यहां तो क्षेत्रवार बदल जाते हैं सब्जियों के भाव, मुनाफाखोरी का चल रहा खेल Agra News
थोक और रिटेल के दामों में दो से तीन गुना का अंतर। पॉश कॉलोनियों के आस-पास और ज्यादा वसूली।
आगरा, जागरण संवाददाता। टमाटर, प्याज ही नहीं सब्जियों के दाम थोक में इजाफा हुआ, तो रिटेल वाले जमकर मुनाफा कमा रहे हैं। मंडी से बाजार भाव में दो से तीन गुना का अंतर है। हर कॉलोनी स्तर पर भाव भी अलग-अलग हैं। अगर शहर की पॉश कॉलोनी के किनारे ठेल या दुकान है तो दाम में 10 से 20 रुपये का अंतर खुद ही आ जाएगा। इससे मध्यम वर्गीय परिवारों में रसोई का बजट बिगड़ गया है।
सिकंदरा मंडी में सब्जियों की आवक में कोई कमी नहीं है। रोज ट्रक और दूसरे वाहन माल लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन बाजार में बढ़ दामों में कोई अंतर नहीं है। बल्कि इनका भाव बिगाड़ा जा रहा है। थोक से लेकर कॉलोनियों, बाजारों में पहुंचने वाले सब्जी विक्रेता तीन गुना तक मुनाफा कमा रहे हैं। टमाटर, प्याज, धनिया, नींबू, अदरक सहित कई दूसरी सब्जियों में तो चार गुना तक वसूल लेते हैं। खंदारी हनुमान चौराहा, कमला नगर, लॉयर्स कॉलोनी, न्यू आगरा, दयालबाग, विजय नगर, सहित दूसरे क्षेत्र में सब्जियों के दाम बाजार से 10 से 20 रुपये तक का अंतर है।
रिटेल रेट प्रति किलो में
टमाटर, 80
प्याज, 70
लोकी, 60
फूल गोभी, 50
शिमला मिर्च, 100
चुकंदर, 60
ग्वार की फली, 55
फ्रेंच बीन, 130
हरीमिर्च, 120
हरा धनिया, 200
अदरक, 140
खीरा, 60
करेला,80
लहसुन, 300
परवल, 60
बैंगन, 50
भिंडी, 160
पालक, 40
मैंथी, 80
मूली, 30
शकरकंद, 60
विलायती गाजर, 100
टिंडा, 80
नींबू, 160
सिंगाड़ा, 55
थोक रेट प्रति किलो
टमाटर, 40-50
प्याज, 35-40
लोकी, 25-30
फूल गोभी, 25-30
शिमला मिर्च, 60-65
चुकंदर, 40-45
ग्वार की फली, 40-45
फ्रेंच बीन, 90-95
हरीमिर्च, 80
हरा धनिया, 60-80
अदरक, 60-80
खीरा, 30-40
करेला, 40-60
लहसुन, 180-240
परवल, 25-40
बैंगन, 25-30
भिंडी, 30-40
पालक, 20-30
मैंथी, 40-60
मूली, 15-20
शकरकंद, 30-40
विलायती गाजर, 65-70
टिंडा, 60-65
नींबू, 60-70
हरी मटर, 70-80
सिंगाड़ा, 30
क्या कहती हैं गृहणियां
सब्जियों के दाम लंबे समय से महंगे हैं। सोचा था श्राद्ध और नवरात्र बाद कुछ कमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे रसोई का बजट बिगड़ रहा है। 500 रुपये की सब्जी तीन से चार दिन चलती हैं।
नीलम जादौन, खंदारी
सब्जियों के दामों पर अंकुश होना चाहिए। थोक और रिटेल के दामों में बढ़ा अंतर होता है। जिला प्रशासन को इसे भी महंगाई पर नकेल कसने की तरह लेना चाहिए।
प्रगति सिंह, लॉयर्स कॉलोनी