Mustard Oil: साेयाबीन के घटे दामों ने उड़ाया सरसों का भी रंग, दामों में कमी आने के संकेत

सोयाबीन की भरपूर आवक और दामों में कमी के चलते आगरा में सरसों की पेराई करने वाली मिलें हुईं बंद। बड़े कारोबारियों ने कर रखा था सरसों का भंडारण। बीते एक सप्‍ताह में सात रुपये प्रति किलोग्राम की आई सरसों के तेल में गिरावट।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 09:51 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 09:51 AM (IST)
Mustard Oil: साेयाबीन के घटे दामों ने उड़ाया सरसों का भी रंग, दामों में कमी आने के संकेत
सोयाबीन की भरपूर आवक और दाम कम होने से सरसों के तेल में भी गिरावट आ रही है।

आगरा, संजीव जैन। सोयाबीन की अधिक आवक व घटते दाम ने सरसों का रंग उडा द‍ि‍या हैैै। सोयाबीन की नई बेहतर फसल आने व वायदा बाजार एनसीडीईएक्‍स पर द‍िसंबर माह का भाव 5521 रुपये प्रति क्विंटल होने से सरसों के दाम शन‍िवार को 9200 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज क‍िए गए। एक महीने पहले सरसों के दाम 8400-8500 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज थे। एक महीने में सरसों के दाम मे 800 रुपये प्रति क्विंटल बढने से पेराई म‍िलेंं प्रभाव‍ित हुई है। हालात यह है क‍ि आगरा की सभी म‍िलों में ताला लग गया है। कारोबार‍ियों की मानें तो आसपास के ज‍िलों व राज्‍यों में भी म‍िलेंं बंद हो गई है। कारण सरसों के तेल के मुकाबले सोयाबीन तेल बाजार में 40 रुपये प्रत‍ि लीटर सस्‍ता होने से ड‍िमांड कम हो गई है। सरसों की क‍िल्‍लत है, ऐसे में म‍िलेंं बंद हो गई हैं।

आगरा आयल मिल के प्रबंध न‍िदेशक कुमार कष्‍ण गोपाल, कारोबारी ब्रजमोहन अग्रवाल व द‍िनेश गोयल की मानें तो मध्य प्रदेश की इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, देवास और जावरा, राजस्‍थान की कोटा, हर‍ियाणा की स‍िरसा, इटावा व मैनपुरी मंडी में सोयाबीन की आवक करीब पांच लाख बोरी हुई। दाम भी 5175-5400 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 4900-5100 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज क‍िए गए। कारोबार‍ियों का मानना है क‍ि मध्‍यप्रदेश मेे इस बार 58.84 लाख हेक्‍टेयर के बजाय 63.05 लाख हेक्‍टेयर व महाराष्‍ट मेे 40.40 लाख हेक्‍टेयर के बजाय 50 लाख हेक्‍टेयर पर सोयाबीन की खेती हुई है। केन्‍द्र सरकार ने कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क को 10 फीसद से घटाकर 2.5 फीसद कर दिया गया है, जबकि कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर इसे 7.5 फीसद से घटाकर 2.5 फीसद कर दिया गया है। वायदा बाजार में भी सोयाबीन व मूंगफली के दाम मे द‍िसंबर माह मेें ग‍िरावट दर्ज की गई। सरसों तेल की ड‍िमांड भी कम है, ऐसे मेें सरसोे तेल के दाम मे व‍िगत एक सप्‍ताह की तुलना मे सात रुपये प्रत‍ि लीटर की ग‍िरावट दर्ज की गई। उम्‍मीद है क‍ि यह ग‍िरावट ओर आएगी, ऐसे मे सरसोें तेल की म‍िलें बंद कर दी गई हैं।

उन्‍होेने बताया क‍ि सरसों का तेल थोक में 23 अक्‍टूबर 2021 यानी शन‍िवार को 170 से 175 रुपये प्रति लीटर रहा। र‍िटेल बाजार में यह भाव 180 रुपये प्रति लीटर तक है। 15 जून 2021 को सरसों के तेल के दाम थोक में 145 रुपये प्रत‍ि लीटर रहे लेक‍िन मंडी में मांग के सापेक्ष सरसों की आवक कम होने के कारण तेल के दाम बढने लगे। उन्‍होंने बताया क‍ि आगरा में सरसों की दो बडी मंडी खेरागढ़ मेंं कागारौल रोड व किरावली मंडी है। इन दोनो मंडी में शन‍िवार को सरसो 9200 रुपये प्रति क्विंटल तक ब‍िकी। कागारौल मंडी के सच‍िव वीरेन्‍द्र स‍िंंह के अनुसार शन‍िवार को मंडी मे अवकाश होने के कारण सरसों की आवक नही हुई पर शुक्रवार को मात्र एक टन सरसों की आवक हुई तो अगस्‍त माह में सामान्‍यतया प्रत‍ि‍द‍िन 10 से 17 टन रोज रही है। कमोवेश यही हालत क‍िरावली मंडी की है। उन्‍होेने बताया क‍ि सरसों की कम आवक के चलते सरसों तेल महंगा होने की बात से इंकार नही क‍िया जा सकता है।

600 टन से 120 टन रोज हुआ सरसों तेल का उत्‍पादन

सरसों के तेल उत्‍पादन में आगरा देश मे अग्रणी है। आगरा में 66 हजार हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन होता है पर मांग अधिक होने के कारण यहां की प्रमुख खेरागढ़ में कागारौल रोड स्थित मंडी व किरावली मंडी में हरियाणा व राजस्थान से बड़ी मात्रा में सरसों की आवक होती है। रोज करीब 500 टन सरसों का तेल उत्पादन करने वाली आगरा आयल मिल, बीपी आयल मिल, शारदा आयल मिल व महेश आयल मिल सीधे हरियाणा व राजस्थान मंडी से सरसों क्रय करते हैं। जनपद में छह ओर आयल मिल के अलावा 200 से अधिक स्प्रेलर है, जिनके द्वारा रोज करीब 100 टन तेल का उत्पादन किया जाता है। आगरा का रोज 600 टन सरसों तेल का उत्‍पादन घटकर 120 टन रह गया है। खेरागढ़ मे कागारौल स्थित मंडी व किरावली मंडी में रोज करीब दो हजार क्विंटल सरसों की आवक होती है। इस कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो खेरागढ़ में कागारौल रोड स्थित मंडी व किरावली मंडी के आसपास ही बडी मात्रा मे सरसों की जमाखोरी की गई है। यह खेल इन दोनों स्थानों के साथ-साथ जिले में एक दर्जन स्थानों पर ओर चल रहा है। ऐसे ही खेल सरसो के तेल में है। सरसों खरीदने का क्रय केंद्र नहीं है। इसलिए इसका समर्थन मूल्य भी नहीं है। जो फसल आती है उसे नीलामी से बेचते हैं। किरावली में सरसों की लैब में जांच होती है। तेल के आधार पर उस सरसों के दाम निर्धारित होते है। कुल मिलाकर कुछ व्यापारियों ने फसल की जमाखोरी कर ली तो बाजार में सरसों पहुंच नहीं रही है। कम फसल आवक के चलते सरसों का तेल महंगा बिक रहा है। कारोबारी बताते है क‍ि सोयाबीन की अच्‍छी आवक की खबरों के बीच कई जमाखोर सरसो की न‍िकासी कर उसे मंडी में बेच रहे है। यही हाल रहा तोे सरसों सस्‍ती होगी।

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