Migratory Birds in Agra: जग सूना-सूना लागे...ओम शांति ओम फिल्म के इस गाने को गुनगुना रहे पर्यटक

Migratory Birds in Agra फरवरी के अंतिम सप्ताह में अपने वतन लौट चुके सभी प्रवासी पक्षी। कीठम झील में अप्रवासी पक्षियों की तादाद हुई कम। अक्टूबर की शुरुआत से ही सूर सरोवर पक्षी विहार में प्रवासी पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगता है।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 02:53 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 02:53 PM (IST)
Migratory Birds in Agra: जग सूना-सूना लागे...ओम शांति ओम फिल्म के इस गाने को गुनगुना रहे पर्यटक
फरवरी के अंतिम सप्ताह में अपने वतन लौट चुके सभी प्रवासी पक्षी।

आगरा, सुबान खान। सूर सरोवर पक्षी विहार में मेहमानों परिंदों की अटखेलियों के प्रेमियों को ‘ओम शांति ओम’ फिल्म का गाना ‘जग सूना सूना लगे..’ याद आ रहा है। इस गाने को गुनगुनाते पर्यटक कुछ ही देर में सूर सरोवर पक्षी विहार से बाहर निकल आते हैं।ग्रेट कार्मोरेंट पानी में गोता लगाकर पर्यटकों की नजरों को रोकने की कोशिश भी करती है, पर उन्हें नहीं भाती। बिल्कुल सही बात है सूर सरोवर पक्षी विहार का आज-कल यही नजारा है। झील पर पानी में अटखेलियां करने वाले सारे प्रवासी और अप्रवासी पक्षी कीठम झीले को अलविदा कह गए हैं।

सेंट्रल एशिया से आते हैं पक्षी

कीठम झील में ग्रेटर फ्लेमिंगो, ग्रे लैग गूज, बार हेडेड गूज, टफ्टिड डक, ब्लैक टेल्ड गोडविट, नोर्दन शोवलर, कामन टील, यूरेशियन कूट, पाइड एवोसेट, रिवर टर्न, नोर्दन पिनटेल, कामन पोचार्ड, गेडवाल, ब्लैकविंग स्टिल्ट, स्पाट विल्ड डक, लेशर विशलिंग डक, स्पूनविल डक, बुड सेंडपाइपर, कामन सेंडपाइपर, मार्श सेंडपाइपर, ग्रीन शेंक, लिटिल रिंग्ड प्लोवर, केटिंश प्लोवर, पेंटेड स्टार्क आदि प्रवासी पक्षी सेंट्रल एशिया से पहुंचते हैं।

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झील में ग्रेट कार्मोरेंट, ग्रे हैरोन, बूली नेक्ड स्टार्क, ब्लैक नेक्ड स्टार्क, ग्रेट इग्रिट, इंटरमीडिएट इग्रिट सहित अन्य अप्रवासी जलीय पक्षी तैराकी करते नजर आते हैं। इनके साथ ही झील में ब्लूथ्रोट, टैनी पिपिट, ट्री पिपिट, ब्लिथ रीड बैबलर, ट्राई कलर मुनिया, चेस्टनट मुनिया जो स्थलीय पक्षी हैं। ये भी बड़ी संख्या में मिल जाती हैं।

फरवरी के अंत तक वापस

अक्टूबर की शुरुआत से ही सूर सरोवर पक्षी विहार में प्रवासी पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगता है। इनके साथ अप्रवासी पक्षी भी बढ़ जाते हैं। प्रवासी पक्षी फरवरी के अंतिम सप्ताह में अपने वतन रवाना हो जाते हैं। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार वे मार्च के बाद घौसले तैयार करके नेस्टिंग की प्रक्रिया में प्रवेश करने लगते हैं। अक्टूबर तक उनके बच्चे उड़ने की स्थिति में पहुंच हैं। उसके बाद पक्षी कीठम झील लिए उड़ान भरता है। 

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