World Book of Records: 306 हाफ मेराथन दौड़कर आगरा के प्रमोद कटारा ने बनाया नया रिकार्ड, वर्ल्‍ड बुक में होगा दर्ज

पुणे के प्रवीण जेले के नाम था 121 हाफ मेराथन का नेशनल रिकार्ड। प्रमोद कटारा का रिकार्ड यूके की वर्ल्ड बुक आफ रिकार्ड में होगा दर्ज। अभियान के दौरान प्रतिदिन उन्हाेंने 21 किमी की दौड़ लगाने के साथ 200 किमी साइकिल चलाई।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 08:28 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 08:28 AM (IST)
World Book of Records: 306 हाफ मेराथन दौड़कर आगरा के प्रमोद कटारा ने बनाया नया रिकार्ड, वर्ल्‍ड बुक में होगा दर्ज
हाफ मेराथन के दौरान ताजमहल परिसर में दौड़ लगाते प्रमोद कटारा।

आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी के प्रमोद कटारा ने लगातार 306 हाफ मेराथन दौड़कर नया रिकार्ड बनाया है। उन्होंने पुणे के प्रवीण जेले के लगातार 121 हाफ मेराथन का लिम्का बुक का नेशनल रिकार्ड ताेड़ा है। उनका यह रिकार्ड यूनाइटेड किंगडम (यूके) की वर्ल्ड बुक आफ रिकार्ड में दर्ज होगा। रिकार्डों की श्रृंखला में उनका यह 31वां रिकार्ड है।

प्रमोद कटारा (56) ने बताया कि उन्होंने 27 जून, 2020 से 28 अप्रैल, 2021 तक लगातार 306 हाफ मेराथन दौड़ीं। अभियान के दौरान प्रतिदिन उन्हाेंने 21 किमी की दौड़ लगाने के साथ 200 किमी साइकिल चलाई। रिकार्ड के दौरान उनके पैर की अंगुलियां बुरी तरह घायल हो गई थीं और नाखनू भी विकृत हो गए थे। जून की भीषण गर्मी के दौरान निम्न रक्तचाप, सिर चकराने पर भी वह लगातार दौड़ते रहे। रिकार्ड के अंतिम पांच दिनों में ज्वर से पीड़ित होने के बावजूद उन्होंने दौड़ जारी रखी। मेराथन के दौरान गिरने की वजह से घुटने व कोहनी में चोट लगने के बाद भी वो अपने लक्ष्य से नहीं डिगे।

कोरोना काल को बनाया स्वर्णिम समय

अल्ट्रा रनर प्रमोद ने कोरोना काल को अपने जीवन का स्वर्णिम समय साबित करते हुए 25 से अधिक वर्चुअल इंटरनेशनल मेराथन मेडल हासिल किए। उन्होंने अमेरिका का अधिकतम दूरी 6600 किमी का वर्चुअल चैलेंज (रूट 66 यूएसए) मेडल हासिल किया है। यमुना संरक्षण अभियान में एक दिन उन्होंने आगरा से लखनऊ तक 300 किमी साइकिल चलाई। अब तक उनके 25 रिकार्ड लिम्का बुक एवं इंडिया बुक आफ रिकार्ड में प्रकाशित हो चुके हैं। एशिया के शीर्ष 100 रिकार्डधारकों में उनका नाम है।

15 वर्ष से आर्थराइटिस से पीड़ित

प्रमोद कटारा 15 वर्ष से आर्थराइटिस की बीमारी से जूझ रहे हैं। उनके घुटनों में दर्द रहता है, लेकिन इस बीमारी को एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर उन्होंने कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए यह सफलता हासिल की है। पांच वर्ष पहले वो अन्न त्याग चुके हैं और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का प्रयोग नहीं करते हैं। वो सिर्फ चार घंटे साेते हैं। सुबह तीन बजे उनके दिन की शुरुआत होती है और प्रतिदिन नियमित रूप से दौड़ने के अलावा रात नौ बजे के बाद साइकिल चलाते हैं। 

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