने घर के आसपास हरियाली विकसित करने का सिलसिला शुरू किया। उन्होंने अपने माता-पिता व पत्नी के श्राद्ध, अपने जन्मदिन तथा अन्य विशेष मौकों पर पौधे रोपना शुरू कर दिया। उनकी देखरेख भी की। मगर, जैसे ही ये पौधे बड़े होने पर पेड़ का आकार लेने लगते, उन्हें कोई तोड़ जाता है। रूपेंद्र कश्यप इन्हें बचाने में लगे हैं।

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