Ram Mandir Movement: मूंग की दाल, 12 बनियान, पढ़ें कैसे दिलचस्प कोड वर्ड के जरीये मिली आंदोलन को धार

Ram Mandir Movement पुलिस-प्रशासन कभी नहीं कर सकाडी-कोड। सबसे अधिक बैठकें कमला नगर जयपुर हाउस में हुईं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 03:36 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 03:36 PM (IST)
Ram Mandir Movement: मूंग की दाल, 12 बनियान, पढ़ें कैसे दिलचस्प कोड वर्ड के जरीये मिली आंदोलन को धार
Ram Mandir Movement: मूंग की दाल, 12 बनियान, पढ़ें कैसे दिलचस्प कोड वर्ड के जरीये मिली आंदोलन को धार

आगरा, अमित दीक्षित। एक अक्टूबर 1989। पुलिस-प्रशासन की सख्ती। एलआइयू के लोग शहर भर में फैले हुए थे। राम मंदिर के आंदोलन को लेकर जहां भी बैठक की भनक मिलती, पुलिस सख्त कदम उठाती। मकसद था आंदोलन को किसी तरीके से भी आगे न बढऩे दिया जाए लेकिन, आरएसएस ने ऐसे कोड वर्ड विकसित किए, जिन्होंने कमाल कर दिया। कोड वर्ड सामान्य थे लेकिन इनके सहारे जो कार्य किए गए, वह ढाल बन गए। बैठकें हुईं और राम मंदिर आंदोलन को धार दी गई।

वर्ष 1989 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। तीस अक्टूबर को फायरिंग की घटना सब को याद है लेकिन आंदोलन गुपचुप तरीके से कैसे आगे बढ़ा, यह बड़ा ही दिलचस्प है। यूं तो पूर्व से ही आंदोलन की रणनीति बन रही थी लेकिन अक्टूबर से प्रदेश सरकार ने सख्त कदम उठाने के आदेश दिए थे। पुलिस-प्रशासन कभी भी किसी को हिरासत में लेकर पूछताछ करती थी। यहां तक आरएसएस कार्यकर्ताओं ने पहनावा तक बदल दिया था। सामान्य तौर पर कुर्ता-धोती / पैजामा पहना जाता है लेकिन कार्यकर्ता पैंट-शर्ट पर आते थे। तब प्रांत प्रचारंक दिनेश चंद्र थे। वर्तमान में दिनेश विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक हैं। वहीं महानगर प्रचारक हरीओम थे। शुरू में जैसे ही बैठक आयोजित की जाती पुलिस पहुंच जाती और फिर बैठक खत्म हो जाती। कई बार पुलिस ने कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। राम मंदिर आंदोलन में बाधाओं को कैसे पार किया जाए और इसे आगे कैसे बढ़ाया जाए। आरएसएस के आला कमान ने इसपर मंथन किया। तय हुआ क्यों न कोड वर्ड के जरिए बैठकें आयोजित की जाएं। जैसे पांच ट्यूब लाइट देना, इसका अर्थ था कि बैठक का आयोजन कमला नगर में संबंधित एक दुकान में होगा। इसी तरह से आठ किग्रा मूंग की दाल, 12 बनियान, दो जार पानी, सवा ग्राम मिट्टी। यह सभी कोड वर्ड थे। जिन्हेंं पुलिस-प्रशासन कभी डी-कोड नहीं कर सकी। सबसे अधिक बैठकें कमला नगर, जयपुर हाउस में हुईं।

भाजपा विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने बताया कि जगह के हिसाब से कोड वर्ड बदलते रहते थे। कई बार एक कोड कई दिनों तक चलता था। मकसद इतना ही था कि बैठक की किसी को खबर न लगे और आंदोलन को आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने बताया कि कोड वर्ड को ढाल की तरह इस्तेमाल किया गया। विनय वत्स ने बताया कि बैठकें करना आसान नहीं था। जिसका तोड़ कोड वर्ड के माध्यम से निकाला गया।

जब प्रशासन ने रोक दी थी कलाश यात्रा

अस्थि कलश यात्रा का आगरा में जोरदार स्वागत किया गया था। जैसे ही यह यात्रा वजीरपुरा क्षेत्र में प्रवेश करने वाली थी, पुलिस-प्रशासन ने यात्रा को रोक दिया था। वजीरपुरा से होकर न जाने की सलाह दी गई। इसे लेकर बैठकों का दौर चला। आरएसएस के महानगर अध्यक्ष हरीओम ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर यात्रा नहीं निकली तो अन्य यात्राएं भी नहीं निकलने दी जाएंगी। दो टूक बात सुन प्रशासनिक अफसर खुद के निर्णय पर सोचने को मजबूर हो गए। प्रशासन बैकफुट पर आ गया और फिर यात्रा को निकलने दिया गया। दो सप्ताह तक यात्रा शहर में रही।  

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