Chamki at Tajmahal: कभी लगता था मेला, अब दूरी और बंदिशों का पहरा

शरद पूर्णिमा पर बुधवार रात ताजमहल में दिखेगी चमकी। चार दशक पूर्व तक रात भर स्मारक में रहता था मेले जैसा नजारा। सुबह चार बजे तक मुख्य मकबरे से होता था रात्रि दर्शन। वर्तमान में वीडियो प्लेटफार्म से आगे जाने की अनुमति नहीं।

By Nirlosh KumarEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 02:50 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 02:50 PM (IST)
Chamki at Tajmahal: कभी लगता था मेला, अब दूरी और बंदिशों का पहरा
ताज रात्रि दर्शन को पूर्व में बल्लियों व स्लीपर से सीढ़ियां बनाई जाती थीं।

आगरा, जागरण संवाददाता। ताजमहल का धवल संगमरमरी हुस्न और पूनम का चांद। शरद पूर्णिमा की रात जब शीतल चंद्र की किरणों में ताजमहल के हुस्न में पैबस्त नगीने (प्रीसियस और सेमी प्रीसियस स्टोन) जगमगा उठते तो देखने वालों के मुंह से यही शब्द निकलता "वाह ताज'। रातभर मेले जैसा नजारा रहता और ताज की शान में कसीदे गढ़े जाते। शरद पूर्णिमा पर ताज रात्रि दर्शन आज भी हो रहा है, लेकिन अब वो बात नहीं। पहले लोग मुख्य मकबरे से ही "चमकी' देखा करते थे। सुरक्षा बंदोबस्तों ने सैलानियों की संख्या पर पाबंदी लगाने के साथ उन्हें करीब 300 मीटर दूर से "चमकी' देखने को मजबूर कर दिया। इसके बाद भी असली चमकी देखने से वो महरूम हैं।

बुधवार को शरद पूर्णिमा है। सोमवार से ताज रात्रि दर्शन शुरू हो चुका है। माह में पांच दिन होने वाला ताज रात्रि दर्शन इस बार केवल चार दिन ही हो रहा है। ऐसा शुक्रवार को ताजमहल की साप्ताहिक बंदी के चलते हुआ है। बुधवार को शरद पूर्णिमा पर चमकी देखने के लिए एएसआइ के माल रोड स्थित सर्किल आफिस में पर्यटक टिकट बुक कराने पहुंचे हुए हैं। बुधवार रात 8:30 से 11 बजे तक आधा-आधा घंटे के पांच स्लाट में अधिकतम 250 पर्यटक चमकी देख सकेंगे। उप्र में रात्रि कर्फ्यू के चलते पूर्व में रात 8:30 से 12:30 बजे तक आठ स्लाट में होने वाला ताज रात्रि दर्शन पांच स्लाट तक सीमित रह गया है। मगर, कभी शरद पूर्णिमा पर ताजमहल में चमकी का दीदार सुबह चार बजे तक हुआ करता था। ताजमहल में मेले जैसा नजारा होता था और इसके साक्षी हजारों लोग बना करते थे। एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमसुद्दीन बताते हैं कि अब रात्रि दर्शन में पर्यटकों को वीडियो प्लेटफार्म से आगे नहीं जाने दिया जाता है। वर्ष 1984 से पूर्व ताजमहल में पर्यटक मुख्य मकबरे से चमकी देखा करते थे। पर्यटकों को मुख्य मकबरे पर प्रवेश सामने वाली सीढ़ियों से मिलता था, लेकिन उनके उतरने को बल्लियां व स्लीपर लगाकर मेहमानखाने की तरफ सीढ़ियां बनाई जाती थीं। इसके लिए ताजमहल में मुख्य मकबरे पर लगी संगमरमर की रैलिंग के कुछ हिस्सों को भी हटाया जाता था।

तीन दिन होता था रात्रि दर्शन

1984 से पूर्व ताजमहल में पूर्णिमा पर रात्रि दर्शन तीन दिन होता था। पूर्णिमा के दिन सुबह चार बजे तक मेला लगता था। पूर्णिमा से एक दिन पूर्व और एक दिन बाद रात दो बजे तक रात्रि दर्शन होता था। पेट्रोमैक्स लगाकर स्मारक में रोशनी का इंतजाम किया जाता था।

पुलिस का लगता था कैंप

शरद पूर्णिमा पर ताजमहल के अंदर फोरकोर्ट में पुलिस कैंप लगाती थी, जिससे भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। फोरकोर्ट में ही टिकट बिक्री को आठ अस्थायी काउंटर बनाए जाते थे। ताज में वनवे रहा करता था। पर्यटकों को पूर्वी, पश्चिमी व दक्षिणी गेट से स्मारक में प्रवेश दिया जाता था। लौटते वक्त उन्हें ताजमहल के संदली मस्जिद के सामने खुलने वाले गेट से बाहर निकाला जाता था। इस गेट के आसपास दुकानें सजती थीं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई दोबारा शुरुआत

वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सुरक्षा कारणों से ताज रात्रि दर्शन बंद कर दिया गया था। 20 वर्षों तक ताजमहल के दरवाजे पर्यटकों के लिए रात में बंद रहे। ताजनगरी के पर्यटन उद्यमियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2004 में पूर्णिमा पर माह में पांच दिन ताज रात्रि दर्शन कराने का आदेश किया। रमजान के माह को छोड़कर ताजमहल माह में पांच दिन रात्रि दर्शन को खुलता है। एक दिन में अधिकतम 400 पर्यटकों को 50-50 के बैच में आधा-आधा घंटे के स्लाट में रात 8:30 से 12:30 बजे तक रात्रि दर्शन कराया जाता है। इसमें पर्यटकों को वीडियो प्लेटफार्म से आगे जाने की अनुमति नहीं होती।

तब लगाते थे टैंट

होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने बताया कि वर्ष 1984 से पूर्व शरद पूर्णिमा पर चमकी देखने के लिए ताजगंज और उसके आसपास के सभी होटल बुक हो जाया करते थे। स्थिति यह हो जाती थी कि कमरे उपलब्ध नहीं होने पर होटल की छतों पर टैंट लगाए जाते थे। रिश्तेदार भी चमकी देखने आया करते थे। सुरक्षा पाबंदियों के चलते अब असली चमकी देखने का मौका ही पर्यटकों को नहीं मिल पाता है।

नहीं देख पाते हैं असली चमकी

ताजमहल पूर्णिमा पर रात में खुलता जरूर है, लेकिन पर्यटक असली चमकी नहीं देख पाते हैं। चंद्रमा ताजमहल के ठीक ऊपर रात 12:30 बजे या उसके बाद आना शुरू होता है, तब तक ताजमहल के द्वार पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। वर्तमान में तो रात्रि कर्फ्यू के चलते 11 बजे तक ही रात्रि दर्शन की अनुमति है।

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