धधकते अंगारों के बीच होली पर गुजरेगा पंडा, फालैन में शुरू किया तप

परिवार और अन्न-जल त्याग कर मंदिर में रहेंगे पंडा बाबूलाल। तप के लिए शुरू किया पूजन।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Thu, 21 Feb 2019 11:59 AM (IST) Updated:Thu, 21 Feb 2019 11:59 AM (IST)
धधकते अंगारों के बीच होली पर गुजरेगा पंडा, फालैन में शुरू किया तप
धधकते अंगारों के बीच होली पर गुजरेगा पंडा, फालैन में शुरू किया तप

आगरा, जेएनएन। देखने वाले उस समय दांतों तले अंगुलियां दबा लेते हैं। जब होलिका का दहन हो और धधकते अंगारे निकल रहे हों। उसी समय मथुरा के फालैन में पंडा बाबूलाल नंगे पैर आग के बीच गुजरते हैं। उस दृश्य को देखने के लिए हजारों लोग जुटते हैं। यह परंपरा बरसों से चली आ रही है। बाबूलाल इस बार सातवीं बार आग में प्रवेश करेंगे और इसके लिए उन्होंने अभी से तपस्या शुरू कर दी है।

उड़ते गुलाल के बीच प्रह्लादजी के जयघोष से गांव फालैन गूंज उठा। होलिका दहन स्थल की पूजा-अर्चना की गई। इसके साथ ही 42 वर्षीय बाबूलाल पंडा मंगलवार से एक माह की साधना पर बैठ गए। 20 मार्च को बाबूलाल गांव में धधकती होली के बीच से निकलेंगे। इस क्षण का गवाह बनने के लिए हजारों लोग मौके पर पहुंचेंगे।

भक्त प्रह्लाद जलती होलिका से बच निकले थे। उस युग के दृश्य को जीवंत करने के लिए प्रत्येक वर्ष गांव फालैन के पंडा बाबूलाल धधकती होली के बीच से गुजरते हैं। इससे पहले एक महीने तक साधना भी करते हैं। मंगलवार को तप आरंभ करते हुए पंडा बाबूलाल ने पहले ग्रामीणों के साथ गांव की परिक्रमा लगाई और प्रहलाद कुंड पर मंदिर के पास होलिका स्थल की पूजा की। आचार्य पंडित भगवान सहाय ने पूजन कराया। इसके बाद होलिका रखी गई। पंडा को भक्त प्रह्लादजी की माला सौंप तप के नियम बताए। बाबूलाल पंडा इस वर्ष सातवीं बार धधकती होली के बीच से निकलेंगे।

ऐसे होगी साधना

बाबूलाल पंडा एक माह अपने घर नहीं जाएंगे। ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे।  अन्न का सेवन न कर फलाहार ही लेंगे।  एक माह तक वे धरती पर ही शयन करेंगे।
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