राजकीय विद्यालयों और इंटर कालेज के शिक्षकों को राइट टाइम करने की तैयारी, बायोमैट्रिक से लगेगी हाजिरी

अपर शिक्षा निदेशक ने जिला विद्यालय निरीक्षक से मांगी जानकारी। दो दिन में सूचनाएं उपलब्ध कराएंगे कि कितने विद्यालयों में है व्यवस्था। उन्होंने कहा है कि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों और इंटर कालेजों में शिक्षकों की उपस्थिति बायोमैट्रिक एप के माध्यम से सुनिश्चित कराई जाए।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 08:10 AM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 08:10 AM (IST)
राजकीय विद्यालयों और इंटर कालेज के शिक्षकों को राइट टाइम करने की तैयारी, बायोमैट्रिक से लगेगी हाजिरी
सभी सरकारी स्‍कूलों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगवाने के आदेश आ गए हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा जिले के सभी राजकीय माध्यमिक विद्यालयों और इंटर कालेजों में शिक्षकों को राइट टाइम करने की कवायद शासन ने शुरू कर दी है। इसके लिए उनकी उपस्थिति बायोमैट्रिक मशीन से लगाने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल शासन ने इस संबंध में जिलों से वर्तमान स्थिति की सूचना मांगी है।

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस कवायद की शुरुआत करते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक से दो दिन में जानकारी मांगी गई है कि जिले में कितने विद्यालयों में बायोमैट्रिक की व्यवस्था है। आदेश माध्यमिक शिक्षा निदेशक, शिक्षा नियुक्ति (एलटी) अनुभाग के आदेश पर अपर शिक्षा निदेशक, राजकीय डा. अंजना गोयल ने जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार को भेजा है। उन्होंने जानकारी मांगी है कि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों और इंटर कालेजों में शिक्षकों की उपस्थिति बायोमैट्रिक एप के माध्यम से सुनिश्चित कराई जाए। इसके लिए प्रदेश स्तर पर अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है, समिति ने इसे लागू करने से पहले जिले की स्थिति जानी है।

यह मांगी जानकारी

समिति ने जिला विद्यालय निरीक्षक से सूचना मांगी है कि जिले में कितने राजकीय विद्यालय संचालित हैं, उनमें से कितने विद्यालयों में बायोमैट्रिक मशीनें लगी हैं और कितने विद्यालयों में बायोमैट्रिक मशीन पर शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज की जा रही है। साथ ही कितने विद्यालयों में बायोमैट्रिक मशीन स्थापित नहीं है और और उसे स्थापित न करने का कारण क्या है?

पहले भी हुई है कवायद

माध्यमिक राजकीय विद्यालयों में बायोमैट्रिक मशीन से हाजिरी लगाने की यह कवायद पहली बार नहीं हुई। इससे पहले भी राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों में इसकी कवायद शुरू हुई थी, लेकिन शिक्षक संगठनों के विरोध के बाद कवायद ठंडी पड़ गई। हालांकि कुछ स्कूलों में व्यवस्था अब भी लागू है।

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