Tajmahal: 391 दिन में बदल गया 373 वर्ष पुराने ताजमहल को देखने का अंदाज, अब आ गया बड़ा बदलाव

टर्न स्टाइल गेट पर स्वयं अानलाइन टिकट को स्कैन करते हैं पर्यटक। स्मारक को छूने से बचते हैं पर्यटक साथ लाते हैं अपना सैनिटाइजर। ताजमहल में प्रतिदिन दो से तीन लीटर सैनिटाइजर पर्यटकों के हाथों को सैनिटाइज कराने में खर्च हो रहा है।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 10:53 AM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 10:53 AM (IST)
Tajmahal: 391 दिन में बदल गया 373 वर्ष पुराने ताजमहल को देखने का अंदाज, अब आ गया बड़ा बदलाव
ताजमहल पर पर्यटकों के हाथ लगातार सेनेटाइज कराए जा रहे हैं।

आगरा, निर्लोष कुमार। दुनियाभर में मोहब्बत की अनमोल निशानी के नाम से पहचाने जाने वाले संगमरमरी हुस्न के सरताज ताजमहल के सौंदर्य के मोहपाश में बंधे सैलानी दशकों से इसके दीदार को खिंचे चले आ रहे हैं। ताजमहल की तामीर हाेने के बाद 373 वर्षों में यहां कुछ नहीं बदला, लेकिन कोरोना काल के 391 दिनों में उसे देखने का अंदाज जरूर बदल गया है। जागरूक हुए सैलानी अब स्मारक की दीवारों पर हो रही पच्चीकारी, जाली वर्क आदि को छूने से बचते हैं। सैनिटाइजर से हाथों को बार-बार सैनिटाइज करते हैं। स्मारक के गेटों पर पर भी टच फ्री एंट्री की व्यवस्था है।

मुगल शहंशाह शाहजहां ने मुमजाज की याद में ताजमहल की तामीर 1631 से 1648 के बीच कराई थी। इसके निर्माण को 373 वर्ष हो चुके हैं। कोरोना काल को एक वर्ष से अधिक का समय बीत चला है और एक बार फिर कोरोना वायरस के संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ रहा है। इस एक वर्ष में ताजमहल को देखने का सैलानियों का अंदाज बदल चुका है। पहले टिकट विंडो से टिकट के साथ मिले टोकन को टर्न स्टाइल गेट पर स्कैन कर वो स्मारक में प्रवेश पाते थे। अब अधिकांश पर्यटक आनलाइन टिकट बुक कराकर आते हैं और उसे टर्न स्टाइल गेट पर स्कैन करते हैं। इससे स्मारक टच फ्री हो गया है। गेट पर ही एएसआइ कर्मी उनके हाथों को सैनिटाइज कराते हैं। स्मारक में प्रवेश के बाद पर्यटक उसकी दीवारों, रेलिंग आदि को पूर्व की भांति छूने से बचते हैं। अगर हाथ किसी चीज से लगते भी हैं, तो तुरंत सैनिटाइज करते हैं।

अधीक्षण पुरातत्वविद डा. वसंत कुमार स्वर्णकार बताते हैं कि पर्यटक कुछ जागरूक हुए हैं। अब वो ताजमहल की पच्चीकारी व दीवारों को नहीं छूते। विभाग ने भी उन्हें ऐसा करने से रोकने को रेलिंग लगाई हैं। दिन में तीन बार स्मारक को सैनिटाइज कराया जा रहा है। पर्यटक भी अपना सैनिटाइजर साथ लाते हैं। गेट पर विभाग ने भी इसके लिए व्यवस्था कर रखी है।

ग्रुप आना हुए बंद

पर्यटकों के ग्रुप आना बंद हो गए हैं। अधिकांश पर्यटक अपने परिवार या मित्रों के साथ ही आते हैं। वहीं स्मारक में भ्रमण के दौरान पर्यटक दूसरे पर्यटकों से दूरी बनाते हैं।

दो से तीन लीटर सैनिटाइजर प्रतिदिन हो रहा खर्च

ताजमहल में प्रतिदिन दो से तीन लीटर सैनिटाइजर पर्यटकों के हाथों को सैनिटाइज कराने में खर्च हो रहा है। ताजमहल जब खुला था तब पांच लीटर प्रतिदिन सैनिटाइजर खर्च हो रहा था। अब पर्यटक अपना सैनिटाइजर साथ ला रहे हैं। कर्मचारियों के हाथों को सैनिटाइज करने को कहने पर वो अपने सैनिटाइजर से हाथों को सैनिटाइज करते हैं।

पर्यटकों के छूने से संगमरमर पर लगते हैं दाग

पर्यटकों द्वारा ताजमहल के संगमरमर को छूने से उनके हाथों में लगा पसीना, तेल आदि संगमरमर में अंदर तक प्रवेश कर जाता है, जिससे वो गंदा नजर आने लगता है। एएसआइ की रसायन शाखा इसे साफ करने को मडपैक ट्रीटमेंट (मुल्तानी मिट्टी का लेप) करती है।

हाईलाइटर

-कोरोना काल में 17 मार्च, 2020 को बंद हुआ था ताजमहल।

-188 दिनों की रिकार्ड बंदी के बाद 21 सितंबर, 2020 को खुला था स्मारक।

-इससे पूर्व अधिकतम 15 दिनों के लिए भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1971 के दौरान चार से 18 दिसंबर तक बंद रहा था।

-सितंबर, 1978 में यमुना में बाढ़ आने पर एक सप्ताह और वर्ष 1992 में विवादित ढांचे का विध्वंस होने पर कर्फ्यू लगने पर दो से तीन दिन बंद रहा था स्मारक। 

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