Remdesivir: रेमडेसिविर के लिए फूट फूटकर रोते लोग, आगरा में कांप रही जिंंदगी

शहर की हर बड़ी काॅॅलोनी व बस्ती से उठ रही चीत्कार मरीजों को लेकर निराश लौट रहे स्वजन काेविड अस्पताल में जगह नहीं। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव की आवश्यक दवाओं के लिए गिड़गिड़ा रहे स्वजन। आवश्यक दवाएं बाजार से गायब।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 09:42 AM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 09:42 AM (IST)
Remdesivir: रेमडेसिविर के लिए फूट फूटकर रोते लोग, आगरा में कांप रही जिंंदगी
आगरा में लोग रेमेडिसिवर का इंजेक्‍शन और ऑक्‍सीजन की तलाश में भटक रहे हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी यानी ऐसा शहर, जहां जिंंदगी कांप रही है। सांस के बिना लोग तड़प-तड़पकर मर रहे हैं। अपनों की जिंंदगी बचाने के लिए स्वजन कलक्ट्रेट में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए अफसरों के सामने फूट-फूट कर रो रहे हैं। कोरोना कमाण्ड कंट्रोल सेंटर में फोन करने के बाद भी मरीजों को न कोविड अस्पताल मे बेड मिल रहा है और न ही निजी अस्पताल में। कोरोना संक्रमण से बचाव में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के लिए स्वजन दुकानदारों के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं। इन दवाओं के साथ-साथ पल्स आॅॅक्सीमीटर, बुखार की जांच के लिए थर्मामीटर, आॅॅक्सीजन मास्क व रेगुलेटर भी बाजार से गायब है। सड़कों पर सन्नाटे को चीरती एंबुलेंस भागती मिल रही हैं और ई रिक्शे पर अंतिम सांसें गिनता मरीज। स्वजनों के हाथ में सिलेंडर है, और उनके चेहरे की हवाईयां उड़ी हुई हैं। न जाने अस्पताल में बेड मिलने तक मरीज की जान बचेगी या नहीं। सूर्योदय हो या सूर्योस्त, कहीं कोई रौनक नहीं, सिर्फ दहशत का शिकंजा है।

सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज (एसएन) की तरफ कदम बढ़े गए तो कोरोना महामारी और विकराल होती गई। कमला नगर निवासी राजेश अपने भाई अभिषेक को एंबुलेंस मेे लेकर एसएन आए, उनकी आक्सीजन का लेवल 72 था। लगातार एक घंटे मशक्कत के बाद भी उनको अपने भाई के लिए बेड नही मिला। उन्होेनेे कंट्रोल सेंटर, सीएमओ को भी फोन मिलाया पर उनको अपने भाई के लिए बेड नही मिला। रामरघु, रवि, प्रभा व नयति हाॅॅस्पीटल में भी अपने भाई को लेकर गए पर बेड नही मिला। बल्केश्वर निवासी विशाल अग्रवाल अपने पिता को लेकर एसएन गए। वह पिता से लिपटकर रो रहेे है। ई- रिक्शा चालक उनका ढांढस बंधाता, लेकिन इस बेरहम वायरस ने उन्हें उनसे दूर कर दिया। कमला नगर निवासी मोनिका, आवास-विकास कालोनी निवासी पितांबर के साथ भी ऐसा ही हुआ। उनको भी सरकारी या निजी अस्पताल में बेड नही मिला। इन अस्पतालों का पूरा परिसर मरीजों से भरा पड़ा है। एसएन मेडिकल हो या जिला अस्पताल या फिर कोई निजी अस्पताल, उनकी चमकती-दमकती बिल्डिंग से डरावनी आवाजें आ रही हैं। यहां मौतों का सिलसिला थम ही नहीं रहा है। कमला नगर निवासी सुनील तिलवानी बीएम हास्पिटल में भर्ती है। उनके स्वजन रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए पिछले तीन दिन से कलक्‍ट्रेट के चक्कर लगा रहे हैंं पर उनको निर्धारित प्रारूप पर आवेदन देने के बाद भी यह इंजेक्शन नही मिला है। आवास-विकास निवासी राजकुमार, शास्त्रीपुरम निवासी सुनील समेत 250 मरीजोंं के स्वजन ऐसे हैंं, जिनको बार-बार कलक्ट्रेट के चक्कर लगाने के बाद भी इंजेक्शन नही मिला। बोदला निवासी विक्रांत के पिता कोरोना पीडित है। वह पिछले 24 घंटे से आॅॅक्सीजन सिलेडर की तलाश कर रहे हैंं पर उन्हें नहींं मिला। दवा बाजार फव्वारा रोड, राजा की मंडी, कमला नगर व एमजी रोड पर कोरोना संक्रमण से बचाव में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के लिए लोग दुकानदारों के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं। फेवीफ्लू का इस्तेमाल बिना डाक्टर की सलाह नहीं करना है लेकिन लोग स्वजन की जान बचाने के लिए बिना किसी सलाह दुकानों के सामने लाइन लगा दे रहे हैं। यही हाल पैरासीटामाॅॅल और मिथाइल प्रेडनिसोलोन का है। लोग एक या दो ब्रांड की दवाओं को ही खरीदना चाहते हैं। इस कारण इन ब्रांड की दवाओं की कमी हो गई है। हालांकि दूसरे ब्रांड की दवाओं से बाजार भरा पड़ा है।

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