'दिव्य' तो बना दिया, 'अंग' कब बनेंगे, जानिए क्‍या है दिव्‍यांग कल्‍याण योजना का हाल

जिले में 42 हजार पंजीकृत दिव्यांग 13 हजार को मिल रही पेंशन। 12 हजार के करीब दिव्यांग वोटर इनका होना है प्रशिक्षण।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Thu, 28 Mar 2019 12:13 PM (IST) Updated:Thu, 28 Mar 2019 12:13 PM (IST)
'दिव्य' तो बना दिया, 'अंग' कब बनेंगे, जानिए क्‍या है दिव्‍यांग कल्‍याण योजना का हाल
'दिव्य' तो बना दिया, 'अंग' कब बनेंगे, जानिए क्‍या है दिव्‍यांग कल्‍याण योजना का हाल

आगरा, योगेश जादौन। अपंगता को वर्तमान सरकार ने नया नाम दिया दिव्यांग। हालांकि हालात नहीं बदले। प्रमाणपत्र बनने से लेकर चुनाव में वोट डालने तक के लिए नियम हैैं लेकिन पालन किसी का नहीं हो रहा। दिव्यांग सहजता से वोट डाल सकें इसके लिए निर्वाचन आयोग ने नए नियम बनाए हैं। एप भी विकसित किया, लेकिन मथुरा में अभी ट्रेनिंग नहीं हो पाई है।

प्रधानमंत्री ने भी इस वर्ग के साथ अधिक संवेदनशील होने की बात कही है। सच्चाई यह है कि उन्हें वो सुविधाएं भी आसानी से नहीं मिल रहीं, जिनके वे हकदार हैैं। सबसे बड़ी उलझन प्रमाणपत्र बनवाना है। शासन से 21 प्रकार की दिव्यांगता को मान्यता है। वहीं, मथुरा जिला अस्पताल में आमतौर पर आर्थोपेडिक दिव्यांग के ही प्रमाणपत्र बन पाते हैं। अन्य के लिए आगरा जाना पड़ता है। जिला अस्पताल में सोमवार को प्रमाणपत्र बनाने और बुधवार को आनलाइन करने का काम किया जाता है। इन दो दिनों में यदि संबंधित लिपिक या डॉक्टर न हो तो दिव्यांगों को चक्कर लगाने पड़ते हैं।

महर्षि दयानंद पुनर्वास संस्थान के डायरेक्टर अशोक आर्य कहते हैं कि दिव्यांगों के मामले में शासन गंभीर नहीं हैं। दिव्यांगों की जांच के लिए जरूरी विशेषज्ञ संविदा पर भी रखे जा सकते हैं। एकदिन जांच के लिए अस्पताल बुलाया जा सकता है। मगर, ऐसा नहीं किया जा रहा। यही नहीं मंदबुद्धि दिव्यांगता की जांच के लिए तो विशेषज्ञ ही नहीं हैं।

'दिव्यांग कई मांगों को लेकर वर्षों से परेशान हैं। प्रमाण पत्र के अलावा दफ्तरों में संवेदनहीनता भी बड़ा संकट है। स्कूलों में उन्हें पढ़ाने के लिए एक्सपर्ट शिक्षक भी नहीं है'।

डॉ. धनंजय तिवारी, प्राचार्य, महर्षि दयानंद पुनर्वास संस्थान

दिव्यांगों की मदद को मतदान एप

जिले में कुल पंजीकृत विकलांगों की संख्या 42 हजार के करीब है। इनमें से 13894 को पेंशन मिल रही है। पेंशन पाने वाले सभी विकलांग 18 वर्ष से अधिक की उम्र के हैं। यानी जिले में इतने दिव्यांग तो हैं ही। दिव्यांग कल्याण अधिकारी तरुणेश त्रिपाठी बताते हैं इनमें से करीब 12 हजार की पहचान करके उनको वोङ्क्षटग के लिए प्रेरित किया जाएगा। अभी इसकी ट्रेङ्क्षनग की तैयारी चल रही है। दो दिन बाद वालेंटियर की मीङ्क्षटग हैं। दिव्यांगों की मदद को पीडब्ल्यूडी (पर्सन विद डिसएबिलिटी) एप बना है। इसमें दिव्यांग व्यक्ति मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए व्हीलचेयर की मांग कर सकता है। ईवीएम में ब्रेललिपि के संकेत हैं। ब्रेललिपि न पढ़ सकने वाले दिव्यांग को मदद के लिए एक आदमी दिया जाएगा।

'दिव्यांग अधिक से अधिक मतदान कर सकें इसके लिए आगरा कमिश्नर अनिल कुमार को आब्जर्वर बनाया गया है। वह इस पूरे मामले पर निगरानी बनाए हुए हैं'।  

ब्रजेश कुमार, एडीएम फाइनेंस

ब्लॉकवार पंजीकृत पेंशनधारी दिव्यांग

बलदेव 1197

चौमुहां 1009

छाता 1201

फरह 757

गोवर्धन 1383

मांट 891

मथुरा 1651

नंदगांव 729

नौहझील 881

राया 1421

नगर निकाय 2617 

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