Ambedkar University Agra: कितनी भी अर्जियां लगा लो, यहां नहीं होती सुनवाई

प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक को कर चुके हैं ट्वीट। वीडियो और पत्र के माध्यम से भी डिग्री न मिलने की कर चुके हैं शिकायत। चालीस हजार से ज्यादा आनलाइन आवेदन लंबित हैं। 2015 से पहले के दो लाख आफलाइन आवेदन गठरियों में बंद पड़े हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 03:20 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 03:20 PM (IST)
Ambedkar University Agra: कितनी भी अर्जियां लगा लो, यहां नहीं होती सुनवाई
चालीस हजार से ज्यादा आनलाइन आवेदन लंबित हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से डिग्री लेने के लिए छात्र प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कुलपति तक को ट्वीट से लेकर पत्र और वीडियो के जरिए शिकायत दर्ज करा चुके हैं, पर किसी भी दर पर सुनवाई नहीं होती है। मदद की गुहार लगाने वाले छात्र आज भी डिग्री का इंतजार कर रहे हैं, पर यह इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा है।

आठ सालों से हो रहा इंतजार

दिल्ली के अंकुर ने बीडीएस और आगरा के नाई की मंडी की भगवती कुमारी को अपनी बीएड की डिग्री के लिए इंतजार करते-करते आठ साल हो चुके हैं। कई बार आफलाइन और कई बार आनलाइन आवेदन कर चुके हैं, पर डिग्री हाथ में नहीं आ रही है। हाथरस निवासी अनिल कुमार ने बीए की डिग्री के लिए आवेदन किया था। डिग्री नहीं मिली तो राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पत्र लिखा।छात्र कंछी सिंह ने भी राज्यपाल को डिग्री समस्या को लेकर पत्र लिखा है। कंछी सिंह ने कुलपति के लिए भी एक वीडियो भेजा था। इंदू वाजपेयी ने मुख्यमंत्री को ट्विट कर मदद की गुहार लगाई थी। जितेंद्र उपाध्याय ने उच्च न्यायालय से मदद मांगी थी।

वर्तमान कुलपति ने स्वीकारी थी कार्यप्रणाली की कमी

दीपावली से विश्वविद्यालय की प्रेस वार्ता में वर्तमान कुलपति प्रो.अशोक मित्तल ने यह बात स्वीकारी थी कि इस विश्वविद्यालय से वे भी डिग्री नहीं बनवा पाते हैं। उनका कहना था कि मैं तो कुलपति हूं, तब भी मेरी कोई नहीं सुनता।

अब चल रहा ट्वीट का दौर

डिग्री न मिलने पर छात्र अब ट्वीट करने लगे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री से लेकर शिक्षा मंत्री तक को छात्र डिग्री न मिलने की शिकायत ट्वीट के जरिए बता चुके हैं। पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।विश्वविद्यालय में 2015 के बाद की साढ़े सात लाख डिग्रियां तैयार पड़ी हैं, जिनके सत्यापन का काम चल रहा है।सत्यापित डिग्रियों को नोडल केंद्रों और डाक के जरिए वितरित किया जाएगा। चालीस हजार से ज्यादा आनलाइन आवेदन लंबित हैं। 2015 से पहले के दो लाख आफलाइन आवेदन गठरियों में बंद पड़े हैं।

2015 के बाद तैयार डिग्रियों के वितरण का काम जल्द ही शुरू किया जा रहा है। छात्रों को होने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। 

- प्रो. अशोक मित्तल, कुलपति 

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