Orphaned child: कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को अब मिला सरकार का सहारा, आप भी बन सकते हैं किसी बच्‍चे के मददगार

महिला एवं बाल विकास विभाग आया आगे। जिलाधिकारी आगरा से ऐसे बच्चों की मांगी गई सूची। चाइल्ड लाइन-1098 या महिला हेल्पलाइन-181 पर आम लोग भी दे सकते हैं ऐसे बच्चों की जानकारी। कानूनी रूप से बच्चों को कारा के जरिये लिया सकता है गोद।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 09:43 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 09:43 AM (IST)
Orphaned child: कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को अब मिला सरकार का सहारा, आप भी बन सकते हैं किसी बच्‍चे के मददगार
इस आपदा के दौर में अनाथ हुए बच्‍चों की मदद को सरकार आगे आई है। प्रतीकात्‍मक फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस ने बहुत से परिवारों से उनकी खुशियांं हमेशा के लिए छीन ली हैं, जिन परिवार में कल तक किलकारियां गूंजा करतीं थीं, आज उसी घर में बच्चे गुमसुम नजर आ रहे हैं। ऐसे ही बच्चों के जीवन में फिर से खुशियांं लाने की हरसंभव कोशिश में सरकार जुटी है। जिन बच्चों ने कोरोना के चलते अपने माता-पिता को खोया है, उनकी चिंता सरकार को है और अब ऐसे बच्चों और परिवार की पहचान कर उन्हें हरसंभव मदद पहुंचाने की तरफ कदम बढ़ाया गया है। इसके अलावा ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता कोरोना को मात देने के लिए अस्पताल में भर्ती हैं या होम आइसोलेशन में हैं और बच्चे की देखभाल करने वाला परिवार में कोई नहीं है, उन बच्चों के संरक्षण पर भी पूरा ध्यान है।

प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग वी. हेकाली झिमोमी ने सूबे के सभी जिलाधिकारियों को कोविड-19 से प्रभावित/अनाथ हुए 18 साल से कम उम्र के बच्चों की पहचान कर सूची तैयार करने को कहा है। यह सूची 15 मई तक निदेशक, महिला कल्याण और राज्य बाल संरक्षण आयोग को भेजनी है ताकि ऐसे बच्चों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाई जा सके। आगरा जिलाधिकारी पीएन सिंह को भी सूचना प्राप्‍त हो चुकी है। महिला कल्याण विभाग का कहना है कि इस सूची को तैयार करने में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में गठित निगरानी समितियों की मदद ली जा सकती है। इसके अलावा ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में गठित ग्राम बाल संरक्षण समितियों से भी इस सम्बन्ध में जानकारी जुटायी जा सकती है, जिसकी सदस्य सचिव आंगनबाड़ी कार्यकर्ता होती हैं। इसके साथ ही विशेषकर किशोर पुलिस इकाई, चाइल्ड लाइन (1098) और जिला बाल संरक्षण इकाई भी सक्रिय भूमिका निभाते हुए इस प्रकार के बच्चों के बारे में सूचनाएंं प्राप्त होने पर जिला प्रोबेशन अधिकारी या बाल कल्याण समिति को तत्काल मुहैया कराएंगी। ऐसे बच्चों को 24 घंटे के अंदर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाए, कोविड के चलते भौतिक प्रस्तुतीकरण के स्थान पर डिजिटल प्लेटफार्म का सहारा लिया जा सकता है। बच्चों की पहचान जुटाने और सूची तैयार करने में जनपद स्तर पर सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों की भी मदद ली जा सकती है।

हेल्पलाइन पर दें ऐसे बच्चों की सूचना: कोरोना वायरस संक्रमण काल में जिन बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों या किसी एक को खो दिया है, उनके सम्बन्ध में सूचना कोई भी व्यक्ति चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नम्बर-1098 या महिला हेल्पलाइन-181 पर दे सकता है। ऐसे बच्चों को चाइल्ड लाइन 24 घंटे के अन्दर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगी। ऐसे बच्चों की सूचना राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के हेल्पलाइन- 011-23478250 पर भी दी जा सकती है।

बच्चे जिन्हें है मदद की जरूरत:

- ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण के कारण हो गयी है।

- ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता कोविड पाजिटिव नहीं पाए गए लेकिन समस्त लक्षण कोविड-19 के समान ही थे और उपचार के दौरान या उपचार के अभाव में जिनकी मृत्यु हो गयी।

- ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता कोविड के चलते उपचाराधीन हों या किसी अन्य कारण से महामारी के दौरान अस्पताल में भर्ती हों और घर पर बच्चों की देखरेख करने वाला कोई न हो।

- ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता कोविड के चलते होम आइसोलेशन में हों और घर पर ऐसे बच्चों की देखभाल करने वाला कोई न हो।

बिना संज्ञान में लाए गोद लेना गैर कानूनी

यदि किसी नवजात को सड़क या किसी अन्य स्थान पर छोड़ दिया जाता है या परित्याग कर दिया जाता है अथवा कोविड के चलते माता-पिता की मृत्यु के बाद ऐसे बच्चों को किसी को भी गोद दे देना, अपने पास रख लेना या उसकी देखरेख के लिए किसी तरह का विज्ञापन निकालना और बाल कल्याण समिति के संज्ञान में न लाना गैरकानूनी व दंडनीय अपराध है। बच्चों को कानूनी रूप से गोद लेने के लिए सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथारिटी (कारा) के वेबसाइट www.cara.nic.in पर संपर्क किया जा सकता है। इसके साथ ही एकल माता/पिता को बच्चे को बाल गृहों में रखवाने की सलाह देना या ऐसा करने के लिए दबाव डालना अनुचित है। बाल गृह में किसी बच्चे को आवासित करवाना अंतिम विकल्प होना चाहिए। अनाथ या एकल माता/पिता होने की वजह से बाल विवाह, बाल श्रम या बाल तस्करी करवाना भी गैर कानूनी और दंडनीय है। इसके साथ ही परिवार में किसी के कोविड पाजिटिव होने या संभावित समान लक्षण आने की स्थिति में उस परिवार के बच्चों के साथ असंवेदनशील व्यवहार करना भी अनुचित है। 

chat bot
आपका साथी