Agra District Jail: आगरा जिला जेल के बंदियों की हो सकती है रिहाई, कोरोना वायरस है कारण

आगरा की जिला जेल में इस समय हैं 405 विचाराधीन और 106 सजायाफ्ता बंदी। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते पेरोल और अंतरिम जमानत देने की तैयारी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय हाई पावर कमेटी के निर्देश के बाद जेल प्रशासन ने तैयारी की सूची।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 09:52 AM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 09:52 AM (IST)
Agra District Jail: आगरा जिला जेल के बंदियों की हो सकती है रिहाई, कोरोना वायरस है कारण
आगरा जिला जेल से कैदियों की रिहाई हो सकती है। प्रतीकात्‍मक फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला जेल में निरुद्ध 605 विचाराधीन और 106 सजायाफ्ता बंदियों को रिहाई मिल सकती है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की हाई पावर कमेटी ने जेलों में सात वर्ष तक की सजा वाले अपराध में निरुद्ध विचाराधीन व सजायाफ्ता बंदियों को अंतरिम जमानत एवं पेरोल पर रिहा करने के निर्देश दिए हैं।इसके बाद जेल प्रशासन ने ऐसे बंदियो ंकी सूची तैयार करके शासन को भेज रहा है।

उत्तर प्रदेश की जेलों में निरुद्ध 45 साल से अधिक आयु के बंदियों के साथ ही कर्मचारियों एवं अधिकारियों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा चुकी है।इसके बावजूद जेलों में कोराेना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव की अध्यक्षता में गठित हाई पावर कमेटी ने विचाराधीन व संजायाफ्ता बंदियों की रिहाई की योजना घोषित की है। इसके तहत न्यायिक अधिकारियों को जेलों में जाकर बंदियों को 60 दिन की अंतरिम जमानत व पेरोल पर रिहा करने की कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

अंतरिम जमानत व पेरोल का लाभ सात वर्ष तक की सजा पाने वाले बंदियों को मिलेगा। निर्धारित अवधि के बाद बंदियों को जेल में दोबारा दाखिल होना पड़़ेगा। जिला जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा ने बताया कि उनके यहां 405 विचाराधीन व 106 सजायाफ्ता बंदी हैं। इनकी सूची तैयार करके शासन को भेजी जा रही है। वहां से निर्देश मिलने पर रिहाई की प्रक्रिया पूरी करने के बाद रिहा किया जाएगा।

सात महीने बाद भी नहीं लौटे 21 बंदी

जेल प्रशासन ने पिछले वर्ष दो सौ से ज्यादा विचाराधीन व सजायाफ्ता बंदियाें को अंतरिम जमातन व पेरोल पर रिहा किया था। सितंबर में पेरोल की अवधि समाप्त होने पर अधिकांश बंदी लौट आए थे। मगर, 21 बंदी अभी तक जिला जेल में वापस नही लौटै। इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने टीम बनाई थीं। मगर, 21 बंदी उसकी पकड़ से अभी तक बाहर हैं।

बंदियों की रिहाई को लेकर कमेटी के सामने अपना पक्ष रखेंगे अधिवक्ता

बंदियों की रिहाई की प्रक्रिया को लेकर अधिवक्ता कमेटी के सामने अपना पक्ष रखेंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण जनमंच के अधिवक्ताओं की बैठक साेमवार को केंद्रीय कार्यालय पर हुई। बैठक में कहा गया कि बंदियों की रिहाई की जो प्रक्रिया अपनाई गई है, उससे अधिवक्ताओं का अहित होगा। न्यायालय खुले हुए हैं, जरूरी कार्य हो रहा है। इसके बावजूद बंदियों की पेरोल व अंतरिम जमानत पर रिहाई में अधिवक्ताओं की भूमिका नहीं रखी गई है। इसे लेकर मंगलवार को भी बैठक बुलाई गई है। इसमें अधिवक्ताओं द्वारा हाई पावर कमेटी के सामने इस मुद्दे को उठाया जाएगा। बंदियों की रिहाई में उनकी भूमिका तय करने की बात रखी जाएगी। मामले में उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के अध्यक्ष से भी बात की जाएगी। कोरोना संक्रमित अधिवक्ताओं के इलाज का खर्च जिले में भेजी धनराशि से कराने की भी मांग की जाएगी। बैठक में मुख्य रूप से जनमंच के अध्यक्ष चौधरी अजय सिंह, सुरेंद्र लाखन सिंह, वीरेंद्र फौजदार, राकेश भटनागर, जसवंत सिंह राणा, हर्ष चतुर्वेदी, जितेंद्र चौहान अादि थे।

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