Panchayat Chunav 2021: क्षेत्र का जो करेगा विकास, हमारा मत उसके साथ, आगरा में पंचायत चुनाव में हो रहा ऐलान
जगनेेेर ब्लॉक के चंदसौरा रजपुरा नगला मोहरे की प्रमुख समस्या है जलसंकट। गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाले लिंक मार्ग की सड़कें टूटी हुई है। जगह-जगह जलभराव और कीचड़ है। सरकारी स्कूल की ओर जाने वाला रास्ता भी कच्चा है जिससे विद्यार्थियों को असुविधा होती है।
आगरा, जागरण संवाददाता। पंचायत चुनाव में परचम लहराने के लिए प्रत्याशी जुटे हैं, तो गांव-गांव भी इसके लिए चिंतन हो रहा हे कि गांव की सरकार किसके हाथ सौंपनी है। जगनेर ब्लाक के गांव चंदसौरा जागरण टीम पहुंची तो ग्रामीणों ने अपने रुख से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि विकास की आस में गांव तरस रहा है। जलसंकट पुरानी समस्या है, तो गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाले लिंक मार्ग की सड़कें टूटी हुई है। जगह-जगह जलभराव और कीचड़ है। सरकारी स्कूल की ओर जाने वाला रास्ता भी कच्चा है, जिससे विद्यार्थियों को असुविधा होती है। दावे, वादे कोई भी करता रहे, लेकिन इस बार उसी के पक्ष में मतदान होगा, जो हर समस्या का निदान करा सकेगा।
लिंक मार्ग से टीम गांव के लिए अंदर चली तो रास्ते में मौजूद राजेश और किशन के पास रुके। उन्होंने बताया कि ओवरहैड टेंक का निर्माण 15 वर्ष पहले हुआ, लेकिन आज तक शुरू नहीं हो सका है। टैंक की बोरिंग से आस-पास घ्ररों ने पानी की व्यवस्था कर ली है। पानी की टंकियां खराब पड़ी हैं। इंडिया मार्का हैंडपंप कुछ खराब हैं, तो कुछ चल रहे हैं। पंचायत घर का हैंडपंप भी खराब है, जिससे यहां समय बिताने वालों ने बैठना बंद कर दिया है। कुछ आगे बढ़े तो 60 वसंत देख चुके हरदयाल पेड़ के पास बैठे थे। उन्होंने बताया दो दशक पहले 30 से 40 फीट पर पानी था। अब अधिकतर घरों में समरर्सिबल लगा रखे हैं, जबकि जलस्तर 250 से 300 फीट पर पहुंच गया है। नालियां चोक हैं। कई स्थानों पर जलभराव हो जाता है, जिससे बीमारियों का खतरा बना रहता है। गांव से कुछ दूरी स्थित खेत पर कटाई के बाद फसल एकत्रित करा रहे राघवेंद्र ने बताया कि सिंचाई के लिए संकट से जूझना पड़ता है। बारिश पर्याप्त न हो तो फसलें बर्बाद हो जाती हैं।
सैंया ब्लाक से छह किलोमीटर दूर स्थित गांव नगला मोहरे को भी कुछ ऐसा ही हाल है। जिले की सीमा का अंतिम गांव की मुख्य समस्या गिरता भूगर्भ जलस्तर है। वहीं गांव में स्थित नहर हमेशा सूखी रहती है। सिंचाई के लिए किसानों को 120 से 180 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से ट्यूबवेल से पानी लेना पड़ता है। गांव में घर-घर पानी पहुंचाने के लिए टीटीएसपी टंकी बनी हुए लंबा समय बीत गया, लेकिन पाइप लाइन आज तक नहीं बिछ सकी है। प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रामीण रामकरन ने बताया कि कई स्थानों पर अकसर जलभराव रहता है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है।
ग्राम पंचायत रजपुरा में भी जलसंकट गंभीर रूप अपनाया हुआ है। सरकारी हैंडपंप गांव में लगे हुए हैं, लेकिन एक भी चालू नहीं है। ग्रामीण राजन ने बताया कि पिछले दिनों हुई जांच में पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने की पुष्टि हुई, जिसके बाद टीटीएसपी का निर्माण हुआ। ये आज तक शोपीस बनी खड़ी हुई है। गांव में तलाब में गंदा पानी एकत्रित होता है। आस-पास कूड़े का ढ़ेर है, जो बीमारियों का वाहक बनने को तैयार है। तलाब की आधी जगह पर दबंगों का कब्जा भी है। प्रत्याशी दोनों गांव में प्रचार को पहुंच रहे हैं। जातिगत आधार और दूसरे प्रलोभन से रिझाने का प्रयास है, लेकिन ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं।
चंबल नदी से भरतपुर के लिए पानी की लाइन गांव के किनारे से होकर गुजरती है। अगर इससे पानी मिल जाए तो वर्षो पुराना जलसंकट दूर हो सकता है।
ज्वाल प्रसाद, चंदसौरा
सड़कें टूटी हुई हैं और जगह-जगह जलभराव हो जाता है। विकास की ओर किसी का ध्यान नहीं है। फसलें भी पानी की कमी के कारण कई बार खराब हो जाती हैं।
शिवदत्त, चंदसौरा
हर बार चुनाव में वादे होते हैं, लेकिन गांव की हालत जैसी की तैसी बनी हुई है। पेयजल की स्थिति बहुत खराब है। सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होने से पैदावार प्रभावित होती है।
राजेश कसाना, रजपुरा
गांव में तालाब के डूब क्षेत्र को दबंग लोगों ने कब्जा कर रखा है, जिसकी वजह से नालियों का पानी गांव के रास्तों पर भरा रहता है। जलसंकट भी गंभीर समस्या है।
दिनेश सिंह, रजपुरा