बदलता मौसम कहीं घातक न हो जाए सांसों पर, अस्थमा रोगी रखें इन बातों का ध्यान Agra News
दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर में लोगों के सवालों के जवाब दिए एसएन मेडिकल कॉलेज के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने।
आगरा, जागरण संवाददाता। मौसम में बदलाव के साथ अस्थमा रोगियों की तकलीफ बढ़ गई हैं। दीवाली के लिए घर की साफ-सफाई में उडऩे वाले धूल कणों से एलर्जी हो रही है। अस्थमा के मरीज इनहेलर बिल्कुल न छोड़ें। सफाई करते समय मास्क का इस्तेमाल करें, बेहतर होगा कि वैक्यूम क्लीनिंग करें। यह बात एसएन मेडिकल कॉलेज के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताई। दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर में लोगों के तमाम सवालों के उन्होंने जवाब दिए।
डॉ. जीवी सिंह ने कहा कि बदलते मौसम एलर्जिक डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। पुराने मरीजों में एलर्जी की तीव्रता बढ़ जाती है। सर्दी में स्मॉग होने से सबसे ज्यादा दिक्कत अस्थमा और टीबी के मरीजों को होती है। ऐसे में उन्हें ख्याल रखने की बहुत जरूरत है। पुराने मरीज इनहेलर बिल्कुल न छोडें। अगर तकलीफ ज्यादा बढ़ रही है तो रिलेवर मेडिकेशन का इस्तेमाल करें। बिना सलाह बाजार से कोई दवा ले लें। गर्म पानी की भाप लेने से भी आराम मिलता है
बीच में ट्रीटमेंट न छोडें
सर्दी में टीबी मरीजों में सैकेंड्री इंफेक्शन होने पर परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में बीच में इलाज न छोडें़। अगर परेशानी ज्यादा है तो अपने चिकित्सक से परामर्श लें। क्रॉनिक ऑब्सट्राक्टिव पल्मोनरी डिजीज के मरीज में बलगम, सांस फूलना व खांसी की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में सर्दी व वह ठंड से बचने के लिए अंगीठी व लकड़ी से तापने से बचें।
टीबी के मरीजोंं की देखभाल की जरूरत
डॉ. जीबी सिंह ने बताया कि टीबी मरीज छह माह की दवा के बाद ठीक तो हो जाता है, लेकिन इसके बाद उसे कई प्रकार की दिक्कत हो सकती हैं। इसे पल्मोनरी इनप्योरमेंट आफ्टर ट्यूबरक्लोसिस कहा जाता है। इस ओर अधिकांश लोगों का ध्यान नहीं होता है। ऐसे में जरूरत है कि इसको लेकर मरीजों में जागरूकता पैदा की जाए। उनका फॉलोअप किया जाए।
एलर्जी से हो रही परेशानी
बदलते मौसम में एलर्जी की समस्या बढ़ रही है। कई तरह की एलर्जी हो रही है, इसमें एनजियो एडिमा (होठों पर सूजन व गला चॉक होना) एलर्जी के ज्यादा केस आ रहे हैं। भारत में करीब 25 फीसद लोग एलर्जी से प्रभावित है। इससे बचने के लिए प्राइमरी स्तर पर ही इलाज लें।
सवाल- पहले टीबी का इलाज चला था। अब खांसी आती है। सांस भी फूलती है। सर्दी में ज्यादा तकलीफ होती है।
जवाब- इलाज पूरा होने के बाद भी 50 फीसद मरीज में सांस फूलने की दिक्कत आती है। विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाएं। धूमपान बिल्कुल न करें।
सवाल - सांस उखड़ती है। पांच साल से यह परेशानी है।
जवाब - सीओपीडी बीमारी के लक्षण लग रहे हैं। इसमें धूमपान से सांस की नली में सूजन आ जाती है। विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।
सवाल - 15 दिन से खांसी और कफ की दिक्कत है। गले में दर्द भी रहता है।
जवाब - वायरल इंफेक्शन हो सकता है। नाक-कान-गला विशेषज्ञ से परामर्श लें।
सवाल - कई दिनों से सूखी खांसी है। सुबह ज्यादा परेशानी होती है।
जवाब - कफ वेरिएंट अस्थमा के लक्षण लग रहे हैं। मौसम में बदलाव के चलते ऐसा होता है। श्वांस रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
सवाल - पांच-छह साल से मौसम बदलते ही नजला-जुकाम हो जाता है। रात में ज्यादा परेशानी होती है।
जवाब - अस्थमा के लक्षण लगते हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लें। प्रॉपर ट्रीटमेंट कराएं।
सवाल- जल्दी-जल्दी सर्दी जुकाम होता है। सुबह खांसी होती है।
जवाब - नाक की एलर्जी के लक्षण लगते हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें और पूरा इलाज करवाएं। आगे और परेशानी बढ़ सकती है।
इन्होंने पूछे सवाल
आगरा: सुभाष चंद्र (बेलनगंज), ओपी रावत (कमला नगर), रामनरेश, केदार सिंह, अशोक कुमार, राजेश सिंह, विनीता, राजेश्वरी, अमित अवस्थी। एटा: मो. सईद, रजनी, आरती, अर्चना मिश्रा, शैलेश। फीरोजाबाद: जयकरन, आशीष, अखिलेश।