मानवता तार-तार, मुनाफाखोरों को मिल रही 'ऑक्सीजन', आगरा के बाजार में हर चीज का मुंहमांगा दाम
कोरोना संकट में आक्सीजन कंसनेट्रेटर और पल्स ऑक्सीमीटर की बड़े पैमाने पर हो रही कालाबाजारी। पल्स ऑक्सीमीटर की कई जगह से सप्लाई न होने का बहाना बनाया जाता है तो कहीं इसे इसकी वास्वतिक कीमत से सात से 10 गुना अधिक दाम में बेचा जा रहा है।
आगरा, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि आपदा को अवसर में बदलो। आम आदगी कोरोना वायरस संक्रमण जैसी आपदा को अवसर में बदल पाया या न बदल पाया हो, लेकिन ताजनगरी में दवा कारोबार से जुडेे संचालकों ने इसे जरूर मुनाफा कमाने का अवसर बना लिया। पहले मास्क और सैनिटाइजर में मोटा मुनाफा कमाया। अब आक्सीजन कंसनेट्रेटर और पल्स ऑक्सीमीट में तीन गुना मुनाफा कमा रहे हैं। बड़े पैमाने पर इनकी कालाबाजारी हो रही है, ऐसे में चौतरफा एक ही सवाल हो रहा है कि इन 'मुनाफाखोरों' को सिस्टम की वैक्सीन कब मिलेगी।
जैसे-जैसे जिले में कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे है। वैसे-वैसे संसाधनों की कमी होती जा रही है, या यूं कहे कि कोरोना से जूझ रहे मरीजों के लिए जरूरी सामान की जमाखोरी करके और कालाबाजारी करके इस सामान को दुगुनी-चौगुनी कीमतों में बेचकर लाखों रुपये मुनाफा कमाया जा रहा है। अकेले ताजनगरी में पल्स ऑक्सीमीटर की रोजाना की आठ हजार पीस की डिमांड है। विक्रेताओं की तरफ से पल्स ऑक्सीमीटर की कई जगह से सप्लाई न होने का बहाना बनाया जाता है तो कहीं इसे इसकी वास्वतिक कीमत से सात से 10 गुना अधिक दाम में बेचा जा रहा है। चाइनीज पल्स ऑक्सीमीटर पहले 200 रुपये में बिक रहा था। वहीं अब इसे 1500 रुपये में बेचकर सीधे 1300 रुपये प्रति पीस मुनाफा कमाया जा रहा है। सिर्फ चाइनीज पल्स ऑक्सीमीटर ही नहीं कंपनी के ब्रांडेड पल्स ऑक्सीमीटर को कुछ समय पहले तक एक हजार रुपये में बेचा जाता था। लेकिन अब ब्रांडेड पल्स ऑक्सीमीटर भी दो हजार रुपये में मिल रहा है। पल्स ऑक्सीमीटर धड़कन और ऑक्सीजन लेवल चेक करने के काम आता है। जिला अस्पताल या एसएन मेडिकल की ओर से होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को पल्स ऑक्सीमीटर नही दिए जा रहे है, ऐसे में इनकी डिमांड अधिक है। फव्वारा स्थित थोक दवा बाजार में कही पर भी पल्स ऑक्सीमीटर नहीं है। हालांकि पीपीई किट, मास्क मार्केट में उपलब्ध है। लेकिन सैनिटाइजर की कमी हो गई है।