Birth Anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose: सुहाग नगरी के तिलक भवन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भरा था जोश

Birth Anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose 21 जनवरी 1939 को फीरोजाबाद आए थे नेताजी की थी सभा। देर रात तक उमड़ी रही थी भीड़ मांगा था आजादी को समर्थन। यहां भी नरम दल और गरम दल अपने-अपने तरीके से आजादी के लिए जंग लड़ रहे थे।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 09:42 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 09:42 AM (IST)
Birth Anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose: सुहाग नगरी के तिलक भवन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भरा था जोश
21 जनवरी 1939 को फीरोजाबाद आए थे नेताजी, की थी सभा।

आगरा, डा. राहुल सिंघई। फीरोजाबाद में वो 21 जनवरी 1939 की शाम थी। अचानक खबर आई कि आज नेताजी शहर आ रहे हैं। तिलक भवन में सभा करेंगे। आजादी के आंदोलन से जुड़े नेताओं ने आनन-फानन तैयारियां शुरू कर दीं। खबर आग की तरफ फैली और नेताजी को देखने और सुनने के लिए हुजूम उमड़ पड़ा। रात 12 बजे हुई सभा में नेताजी ने जोश भर दिया था।

आजादी के आंदोलन में फीरोजाबाद भी पूरी तरह शरीक था। यहां भी नरम दल और गरम दल अपने-अपने तरीके से आजादी के लिए जंग लड़ रहे थे। 1929 में महात्मा गांधी और 1936 में पंडित जवाहरलाल नेहरू फीरोजाबाद आकर देश की आजादी के परवानों में जोश भर चुके थे। स्वतंत्रता सेनानी भागचंद जैन के बेटे और 70 वर्षीय वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप चंद्र जैन बताते हैं कि उनके पिताजी आजादी के आंदोलन की कहानियां सुनाया करते थे। पिताजी ने बताया था कि 21 जनवरी 1939 की रात आठ बजे नेताजी गाड़ी से पहुंचे थे। इसकी खबर लगते ही लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। तिलक भवन में मंच से नेताजी ने जनता को संबोधित किया और कहा कि आजादी मिलकर रहेगी। उस समय रामचंद्र पालीवाल कांग्रेस के बड़े नेता हुआ करते थे। उन्होंने ही जनसभा के लिए व्यवस्था की थी। क्रांतिकारियों से नेताजी ने अकेले में बात की थी। नेताजी ने उनसे कहा था कि क्रांति की ज्वाला को धीमी मत पडऩे देना, अंग्रेज वापस जरूर जाएंगे। सभा के बाद वे आगरा के लिए रवाना हो गए। उस रात 12 बजे तक पुराने शहर में रौनक रही थी।

धोती-कुर्ता और गांधी टोपी

वरिष्ठ अधिवक्ता के अनुसार, पिताजी ने बताया था कि तब नेताजी सफेद रंग की धोती-कुर्ता और गांधी टोपी पहनकर आए थे। उनकी एक झलक पाने के लिए लोग बेताब नजर आ रहे थे। लोग उन्हें छूने की कोशिश भी कर रहे थे। नेताजी ने जिनसे हाथ मिलाया, वह बहुत खुश हुए और जोशीले नारे लगाए थे। 

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