लड़ाकों का रहता है प्रधानी पर पूरा जोर, ताजनगरी में 695 में से सिर्फ 5 ग्राम प्रधान चुने गए थे निर्विरोध

ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने में ग्रामीणों की ज्यादा रुचि नहीं रहती। वह इस चुनाव से दूर ही रहना चाहते हैं। मगर प्रधान के चुनाव के लिए पूरा जोर लगा देते हैं। गांवों में खेमेबाजी तक हो जाती हैं। रंजिशें हो जाती हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 04:08 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 04:08 PM (IST)
लड़ाकों का रहता है प्रधानी पर पूरा जोर, ताजनगरी में 695 में से सिर्फ 5 ग्राम प्रधान चुने गए थे निर्विरोध
ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने में ग्रामीणों की ज्यादा रुचि नहीं रहती।

आगरा, जागरण संवाददाता। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सबसे रोचक चुनाव ग्राम प्रधान का ही होता है। किसी-किसी गांव में विधायक से भी ज्यादा महत्वपूर्ण चुनाव ग्राम प्रधान को हाे जाता है। नाक का सवाल हो जाता है। गांवों में खेमेबाजी तक हो जाती हैं। रंजिशें हो जाती हैं। कोई किसी से कम नहीं पड़ना चाहता। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले पंचायत चुनाव में जिले की 695 में से सिर्फ 5 ग्राम प्रधान ऐसे थे, जो निर्विरोध चुने गए। बाकी 690 पर चुनाव संपन्न हुआ था।

वर्ष 2015 में पंचायत चुनाव संपन्न हुए थे। जिले की 695 में से 690 ग्राम पंचायतों में दावेदारों के बीच कांटे की टक्कर हुई। दावेदार इस चुनाव में पूरा जोर लगा देते हैं। कई ग्राम पंचायतें तो ऐसी रहीं, जिनमें हार-जीत का कुछ ही वोटों का अंतर रहा। बाकी पंचायतों में प्रधानी के लिए दावदारों ने पूरी ताकत झोंक दी। ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव में ज्यादा रुचि नहीं रहती। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 9253 ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव में 6589 सदस्य तो निर्विरोध ही चुने गए। यानी कि जिले की 6589 ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए चुनाव की जरूरत ही नहीं पड़ी। ये सदस्य बिना चुनाव लड़े ही चुनाव जीत गए। दरअसल, ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने में ग्रामीणों की ज्यादा रुचि नहीं रहती। वह इस चुनाव से दूर ही रहना चाहते हैं। मगर, प्रधान के चुनाव के लिए पूरा जोर लगा देते हैं। 

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