Ram Mandir Bhumi Pujan: अयोध्या में भूमिपूजन पर झूम उठा नृत्य गोपाल दास का गांव
Ram Mandir Bhumi Pujanमहंत के रामदरबार में अखंड रामचरित मानस का पाठ जयकारों से गूंजा गांव। दीपदान से बिखरी रोशन घर-घर बने पकवान।
आगरा, किशन चौहान। रामलला के घर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की आधारशिला रखी तो मथुरा के करहला खुशी से झूम उठा। करहला श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास का पैतृक गांव हैं। गांव के रामदरबार अखंड रामचरित मानस का पाठ हुआ, तो गांव श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। शाम को दीपदान हुआ, तो हर्ष की रोशनी बिखर गई। गांव में उत्साह ऐसा कि घर-घर पकवान बने और प्रसाद बंटा।
मथुरा से महंत नृत्य गोपाल दास का गहरा नाता है। बरसाना क्षेत्र के गांव करहला के रहने वाले महंत श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के भी अध्यक्ष हैं। कार सेवा के समय से महंत राम मंदिर बनने का सपना देख रहे थे, तो उन गांवों के लोगों की आंखें भी ये शुभ दिन देखने को व्याकुल थीं। बुधवार को राम मंदिर की आधारशिला रखी गई, तो करहला में जश्न देखने लायक था। महंत नृत्य गोपाल दास द्वारा अपनी पैतृक जमीन पर निर्मित राम मंदिर पर मंगलवार से ही अखंड रामचरित मानस का पाठ हो रहा है। बुधवार को उसका समापन हुआ। पूरे गांव ने एकजुट होकर पाठ किया और फिर जश्न की तैयारी। मंदिर परिसर को सजाया गया। खुशी का आलम ये कि हर घर में राम की पूजा हुई और पकवान बने। बुधवार शाम राम मंदिर में 1100 से दीपक जले, तो गांव के हर घर की मुंडेर दीपकों से रोशन थी। ग्रामीण गिरधर जोशी कहते हैं कि राम मंदिर की नींव में गांव की रज और प्राचीन कंगन कंड का जल डाला गया है। इससे ग्रामीण उत्साहित हैं। उत्साह इसलिए भी तारी है कि राम मंदिर का निर्माण उनके गांव के लाल की अगुआई में हो रहा है।
राम के वंशजों ने बसाया था बरसाना
बृषभान नंदनी के धाम बरसाना का मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी से गहरा ताल्लुक है। ऊंचागांव निवासी ब्रजाचार्य पीठ के प्रवक्ता घनश्याम राजभट्ट कहते हैं कि गर्गसंहिता में उल्लेख है कि बरसाना राम के वंशजों ने बसाया था। त्रेतायुग में जब मथुरा पर लवणासुर का राज था तो उसका वध करने के लिए भाई शत्रुधन मथुरा आए थे। तभी उनके संग राजा दिलीप के परपौत्र रसंग भी मथुरा आए थे। मथुरा से 40 किलोमीटर पैदल चलते हुए रसंग बरसाना क्षेत्र की ओर आए। तब यहां ऊंचे ऊंचे पहाड़ व हरियाली तथा यमुना का निर्मल जल प्रवाहित होता था। रसंग का मन यहां रम गया और वो यहां बस गए। रसंग ने बरसाना का नाम वृतसानुपुर रखा।