DAP Crisis: पांच दिन हो गए आगरा में रैक आए, लेकिन किसानों तक नहीं पहुंच रही डीएपी

रविवार रात को आई थी रैक शुक्रवार तक समितियों से बैरंग हो रहे किसान। निजी विक्रेता जमकर कर रहे कालाबाजारी किसान हाे रहे परेशान। 1200 रुपये प्रति पैकेट की डीएपी को 1800 रुपये तक बेच रहे हैं। आलू की बोवाई शुरू हो गई है डीएपी की जरूरत है।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 08:48 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 08:48 AM (IST)
DAP Crisis: पांच दिन हो गए आगरा में रैक आए, लेकिन किसानों तक नहीं पहुंच रही डीएपी
रविवार रात आगरा पहुंची डीएपी की रैक, वितरण शुक्रवार तक नहीं हुआ है।

आगरा, जागरण संवाददाता। पिछले 25 दिनों से सहकारी समितियों पर डीएपी की उपलब्धता नहीं थी। रविवार को तीन हजार मीट्रिक टन की रैक आई थी, जिसके बाद समितियों पर पीसीएफ को डीएपी पहुंचानी थी, लेकिन पांच दिन बाद भी 50 फीसद समितियों पर उपलब्धता नहीं हो सकी है। शुक्रवार सुबह से समितियों पर पहुंचने वाले किसानों को बैरंग होना पड़ रहा है। वहीं ऐसे निजी विक्रेता जिन पर डीएपी की उपलब्धता है, वे भी जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं। 1200 रुपये प्रति पैकेट की डीएपी को 1800 रुपये तक बेच रहे हैं।

आलू की बोवाई शुरू हो गई है, लेकिन बारिश के कारण खेतों में पानी भर जाने से प्रभावित है। वहीं सरसों के खेत में पानी भर जाने से 30 फीसद किसान फिर से बोवाई कर रहे हैं। इससे डीएपी की हाहाकार में कुछ राहत रही है, लेकिन डीएपी की उपलब्धता नहीं हो पाने से किसानों के सामने संकट खड़ा है। फतेहाबाद क्षेत्र में 10 सहकारी समितियां है, जिसमें से गुरुवार को सभी से किसान बैरंग हुए, तो शुक्रवार सुबह भी समिति नहीं थी। पिनाहट की कुल छह सहकारी समितियों में से चार बंद चल रही हैं, जबकि दो चालू हैं। राटोटी पर गुरुवार देरशाम तक डीएपी पहुंची थी, लेकिन वितरण नहीं हो रहा है। अछनेरा की सात समितियों में से छह पर उपलब्धता नहीं है, जबकि रायभा पर गुरुवार को दोपहर बाद डीएपी पहुंची थी। बरहन में कुल आठ सहकारी समिति हैं, जिसमें से आहरन, बरहन, शिवालय टेहू, आंवलखेडा केंद्र पर डीएपी नहीं पहुंची है। बाह, जैतपुर में भी डीएपी का वितरण नहीं हो पा रहा है। सहकारी समितियों से किसान बैरंग हो रहे हैं। फतेहपुर सीकरी की सात में से एक भी सहकारी समिति पर डीएपी उपलब्ध नहीं है। अकोला में पांच सहकारी समिति है, जिसमें से दो बंद पड़ी हैं। शमसाबाद में भी किसान समितियों से बैरंग हो रहे हैं। खेरागढ़ ब्लाक की किसी भी सहकारी समिति पर डीएपी नहीं पहुंची है। वहीं जगनेर की छह सहकारी समिति में से मेवली, जगनेर समिति पर डीएपी नहीं पहुंची है।

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